भद्रकाली माता के दर्शन करने तीन राज्य से आएंगे भक्त, होगा भव्य मेले का आयोजन 

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भद्रकाली माता के दर्शन करने तीन राज्य से आएंगे भक्त, होगा भव्य मेले का आयोजन 

बीजापुर, नवीन कुमार लाटकर हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर भद्रकाली मेले का आयोजन बड़े धूमधाम से मनाने की तैयारी भद्रकाली समिति द्वारा की जा रही है। जिला जिला मुख्यालय से 70 किमी तो भोपालपटनम तहसील से 18 किमी की दुरी पर स्थित है माँ भद्रकाली का मंदिर। यहाँ हर वर्ष फरवरी माह में बसंत पंचमी के मौके पर भद्रकाली गाँव में भद्रकाली मेले का आयोजन किया जाता है। यह मेले का आयोजन कई वर्षों से किया जा रहा है। इस वर्ष भी 13,14 और 15 फरवरी को भद्रकाली मेले में विभिन्न कार्यक्रम व आयोजन किये जाएंगे।

भद्रकाली समिति के अध्यक्ष सूरे बुच्छेया, पुजारी लक्ष्मैया सूरे, नली कुरसम ने बताया की 13 फरवरी दिन मंगलवार को गौतम कुंड (गौतम ऋषि का तप स्थल ) से मंदिर तक कलश यात्रा, देवी स्नान, मंडपाच्छादन, घट स्थापना, देवी पूजन, स्थानीय नृत्य एवं चित्रपट का आयोजन वहीं 14 फरवरी को देवीपूजन हवन (पूर्णाहुति), माँई जी का छत्र ग्राम भ्रमण (शाम 4 बजे ) रात्रि में स्थानीय नृत्य एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम वहीं अंतिम दिन 15 फरवरी को देवी पूजन, बोनालू, देवी नृत्य और मन्नतें एवं समापन का कार्यक्रम होगा। वहीं भद्रकाली समिति की और से कार्यक्रम में आने वाले सभी भक्तगणों के लिए निःशुल्क भोजन की सुविधा भी उपलब्ध रहेगी।

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तीन राज्यों से आते है माँ भद्रकाली के दर्शन करने भक्त :- माँ भद्रकाली के दर्शन करने व इस मेले में शामिल होने के लिए तीन राज्य छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र से सैकड़ो की संख्या में माँ भद्रकाली का आशीर्वाद लेने भक्त पहुँचते हैं।

गोदावरी व इंद्रावती नदी का संगम:- छत्तीसगढ़ की इंद्रावती नदी व तेलंगाना की गोदावरी नदी का संगम स्थल भी भद्रकाली मंदिर से महज ढाई से 3 किमी की दुरी पर स्थित हैं इन दोनों जीवनदायिनी नदियों का संगम भी देखते ही बनता हैं।

तीन साल में होता है अग्निकुण्ड का आयोजन:- हर तीन वर्ष में अग्निकुण्ड का आयोजन किया जाता है। इस अग्निकुण्ड में 10 से 12 फिट लम्बा और 8 से 10 फिट चौड़ा अग्निकुण्ड बनाया जाता है जिसमें अंगार जलाया जाता है। जिसमें भक्तगण इस अग्निकुण्ड से नंगे पाँव होकर गुजरते है ऐसी मान्यता हैं की इस अग्निकुण्ड से भक्त गुजरने के बाद भी उनके पाँवों को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं पहुँचता और कुंड से गुजरने के बाद सारी बलाऐं टल जाती है। यह अग्निकुण्ड का कार्यक्रम सुबह 4 बजे शुरू होता है और सूर्य निकलने से पहले यह कार्यक्रम संपन्न कर दिया जाता है।

भद्रकाली मंदिर का हुआ है सौंदर्यीकरण :- पिछले वर्ष इस भद्रकाली मंदिर के सौंदर्यीकरण का कार्य भी किया गया है। इस मंदिर में रिटर्निंग वाल का कार्य भी किया गया है। वहीं मंदिर प्रांगण में खूबसूरत पौधे, फूल व गार्डनिंग का कार्य भी किया गया है जो माँ भद्रकाली के दरबार को और भी ज्यादा खूबसूरती प्रदान करता है।

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