बीजापुर ll आस्था के नाम पर सरकारी धन को भ्रष्टाचार में झोंकने के बावजूद भी जिम्मेदार विभाग उन पर ऐसा फ़िदा है जैसे कई दशकों बाद बिछड़े हुए पुत्र को पाकर मां के आंखों से खुशियों के बहते आंसुओं का सैलाब रुकने का नाम नहीं लेता , कुछ ऐसा ही भ्रष्टाचार रेंजर और विभाग के बीच देखने को नजर आ रहा है , उसका नतीजा विभाग के अन्य रेंजरों को भुगतना पड़ रहा है , वन अफसरों को दिखता नहीं उनके ही विभाग के रेंजर एक बंगले में दो-दो तीन-तीन रेंजर रहने को बेबस हैं l
एक रेंजर दो बंगले में कब्जा जमाये बैठा है
एक रेंजर दो बंगले में कब्जा जमाये बैठा है , इसका सुध लेने वाला कोई नहीं है , बल्कि ड्यूटी पर समय से नहीं पहुंचने से उल्टा उन्हें डांट-फटकार लगाने से बाज नहीं आते , जरा सोचिए इन दिनों जंगलों में आग लगने से बुझाने के लिए वन विभाग के तमाम अधिकारी कर्मचारी जंगलों के ओर रुख करतेहैं l
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दिन भर की थकान से वापस लौटे रेंजरों को चैन से विश्राम करने के लिए मुख्यालय में पर्याप्त जगह भी नसीब नहीं है , तत्कालीन भ्रष्ट रेंजर भोपालपटनम और बीजापुर मुख्यालय में सरकारी बंगले में कब्जा जमाये बैठा है , इसके अलावा रिटायर रेंजर भी बंगले खाली नहीं कर रहें हैं , इससे अंदाज लगाया जा सकता है वन अफसर कमीशन के फेर में रेंजरों को बंगले खाली करने बोलने से खतरा रहे हैं ।
विदित हो कि उपर से लेकर नीचे तक भेंट चढ़ाने वाले तत्कालीन भ्रष्ट रेंजर के द्वारा पामेड़ परिक्षेत्र में की गई भ्रष्टाचार के फाइलें विभाग में पड़े पड़े धूल फांक रहे हैं , विभाग के गर्भ से जांच बाहर आयेगा भी नहीं देखना होगा साथ में पाठकों को भी इंतजार है , भ्रष्टाचार में माहिर रेंजर सांठ-गांठ से इधर से उधर मतलब इंद्रावती टायगर रिजर्व से समान्य वन मंडल भोपालपटनम वन परिक्षेत्र में ट्रांसफर करा लिया है ।
उपर से लेकर नीचे तक उनके पकड़ के आगे जिम्मेदार कड़ियां नतमस्तक है ।मुख्यालय में कब्जा बंगले को खाली करने बोलने से तीन लाख रुपए खर्च करके बंगले का मरम्मत कराया हूं खाली नहीं करूंगा , वन अफसर को उंगली दिखाया जा रहा है , मरम्मत कार्य में खर्च किए गए तीन लगा रूपए सरकार के है या फिर रेंजर उनके वेतन से बंगले का मरम्मत कराया गया है ।
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क्या वन अफसर के पास कोई सवाल भी या नहीं , अब देखना होगा वन अफसर बंगला खाली करा पाते हैं या विभाग का और खुद का तौहीन करा लेते हैं ।