रायपुर: National Workshop: छत्तीसगढ़ वन विभाग और नई दिल्ली स्थित द एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट (टेरी) के संयुक्त प्रयास से वन पारिस्थितिकी तंत्र की सेवाओं और उनकी राज्य की जीडीपी में संभावित योगदान विषय पर आज राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। नवा रायपुर स्थित दंडकारण्य सभागार, अरण्य भवन में आयोजित इस कार्यशाला में देशभर के विशेषज्ञों ने वन पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के आर्थिक मूल्यांकन और नीति निर्धारण में उनकी भूमिका पर विचार-विमर्श किया।
कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (भूमि प्रबंधन) सुनील कुमार मिश्रा ने छत्तीसगढ़ द्वारा वन पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के आर्थिक मूल्यांकन की दिशा में की जा रही पहल की सराहना की और कहा कि छत्तीसगढ़ इस पहल को अपनाने वाला देश का पहला राज्य है, जिससे ग्रीन जीडीपी में वन संसाधनों का योगदान स्पष्ट होगा।
National Workshop: पारिस्थितिकी तंत्र की सेवाओं के उचित मूल्यांकन से आर्थिक योजनाओं और बजट प्रबंधन को अधिक प्रभावी बनाने में मिलेगी मदद: पीसीसीएफ वी. श्रीनिवास राव
टेरी के वरिष्ठ निदेशक, भूमि संसाधन प्रभाग, डॉ. जे.वी. शर्मा ने इस अध्ययन की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए वन विभाग की सक्रिय भागीदारी की सराहना की। उन्होंने कार्बन फाइनेंसिंग, पुनर्वनीकरण और पारिस्थितिकी सेवाओं के मूल्यांकन की आधुनिक तकनीकों पर विस्तार से जानकारी दी।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख वी. श्रीनिवास राव ने कहा कि वन पारिस्थितिकी तंत्र की सेवाओं का उचित मूल्यांकन आर्थिक योजनाओं और बजट प्रबंधन को अधिक प्रभावी बना सकता है। पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. आर.के. सिंह ने नीति निर्माण में पारिस्थितिकी सेवाओं के मूल्यांकन की अनिवार्यता पर जोर देते हुए वन विभाग में एक विशेष प्रकोष्ठ स्थापित करने का सुझाव दिया।
वहीं, पूर्व पीसीसीएफ डॉ. ए.के. सिंह ने इस विषय पर सरल भाषा, विशेषकर हिंदी में रिपोर्ट तैयार करने की आवश्यकता बताई, ताकि फील्ड स्तर के कर्मचारी इसे आसानी से समझ सकें।
National Workshop: कार्यशाला में देश-विदेश के विशेषज्ञों ने भी अपने विचार रखे। लिविंग लैंडस्केप्स, हैदराबाद के सीईओ जगदीश राव ने ग्रीन जीडीपी और प्राकृतिक संसाधन के लेखांकन पर अपने सुझाव दिए। आईओआरए, नई दिल्ली की वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार डॉ. मधु वर्मा ने भारत में पारिस्थितिकी सेवाओं के मूल्यांकन और भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा की।
टेरी के जैव विविधता एवं पारिस्थितिकी केंद्र के विशेषज्ञों ने भी तकनीकी सत्रों में अपनी प्रस्तुति दी। अनिरुद्ध सोनी ने पर्यावरण-आर्थिक लेखा प्रणाली के जरिए वन सेवाओं को राज्य की जीडीपी में शामिल करने की प्रक्रिया समझाई। प्रांजल चौहान ने छत्तीसगढ़ में पारिस्थितिकी सेवाओं के मूल्यांकन को लागू करने की कार्ययोजना प्रस्तुत की, जिसमें वन क्षेत्र से सटे गांवों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया गया।
अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों में यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्ट इंग्लैंड, ब्रिस्टल (यूके) के प्रोफेसर मार्क एवरार्ड और मुंबई स्थित वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन फाउंडेशन के निदेशक डॉ. शिवाजी चव्हाण ने भी अपने विचार साझा किए।
National Workshop: कार्यशाला का समापन छत्तीसगढ़ राज्य जलवायु परिवर्तन केंद्र के परियोजना वैज्ञानिक डॉ. अनिल श्रीवास्तव द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। इस अवसर पर विभिन्न विशेषज्ञों ने वन पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के आर्थिक महत्व को रेखांकित किया और छत्तीसगढ़ में सतत वन प्रबंधन को मजबूती देने के लिए ठोस नीतियां बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। National Workshop
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