मन भगवान में, तन संसार में यही सच्ची साधना होती है-श्री संकर्षण शरण जी

अनमोल सुविचार,

पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी ( गुरुजी) कथा के माध्यम से यह बताए कि यह तन संसार में रहे संसार का कार्य करते रहे लेकिन मन हमेशा भगवान के चिंतन में रहे और प्रत्येक कार्य भगवान को अर्पण करते हुए करें तो वह यज्ञ बन जाता है। भगवान कृष्ण ने भी अर्जुन से यही कहा-
अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते।
तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्।।
जो अनन्य भक्त मेरा चिन्तन करते हुए मेरी उपासना करते हैं? मेरे में निरन्तर लगे हुए उन भक्तों का योगक्षेम (अप्राप्तकी प्राप्ति और प्राप्तकी रक्षा) मैं वहन करता हूँ। जब हम प्रत्येक कार्य भगवान का चिंतन करते हुए भगवान को ही अर्पण कर देते हैं भगवान स्वयं सहायता करते हैं और रक्षा भी करते हैं क्योंकि गुरु और भगवान मार्ग भी है मंजिल भी है।

आत्म चेतना अर्थात अपनी बातें सुनना, हनुमान जी तरु पल्लव महुं रहा लुकाई जब लंका में माता सीता की पता लगाने जाते हैं वृक्ष के पत्ते में छिपे होते हैं और स्वयं से बाते करते हैं अपना सुनना ,अंतर्मन की सुन लेना । भगवान राम जब जनकपुर जाते हैं सखियां तरह-तरह की बातें करती है लेकिन भगवान उस पर ध्यान नहीं देते है, कुछ लोग भगवान से गुरु से जुड़े होते हैं लेकिन उनके नाम में संसार से जुड़े होते हैं और अपने वाहवाही के लिए दुनिया भर की बातें करते रहते हैं गुरु की इशारों को ,भगवान को समझ नहीं पाते नजरअंदाज कर देते हैं और उनका जीवन दुखी हो जाता है । पूज्य गुरुदेव जी ने कथा के माध्यम से यह बताएं कि जब हम धर्म के कार्य से जुड़े होते हैं भगवान से जुड़े होते हैं तो लोगों की बातों पर ध्यान ना देना अपने कार्य पर ध्यान देना और आगे बढ़ जाना। आध्यात्मिक क्षेत्र में जो चलता है वह चुपचाप आगे बढ़ता है लोगों की बातों को नहीं सुनता और जो इस तरह कार्य करता है भगवान उस पर पुष्प वर्षा करते हैं पुष्प वृष्टि करते है। फूल बरसाते हैं जनकपुर में सखियां भी भगवान के ऊपर पुष्प वर्षा करती हैं।जो भगवान से जुड़े होते हैं धर्म से जुड़े होते हैं भगवान के कार्य करते हुए स्वयं की सुनते हैं विवेक से कार्य करते हैं आत्म चेतना जागृत होती है। और उसका प्रत्येक कार्य यज्ञ बन जाता है ।जब इस संसार में कार्य करते हुए मन में भगवान का ही चिंतन रहे तो कभी अनुचित होगा ही नहीं, जो होता है सब अच्छा ही अच्छा होता चला जाता है।

-श्रीमती कल्पना शुक्ला

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here