Ram Navami:नवमी तिथि मधु मास पुनीता…

आध्यात्म ।। कल्पना शुक्ला ।। Ram Navami। परम पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी (गुरुजी) ने भगवान के अवतार काल की कथा में यह बताएं कि चैत्र का महीना बड़ा ही पवित्र महीना और मध्य का दिन , मध्य दिवस अति शीतल ,सुंदर वातावरण जिस समय में न ही अधिक ठंड हो,ना तो बहुत ज्यादा गर्मी ऐसे समय मंगलवार का दिन शीतल मंद , हवा,समस्त देवी देवता ब्रह्मा जी सहित जब जानकारी हुई कि भगवान अवतार लेने वाले हैं ।

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Ram Navami: भगवान ने जन्म नहीं लिया, वो प्रकट हुए

भगवान का आनंद लेने के लिए भगवान के बल, रूप का दर्शन करने के लिए यक्ष, किन्नर,गंधर्व सहित समस्त देवता हाथ में फूल लेकर भगवान के स्वागत के लिए खड़े हैं, इसलिए तुलसीदास जी ने एक शब्द इतना बढ़िया नाम दिए,उसमें सब समय थे जग निवास, जिसका संसार में निवास है वहीं प्रकट हो रहा है ,जन्म नहीं लिए प्रकट हुए अव्यक्त से व्यक्त हुए , कौशल्या के लिए।

Ram Navami
Ram Navami

कौशल्या ज्ञान है, ज्ञान की रक्षा के लिए, ज्ञान से ऋषियों को आनंद देने के लिए भगवान आते है,जब भगवान प्रकट हुए ,माता कौशल्या बहुत प्रसन्न हुई, इस अद्भुत रूप को देखकर, षोडश वर्षीय हाथ में शंख,चक्र ,गदा, पीतांबर धारी माता कौशल्या आश्चर्यचकित रह गई आप किस तरह प्रकट हो गए , भगवान ने कहा आप इसी तरह बोली थी ।

Ram Navami:*जेहि रूप बसे शंभू मन माहीं*….

*जेहि रूप बसे शंभू मन माहीं*... हम प्रकट हो गए अब बताइए माता क्या आज्ञा है? कौशल्या मैया भगवान का रूप देखकर के बहिर्मुखी नहीं रह गई अंतर्मुखी हो गई ,जब भगवान का रूप देखती हैं अंतर्मुखी कौशल्या जी को ज्ञान हुआ है ।

यह साक्षात नारायण क्योंकि कौशल्या जी को तपस्या के समय ही सतरूपा के समय में अदिति के रूप में मांग के आ गई थी कि हमें पता चले कि आप नारायण हो हमें जानकारी होनी चाहिए तो जब जानकारी हुई यह ज्ञान हुआ, प्रभु मुस्कुराने लगे,माता कहती है हमे जिस रूप में चाहिए वैसा आप करो,भगवान कहते है अब आप समझ गई कि मैं नारायण हूं आपकी आज्ञा अनुसार में आपका पुत्र बनकर आया हूं इतना आपको ज्ञान हो गया और अपने भगवान समझकर के मुझे अपने हृदय में धारण कर लिया, माता अंतर्मुखी होकर भगवान का दर्शन करने लगी।

आप नारायण है हम ब्रह्म हैं सो मति डोली… कौशल्या जी की मति में बदलाव आया सो मति से भटक जाना बात को दूसरी तरफ मोड़ देना सोमती डोली जो उस समय विचार आया अब बदल गया,माता कहती है प्रभु अब आपको इस रूप में नहीं अब आप छोटा बन जाइए जब रूप धारण करना ही है ।

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आपको तो कुछ भी धारण कर लीजिए छोटे बन के रोना शुरू कर दिजीए,लोग समझ सके कि आप आ गए, हम तो जान गए ,भगवान ने कहा माता क्या करना है ? माता ने कहा रोना पड़ेगा, क्योंकि आपको भी बुलाने के लिए हम लोग रोते हैं ,जीव को बुलाने के लिए आपको भी रोना पड़ेगा। भगवान छोटा शिशु बनाकर रोने लगते हैं, इस प्रकार से भगवान का अवतार हुआ । कथा बताते हुए गुरुदेव समस्त शिष्य शिष्याओ और देशवासियों को रामनवमी की शुभकामनायें दिए।

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