आरी तुतारी : आँखें ततेरती महंगाई; भैरी हो गई सरकार

by कुलदीप शुक्ला

now swamp of big corruption
Aari Tuutari Satire Now

 

आरी तुतारी व्यंग, कुलदीप शुक्ला | Now Inflation Is Glaring High :  महंगाई को लेकर मध्यम और निम्न वर्ग के परिवार क्या महसूस करते हैं। महंगाई का असर न केवल गरीबों पर, बल्कि मध्यम वर्ग पर भी गंभीर रूप से पड़ता है। आम आदमी के लिए रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करना चुनौती बनता जा रहा है।

बढ़ती कीमतों ने घर के बजट को प्रभावित किया

Now Inflation Is Glaring High : रोजमर्रा की चीजों जैसे किराना, ईंधन, और शिक्षा की बढ़ती कीमतों ने घर के बजट को प्रभावित किया है। महंगाई तो बढ़ती जा रही है, लेकिन आमदनी स्थिर है, जिससे बचत करना मुश्किल हो गया है। कई परिवार अपनी जरूरतों को कम करने या इच्छाओं को मार कर जीवन जीने के लिए मजबूर हैं।

Now Inflation Is Glaring High :  पक्ष और विपक्ष दोनों महंगाई को राजनीतिक मुद्दा बनाते

अक्सर देखा गया है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों महंगाई को राजनीतिक मुद्दा बनाते हैं। सत्ता पक्ष इसे वैश्विक कारणों से जोड़ता है, जबकि विपक्ष इसे सरकार की असफलता के रूप में प्रस्तुत करता है। लेकिन दोनों ही पक्ष आम जनता की वास्तविक परेशानियों पर ठोस और स्थायी समाधान देने में असफल रहते हैं।

Now Inflation Is Glaring High :  सरकारें महंगाई जैसे गंभीर मुद्दों पर ध्यान दें

महंगाई पर नियंत्रण के लिए सशक्त नीतियों और योजनाओं की जरूरत है। जनता को जागरूक होना होगा और नेताओं से उनके कामों का हिसाब मांगना होगा। जनता को अपनी आवाज उठाते रहना होगा ताकि सरकारें महंगाई जैसे गंभीर मुद्दों पर ध्यान दें।

Now Inflation Is Glaring High : भारत की खुदरा महंगाई दर

भारत की खुदरा महंगाई दर अक्टूबर में बढ़कर 6.21% वार्षिक हो गई, जो पिछले महीने 5.49% थी. ऐसा माना जा रहा है कि त्‍यौहारी सीजन में हाई फूड प्राइस के कारण महंगाई दर में इजाफा हुआ है। अगस्त 2023 के बाद यह पहली बार था जब महंगाई भारतीय रिजर्व बैंक की 6% की सहनीय सीमा को पार कर गई ।

Now Inflation Is Glaring High : आरी तुतारी : आँखें ततेरती महंगाई; भेरी हो गई है सरकार
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महंगाई की मार पर एक पंक्ति

अब कमातें है बहुत कुछ पर महंगाई में डूब जाती

पुराने दिन याद आते, जब साइकिल पर यूं ही निकल जाते,
ना थी पेट्रोल की मारामारी, ना थी महंगाई की माया जाल,

साधारण सी थी जिंदगी, बिना किसी सवाल
हवा संग बातें करते, जेबें होती खाली,

दिल में उमंग होती, उम्मीदों से सराबोर होते
जिंदगी का हर पल खूबसूरत था, यकीन था काफ़ी

अब तो हर कदम पर खर्चा, और सपने भी अधूरे रहते

अब कमातें है बहुत कुछ पर महंगाई में डूब जाती 
कुछ पेट्रोल में जलजाता है कुछ दवाई में डूब जाती

कुछ गैस में उड़ जाता, कुछ महंगी राशन और तेल में डूब जाती ,
कहीं प्याज रुला जाती है, तो कहीं आलू और टमाटर लाल कर जाती

हर रोज़ की महंगाई, जेबें खाली कर जाती ,
सपने थे जो सजे हुए, अब महंगाई में बिखर जाती

कमातें है बहुत कुछ, पर महंगाई में डूब जाती
दवाई और ईएमआई में सब कुछ कर दिया बेहाल,

ना सरकार सुध लेती, ना महंगाई रुकने का नाम लेती,
कभी आवाज़ उठाओ तो आँखें ततेरती सरकार,

जनता की चीखें भी अब उन्हें बस शिकायत लगती हैं,
भैरी हो गई है सरकार,

सत्ता की चाहत में हर दर्द, हर मुद्दा
अब नज़रअंदाज किया जाता

कमातें है बहुत कुछ, पर महंगाई में डूब जाती

 


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