मंहगाई की मार समाचार पत्रों को प्रभावित किया, प्रमुख लागत की दाम में लगातार हो रही है वृद्धि

नई दिल्ली 

समाचार पत्रों के सामने कागज की कम उपलब्धता और दाम हो वृद्धि का संकट भी है , इसके साथ-साथ समाचार पत्रों की तीन और प्रमुख लागत- छपाई में इस्तेमाल होने वाली इंक, प्लेट और डिस्ट्रीब्यूशन के दामों में भी काफी वृद्धि हो गया है। इतना ही नहीं, बीते दो वर्षों में समुद्री मालभाड़ा की दरें भी चार गुना तक बढ़ गई हैं। नेचुरल गैस-कोयले की कीमतों में बड़ा उछाल से भी समाचार पत्रों के कागज मिलों पर दबाव बढ़ा है।

अमेरिका समाचार पत्रों के महीने का बिल 7 हजार रु. 

इस सबके बावजूद, देश में आज भी अखबारों की कीमत दुनिया के प्रमुख देशों से बेहद कम है। अमेरिका में जहां अखबार करीब 7800 रुपए महीने की कीमत पर मिल रहे हैं, वहीं भारत में आज भी अखबारों की औसत कीमत लगभग 150 से 250 रुपए महीना है।

समाचार पत्रों की लागत इस तरह बढ़ती जा रही है…

गौरतलब है कि आयातित कागज के दाम 16 महीनों में 175% तक बढ़ चुके हैं। भारतीय कागज भी 110% तक महंगा हुआ है। जहां समाचार पत्रों की लागत में 50 से 55% मूल्य कागज़ का होता है। वहीं छपाई में इस्तेमाल होने वाली इंक-प्लेट और डिस्ट्रीब्यूशन की वजह से लागत 10 से 15% और बढ़ जाती है। वहीं कोविड में समाचार पत्रों की विज्ञापनों से होने वाली आय भी कमी आई है।

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