तन संसार में और मन भगवान में परम आनंद की प्राप्ति होती है – गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी (गुरुजी )

परम पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी (गुरुजी)
अध्यात्म
परम पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी (गुरुजी ) प्रयागराज ने कथा के माध्यम से यह बताए कि जब हम 24 घंटे भगवान में मन लगाते हैं और संसार में शरीर से कर्म करते हैं परमानंद में रहते हैं , पाप -पुण्य, लाभ- हानि, सुख-दुख सबकी चिंता छोड़कर के शरीर से संसार में कर्म करना और मन भगवान में लगाना तब परम आनंद की प्राप्ति होती है।
मन और शरीर दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं लेकिन दोनों का कार्य अलग-अलग है  जब मन भगवान में लगा हुआ है तो अति उत्तम होता है तब भगवत की प्राप्ति हो जाती है, लेकिन मन अगर भगवान में ना लगा हो और शरीर से कर्म होता जाए केवल , तब भगवत प्राप्ति की संभावना नहीं होती फिर हम लोग अपने आपको दिखावा करते हैं,  कि हम भक्ति कर रहे हैं पूजा कर रहे हैं।
24 घण्टा जब भगवान में मन लगा रहे और हम कर्म करते चले जाते हैं और जिस समय हम कोई शरीर से गलत कर्म कर रहे हैं या शरीर से और दिमाग से कुछ गलत सोच रहे हैं , आडंबर ,पाखंड से ,कुप्रवृत्ति से प्रभावित होकर कोई बात मन में चलने लग गई और शरीर से इस तरह का कर्म करने लग गए वह कर्म करते समय यह याद रहा कि इस समय भी भगवान देख रहे हैं हमसे जुड़े हुए हैं, नोटिस कर रहे हैं अगर गलत करते समय ,पाप करते समय ,अगर यह याद रहे कि अभी भगवान देख रहे हैं, कि हम यह कर रहे तब भगवान में मन लगा रहता है ।
यदि यह करते समय भूल जाए भगवान को उस टाइम में तत्क्षण, कुछ पल ,कुछ मिनट ,कुछ सेकंड के लिए, भगवान का स्मरण भूल जाएं और शरीर से गलत काम हो जाए तो भगवान में मन लगा हुआ नहीं था यही पहचान होती है । जो हमेशा यह सोचते हैं कि भगवान देख रहे हैं उससे कुछ गलत होता भी नहीं और अगर गलत होते जा रहे हैं गलत करते जा रहे हैं गलत सोच रहे है मन भगवान में नहीं लगा हुआ है ।  यही अपनी पहचान है इस बात को हम जान सकते हैं।
भगवान कृष्णा अर्जुन से कहते हैं कि-सर्व धर्म परित्यज्य……..
मेरी ही भक्ति करो ,मुझे नमस्कार करो ,मुझे ही प्रणाम करो ,मेरा ही नाम चिंतन करो ,मेरा ही स्मरण करो, मेरे में मन लगाओ  भगवान कृष्ण कहते हैं मेरे मे;मन लगाओ और युद्ध करो दो तरह की बातें कर रहे हैं भगवान कृष्ण दो तरह की बातें कर रहे हैं मन भगवान में संसार में संसार में शरीर से कर्म करना।  मन संसार में ना लगे दुखी हो जाएगा इंसान , और जब मन भगवान में 24 घंटा लगा रहेगा और संसार में शरीर से कर्म करेंगे तो इंसान परमानंद में हो जाएगा सुखी ही नहीं अपितु परमआनंद  प्राप्त करेगा , आनंद ही आनंद रहेगा । अर्जुन ने कहा कि ठीक है हम युद्ध करेंगे और मन भी भगवान में लगा लेंगे , कठिन से कठिन काम किसी को कह दिया जाए तो अपने को अच्छा बनाने के लिए कह देते हैं कि हां हम यह कर लेंगे । अर्जुन ने कहा जब आप मुझे अपना प्रिय मान लिए हो इस गोपनीय  बातें हमसे कह दिया मन आप में लगा लेंगे लेकिन जब हम मारेंगे उसका पाप होगा उसके बारे में भी बता दो ?  अर्जुन फिर से पूछा,  अप में मन लगा दिया शरीर संसार में लगा दिया संघर्ष शुरू कर दिए लेकिन जब पाप मिलेगा उसका क्या होगा ? भगवान मुस्कुराते हुए कहते है
मैं तुम्हें सभी पापों से मुक्त कर दूंगा । भगवान मुक्त करते भी हैं हनुमान जी ने लंका में कितने राक्षसों को मार डाला लेकिन उसको पाप नहीं लगा, क्योकि शरीर से कर्म किए मन राम में था, लंका में कितने ब्राह्मणों की हत्या हुई कोई पाप लगा क्या ? नहीं लगा, क्यों कि हनुमान जी किसी को मार रहे हैं तो शरीर से ,गदा से ,पूँछ से मार रहे हैं उनका मन भगवान में ही है 24 घंटे । हनुमान जी जो भी कर रहे हैं मन भगवान में लगा हुआ है जब मन भगवान में लगा रहता है उसको कोई पाप और पुण्य होता ही नहीं भगवान को अर्पण हो जाता है , सब कुछ समर्पण हो जाता है । सब कुछ परमात्मा ही है परमात्मा अपने आप सभी पापों से मुक्त करते चला जाता है । भगवान राम सभी राक्षसों को भी बैकुंठ दे दिए सब को मुक्त कर दिए। पाप सबका समाप्त कर दिए, भगवान सब को मुक्त कर देते हैं। त्रेताकाल में भी यही हुआ है द्वापर में भी यही बताया गया है गीता में भी यही बताया गया है।
श्रीमती कल्पना शुक्ला

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