रायपुर । Big Allegation : मोदी के राज में आम आदमी और गरीब हुआ पूंजीपति और अमीर हुये। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि मोदी सरकार गरीबों के लिये घातक साबित हुई है। मोदी सरकार के पिछले 10 वर्षों में देश में आर्थिक असमानता बढ़ी है।
Big Allegation : आम जनता को लूटकर अपने मित्रों की तिजोरिया भरी गयी है। आटा, दही, पनीर, दवाई, खाद, बीज, कीटनाशक, कृषि उपकरण, कॉपी किताब और कफ़न के कपड़े तक पर जीएसटी लगाया। देश के सबसे गरीब 50 प्रतिशत आबादी जीएसटी का 64 प्रतिशत दे रहा है।
लेकिन तमाम राहत, रियायत और सब्सिडी पूंजीपति मित्रों को दी जा रही है। क्रूड मिल 2014 की तुलना में 40 प्रतिशत कम होने के बावजूद डीजल पेट्रोल के दाम डेढ़ गुना अधिक है। 38 लाख करोड़ से अधिक की राशि केंद्र की मोदी सरकार ने केवल डीजल पेट्रोल से अतिरिक्त मुनाफाखोरी करके देश की जनता के जेब में डकैती डालकर वसूला है।
Big Allegation : देश की 20 प्रतिशत आबादी मात्र 46 रू. रोजाना पर गुजर बसर करने मजबूर है, लेकिन मोदी के मित्र हजार करोड़ से अधिक रोज का कमा रहे हैं। मोदी की वादाखिलाफी और जन विरोधी नीतियां उजागर हो चुकी है, इस लोकसभा चुनाव में जनता, मोदी के कुशासन से मुक्ति पाएगी।
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Big Allegation : प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि पिछले 10 साल से आम जनता को राहत मिलने की बजाय जब बेरोजगारी, महंगाई आर्थिक तंगी का बोझ बढ़ता ही जा रहा है तो भला भाजपा सरकार जनता को कर्ज में क्यों डुबो रही है? आजादी के बाद से वर्ष 2014 तक, 67 सालों में देश पर कुल कर्ज 55 लाख करोड़ था।
पिछले 10 वर्ष में अकेले मोदी जी ने इसे बढ़ाकर 205 लाख करोड़ पहुंचा दिया। मोदी सरकार ने लगभग 150 लाख करोड़ कर्ज लिया बीते 10 साल में। आज देश के हर नागरिक पर लगभग डेढ़ लाख का औसत कर्ज बनता है। मोदी सरकार बताये कि इतने बड़े कर्ज का यह पैसा राष्ट्रनिर्माण के किस काम में लगा ?
Big Allegation : प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि जिस बड़े पैमाने पर कर्जा लिया गया उसी बड़े पैमाने पर नौकरियाँ पैदा नहीं हुईं? हकीकत में 10 सालों में दरअसल नौकरियाँ तो गायब हो गईं? न किसानों की आमदनी दोगुनी हो गई? न स्कूल और अस्पताल चमक उठे? इसके अलावा पब्लिक सेक्टर कमजोर कर दिया गया? न ही बड़ी-बड़ी फ़ैक्ट्रियाँ और उद्योग लगाये गये? फिर मोदी सरकार ने कर्जा क्यों लिया?
Big Allegation : अर्थव्यवस्था के कोर सेक्टर्स में बदहाली देखी जा रही है, अगर श्रम शक्ति में गिरावट आई है, अगर छोटे-मध्यम कारोबार तबाह कर दिए गए – तो आखिर यह पैसा गया कहाँ? किसके ऊपर खर्च हुआ? इसमें कितना पैसा बट्टे खाते में गया? बड़े-बड़े खरबपतियों की कर्जमाफी में कितना पैसा गया? मोदी सरकार जवाब देने की स्थिति में नहीं है।