जीवन है अनमोल,लोग पापी कहलाते।
विद्या को व्यापार,बना जो खूब कमाते।।
जीवन है अनमोल, कौन धन शोभा पाता।
रक्षा खातिर धर्म, खर्च जो भी हो जाता।।
जीवन हैअनमोल,सुनो,गृहिणी क्या करती।
घड़ी सुईयों संग ,लटककर रोज विचरती।।
जीवन है अनमोल,पिता कब काँटें बिनते।
बच्चों का अधिकार ,पढ़ाई का जब छिनते।।
जीवन है अनमोल, गुरूजी रक्षा करते।
समय अगर विपरीत, हमेशा संग विचरते।।
-: कवि बल्लू-बल