कवि सम्मेलन क्या है…?
सोनपुर का पशु मेला है..
जिसमें तरह तरह का खेला है…
इसमें जिराफ़ से लेकर चीटी तक हैं.!
और हाथी से लेकर टिड्डी तक हैं…!
यह गोल गोल गप्पों का ठेला है..!
जिसे सिर्फ़ शरीफों ने झेला है….!
शेरों के झुंड में बकरा अकेला है …!
इसमें सांप और नेवले की लड़ाई है,
यह एम ए, पी एचडी से ऊपर की पढ़ाई है,
पीर फ़कीर की चादर और चढ़ावा है!
चेचक, हैजा और घेंघा क्या चीज़ हैं,
इसमें कोरोना की भी दवाई है..!
इसमें रक्तपान होता है…!
युद्धों से भी तगड़ा घमासान होता है..!
हुस्न का भी शाही स्नान होता है….!
और तो और !
यहां गदहों का रेंकना भी मधुर तान होता है…!
ठीक वैसे ही जैसे नेताजी के भाषणों के बाद मतदान होता है…
और खूब ध्यान लगाकर कविता सुनना ही कवि सम्मेलन का महादान होता है!
जो कवि श्रोताओं का जितना खून पीएगा …
सच है वह उतना ही ज्यादे जीएगा…
ताली नहीं बजाने और लाफ्टर नहीं देने से कवि मर जाएगा…!
और अपना सा मुंह लिए कैदी जैसा ही अपने घर जाएगा…!
तो प्लीज प्लीज प्लीज!
ताली बजाते रहिए…!
और फरमाईसों फरमाइस
बढ़ाते रहिए…..!
और! बहुत बढ़िया..
बहुत सुंदर के नारे लगाते रहिए…!
यहां वीर रस पर हंसना पड़ेगा आपको!
और हास्य पर मुंह लटका कर रोना…!
बहुत सिम्पल है!
करुण पर गुस्साना है…
और वेदना रोवां फड़फड़ाना…!
गीत, ग़ज़ल, मुक्तक पर आपस में बतियाते रहिए!
और! श्रृंगार पर मोबाईल से चैटियाते रहिए…!
पर! ताली जरूर बजाते रहिए…!
अंत में,आपको असली बात बताता हूं!
किसी को, मेरी समझ ना आएगी..
और मैं किसी की समझ नहीं पाता हूं.!
माला+माईक ×मंच+ढेर सारा प्रपंच साथ में बुके×साल+ढेर सारा माल=आप भी खुशहाल और हम भी खुशहाल…!
यह सूत्र है!
आप चाहें तो याद कर सकते हैं!
और! होटल+गाड़ी×हवाई सवारी
का प्रबंध कर सकते हैं!
तो हम फिर आएंगे…!!
और यही कविता,
आपको बार बार सुनाएंगे…!!
-:कवि आशुतोष त्रिपाठी