Hartalika Teej Vrat : हरतालिका तीज का निर्जला व्रत कथा, जानें पूजा विधि, सामग्री और व्रत नियम..

अध्यात्म.

भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए हरतालिका तीज का निर्जला व्रत रखतीं हैं. आइए जानते है इस व्रत से जुड़ी पूरी जानकारी…

हरतालिका तीज व्रत नियम

हरतालिका तीज व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है. कई जगहों पर महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती और श्रीगणेश की कच्ची मूर्ति से प्रतिमा बनाती हैं. ये व्रत निर्जला और निराहार रखा जाता है. इस व्रत में अन्न और जल ग्रहण करना मना होता है. व्रत का पारण अगले दिन यानी चतुर्थी तिथि में किया जाता है. व्रत रखने वाली महिलाओं को हरतालिका तीज व्रत कथा जरूर सुननी चाहिए.

हरतालिका तीज व्रत कथा

पौराणिक व्रत कथा के अनुसार, जब पिता के यज्ञ में अपने पति शिव का अपमान देवी सती सह न सकीं. उन्‍होंने खुद को यज्ञ की अग्नि में भस्‍म कर दिया. अगले जन्‍म में उन्‍होंने हिमनरेश के यहां जन्‍म लिया और पूर्व जन्‍म की स्‍मृति शेष रहने के कारण इस जन्‍म में भी उन्‍होंने भगवान शंकर को ही पति के रूप में प्राप्‍त करने के लिए तपस्‍या की.

देवी पार्वती ने तो मन ही मन भगवान शिव को अपना पति मान लिया था और वह सदैव भगवान शिव की तपस्‍या में लीन रहतीं. पुत्री की यह हालत देखकर राजा हिमाचल को चिंता होने लगी. इस संबंध में उन्‍होंने नारदजी से चर्चा की तो उनके कहने पर उन्‍होंने अपनी पुत्री उमा का विवाह भगवान विष्‍णु से कराने का निश्‍चय किया.

पार्वतीजी विष्‍णुजी से विवाह नहीं करना चाहती थीं. पार्वतीजी के मन की बात जानकर उनकी सखियां उन्‍हें लेकर घने जंगल में चली गईं. इस तरह सखियों द्वारा उनका हरण कर लेने की वजह से इस व्रत का नाम हरतालिका व्रत पड़ा. पार्वतीजी तब तक शिवजी की तपस्‍या करती रहीं जब तक उन्‍हें भगवान शिव पति के रूप में प्राप्‍त नहीं हुए. तभी से पार्वतीजी के प्रति सच्‍ची श्रद्धा के साथ यह व्रत किया जाता है.

पार्वती और श‍िवजी की पूजा करें

व्रती महिलाएं सबसे पहले देवी पार्वती और श‍िवजी की पूजा करें. इसके बाद 11 नवविवाहिताओं को सुहाग की पिटारी भेंट करें. ध्‍यान रखें क‍ि इस प‍िटारी में पूरा 16 श्रृंगार होना चाहिए. साथ ही पांच बुजुर्ग सुहाग‍िनों को साड़ी और बिछिया दें. इसके बाद पति के साथ उनके पैर छुएं.

खीर बनाकर माता पार्वती को भोग लगाएं.

हरतालिका तीज के द‍िन भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा के बाद अपने हाथ से खीर बनाकर माता पार्वती को भोग लगाएं. इसके बाद प्रसाद रूप में वह खीर पति को खिलाएं. फिर दूसरे दिन उपवास खोलने के बाद आप भी वही खीर खाएं. इससे दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ता है और जीवन सुखमय होता है.

नवविवाहिताएं इन बातों का रखें ख्याल

मान्यता है कि नवविवाहिताएं जिस तरह व्रत रख लेंगी, उसी तरह से हमेशा इस व्रत को करना होगा. इसलिए इस बात का ध्यान रखना है कि पहले व्रत से जो नियम आप उठाएं उनका पालन करें. अगर निर्जला ही व्रत रखा था तो फिर हमेशा निर्जला ही व्रत रखें. आप इस व्रत में बीच में पानी नहीं पी सकते.

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