Ginger Farming : अदरक की खेती से लाखों की कमाई, कम लागत में मिल रहा ज्यादा मुनाफा

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Ginger Farming : अदरक की खेती से लाखों की कमाई, कम लागत में मिल रहा ज्यादा मुनाफा

नई दिल्ली  | देश में खेती का स्वरूप लगातार बदलता जा रहा है, ऐसे में किसान अगर परंपरागत खेती से इतर नई फसलों की खेती की तरफ रुख करना चाह रहे हैं तो अदरक की खेती उनके लिए एक फायदे का सौदा साबित हो सकती है क्योंकि अदरक का इस्तेमाल चाय से लेकर सब्जी, अचार तक में होता है. सालभर अदरक की मांग होने की वजह से खेती से किसान बंपर मुनाफा कमा सकते हैं.

देश में किसानों की शिकायत रहती है कि रबी-खरीफ की फसलों पर मुनाफा नहीं मिलता ऐसा इसलिए क्योंकि ज्यादातर पुराने किसान आधुनिक फसलों की खेती और तकनीकों में दिलचस्पी नहीं दिखाते हालांकि, पिछले कुछ सालों में थोड़ा बदलाव हुआ है किसानों के बीच जागरुकता बढ़ी है कई किसान अब नई फसलों की खेती कर बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं ऐसे में किसान परंपरागत खेती से इतर नई फसलों की खेती की ओर रुख करना चाह रहे हैं तो अदरक की खेती एक फायदे का सौदा साबित हो सकती है क्योंकि अदरक का इस्तेमाल चाय से लेकर सब्जी, अचार तक में  होता है. सालभर मांग होने की वजह से अदरक की खेती में बढ़िया मुनाफा कमाते हैं.

उपयुक्त जलवायु-अदरक की खेती गर्म और आर्द्रता वाली जलवायु उचित मानी जाती है 1500-1800 मिमी वार्षिक बारिश वाले क्षेत्रों में खेती की जा सकती है फसल के लिए 25 डिग्री सेन्टीग्रेड, गर्मीयों में 35 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान जरूरी होता है, खेती बागों में अन्तरवर्तीय फसल के रूप में होती है.

भूमि का चयन- खेती के लिए जीवाशं या कार्बनिक पदार्थ बलुई दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है. 5-6 ये 6 .5 पीएच मान जरूरी होता है, खेत से उचित जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए और अच्छी उपज के लिए फसल चक्र अपनाना चाहिए.

बुवाई का समय- अदरक की बुवाई का उचित समय अप्रैल से मई का माना जाता है. हालांकि जून में भी बुवाई कर सकते हैं लेकिन 15 जून के बाद बुवाई करने पर कंद सड़न का डर रहता है और अंकुरण पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है.

खेत की तैयारी- अदरक के अच्छे उत्पादन के लिए 10 -12 टन सड़ी गोबर की खाद और 2.5 किलो ट्राईकोडर्मा प्रति एकड़ खेत दर से  खेत में डालना चाहिए, फिर खेत की अच्छे से गहरी जुताई कर पलेवा कर दें जिसके बाद 7 -8 दिन बाद एक बार गहरी जुताई करें. फिर कल्टीवेटर से 2 बार आड़ी-तिरछी गहरी जुताई कर पाटा कर खेत को समतल कर देना चाहिए.

बुवाई- अदरक की बुवाई कतारों में करनी चाहिए, कतारों के बीच की दूरी 30-40 सेंमी रखनी चाहिए, पौधे से पौधे की दूरी 25 सेंमी रखनी चाहिए. अदरक के कंद या पौधे की रोपाई के लिए जमीन में 4 से 5 सेंमी का गड्‌ढा होना चाहिए. उन गड्‌ढों में पौधे या कंद से रोपाई की जा सकती है, गड्‌ढों को मिट्‌टी या गोबर की खाद से भर देना चाहिए. अदरक के साथ पान, हल्दी, लहसुन, प्याज मिर्च जैसी सब्जियों उगा सकते हैं इन फसलों को साथ लगाने से अदरक में कीटों का प्रकोप कम हो जाता है.

सिंचाई- अदरक की खेती में मौसम और जरूरत के हिसाब से समय-समय पर सिंचाई करना पड़ता है.

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