रायपुर : Big Sucssesful Operation : नि:स्वार्थ सेवा, जीवन बचाने की चिकित्सा क्षमता और मानवीय करुणा के कारण डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है। कई बार रोगी की जान बचाने के लिए अपने अधिकतम प्रयास की सीमा से ऊपर उठकर वे रोगी को मौत के मुँह से भी निकालकर ले आते हैं।
कुछ ऐसे ही सेवा, समर्पण और करुणा की परिभाषा और मिसाल कायम करते हुए चिकित्सालय के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की डॉक्टरों ने न केवल महिला का जीवन सुरक्षित किया बल्कि महिला के जटिलताओं से भरे गर्भ को बचाते हुए उसे मातृत्व सुख का अहसास भी दिलाया।
Big Sucssesful Operation : पं. नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय एवं डॉ. भीमराव अम्बेडकर अस्पताल रायपुर के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की टीम ने अत्यंत दुर्लभ और जटिल परिस्थिति में 40 वर्षीय एक गर्भवती महिला की सफल डिलीवरी कर माँ और शिशु दोनों को जीवनदान दिया।
यह मामला सेकेंडरी एब्डोमिनल प्रेग्नेंसी का है, जिसमें भ्रूण गर्भाशय में न होकर पेट (एब्डोमिनल कैविटी) में विकसित हो रहा था। डॉक्टरों के अनुसार यह मध्य भारत का पहला और दुनिया के अत्यंत दुर्लभ मामलों में से एक है।
Big Sucssesful Operation : कई जटिलताएँ और सफल उपचार,दो बार मिला जीवन दान
इस गर्भावस्था के दौरान महिला इमर्जेंसी में चौथे महीने के मध्यरात्रि में अम्बेडकर अस्पताल रेफर होकर आई। स्त्री रोग विभाग ने गंभीरता समझ तुरंत कार्डियोलॉजिस्ट से संपर्क किया और तुरंत एंजियोप्लास्टी हुई।
अम्बेडकर अस्पताल के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में हुई इस प्रक्रिया में डॉक्टरों ने विशेष सावधानी बरती ताकि गर्भस्थ शिशु को कोई हानि न पहुँचे। महिला खून पतला करने की दवाओं पर भी थी, गर्भ सुरक्षित रहा। यह गर्भावस्था के दौरान एंजियोप्लास्टी करने का पहला मामला था।
स्त्री प्रसूति रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. ज्योति जायसवाल स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. रुचि किशोर गुप्ता बताती हैं कि – गर्भावस्था के 37वें हफ्ते में महिला पुन: स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग आई और उसे तुरंत भर्ती किया गया। केस की गंभीरता को देखते हुए गायनी, सर्जरी, एनेस्थीसिया और कार्डियोलॉजी विभाग की संयुक्त टीम बनाई गई।
Big Sucssesful Operation : ऑपरेशन के दौरान हमने पाया कि शिशु गर्भाशय में नहीं, बल्कि पेट में विकसित हो रहा था और आंवल कई अंगों से रक्त ले रही थी। टीम ने सुरक्षित रूप से शिशु को बाहर निकाला। साथ ही भारी रक्तस्राव की संभावना को रोकने के लिए सावधानीपूर्वक चिपकी प्लेसेंटा के साथ गर्भाशय को भी निकालना पड़ा।
दोनों डॉक्टरों का कहना है कि इस केस पर विस्तृत अध्ययन कर इसे अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल में प्रकाशित करने की तैयारी की जा रही है।
माँ और शिशु दोनों स्वस्थ
Big Sucssesful Operation : टीम के अथक प्रयासों से शिशु सकुशल पैदा हुआ और माँ भी पूरी तरह स्वस्थ है। महिला की डिलीवरी के बाद उसमें कोई जटिलता ना आए और उसका शिशु भी पूरी तरीके से स्वस्थ रहे इसके लिए हमने लगातार एक महीने तक महिला एवं शिशु को अस्पताल से डिस्चार्ज के बाद अपने यहां फॉलोअप के लिए बुलाया।
तब हमने इस केस के बारे में बाकी लोगों को जानकारी दी क्योंकि यह शिशु महिला के लिए “प्रेशियस चाइल्ड” है। उसकी कोई संतान नहीं थी। कई वर्ष पूर्व महिला को एक बच्चा हुआ था जो डाउन सिंड्रोम और हृदय रोग से ग्रस्त था और उसकी मृत्यु हो गई। अतः ऐसी महिला को मातृत्व सुख का एहसास कराना हमारे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है।
Big Sucssesful Operation : पं. नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ. विवेक चौधरी एवं अम्बेडकर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने कहा कि कठिन परिस्थितियों में मरीज जब अस्पताल आई, तब स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की टीम ने अद्भुत तत्परता और समर्पण के साथ उसका जीवन बचाया।
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा ही इस कार्य में सभी टीमों ने आपसी सहयोग और समन्वय की मिसाल पेश की। यह सामूहिक प्रयास चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल परिवार की उत्कृष्ट कार्य संस्कृति को दर्शाता है।
पूरी चिकित्सक टीम इस सफलता की हार्दिक बधाई की पात्र है। आशा है कि भविष्य में भी इसी एकजुटता और समर्पण के साथ संस्थान निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर रहेगा।
विशेषज्ञों की राय
Big Sucssesful Operation : डॉ. ज्योति जायसवाल ने बताया कि सेकेंडरी एब्डोमिनल प्रेग्नेंसी एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का वह रूप है, जिसमें भ्रूण पहले गर्भाशय/ट्यूब में ठहरता है और बाद में पेट के अंगों में जाकर विकसित होने लगता है। यह माँ के लिए अत्यंत खतरनाक स्थिति होती है और अधिकांशतः भ्रूण जीवित नही रहते। ऑपरेशन ही इसका एकमात्र समाधान है।
”सेकेंडरी” इसलिए कहा जाता है क्योंकि संभवतः भ्रूण पहले गर्भाशय/फैलोपियन ट्यूब में ठहरता है और प्रारम्भिक समय में ही वहां से हट कर पेट के अंगों (जैसे- आंत, लिवर, स्प्लीन या ओमेंटम या गर्भाशय की बाहरी सतह ) पर जाकर चिपक जाता है। Big Sucssesful Operation
यह माँ के लिए बेहद खतरनाक स्थिति है, क्योंकि इसमें भारी रक्तस्राव और जटिलताओं का खतरा रहता है। माँ और शिशु की जान का पूरा जोखिम रहता है।
डॉक्टरों की टीम
Big Sucssesful Operation : इस ऑपरेशन में स्त्री रोग विभाग से डॉ. ज्योति जायसवाल, डॉ. रुचि किशोर गुप्ता, डॉ. सुमा एक्का , डाॅ. नीलम सिंह, डाॅ. रुमी, एनेस्थीसिया विभाग से डाॅ. शशांक, डाॅ. अमृता , जनरल सर्जरी विभाग से डॉ. अमित अग्रवाल (मल्टीडिसीप्लीन टीम) थी।
ऑपरेशन के बाद भी मरीज के स्वास्थ्यलाभ के लिये स्त्री रोग विभाग, कार्डियोलॉजी विभाग और मेडिसिन विभाग से विशेषज्ञ शामिल रहे। मरीज एवं उनके परिवार ने भी डॉक्टर्स की टीम के प्रति अपना आभार प्रकट किया।
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