54 विभागों के अधिकारी वित्त को देंगे रिपोर्ट, महालेखाकार को भेजी अधूरी जानकारी

भोपाल
प्रदेश के विभिन्न सरकारी विभाग बार-बार निर्देशों के बाद भी वित्तीय लेखों की सही और पूरी जानकारी नहीं दे रहे है। इसके कारण महालेखाकार कार्यालय इस वर्ष के अंतिम लेखे तैयार नहीं कर पा रहा है। अब वित्त विभाग ने सभी विभागों के वित्तीय सलाहकार और फायनेंस अफसरों को जानकारी के साथ सोमवार, मंगलवार को तलब किया है।

हर साल 31 मार्च की स्थिति में वित्तीय खातों की पूर्ण जानकारी प्रधान महालेखाकार को 15 अपै्रल तक भेजना आवश्यक होता है। लेकिन महालेखाकार कार्यालय ने वित्त विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर बताया है कि विभागों द्वारा जो जानकारी भेजी गई है वह या तो अपूर्ण है अथवा भेजी ही नहीं गई। इसके कारण वित्त लेखों को पूर्ण रूप देने में समस्या हो रही है। वित्त विभाग ने वित्त लेखों के पांच तरह के विवरण पत्रक विभागों के अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिवों को भेजे है। इनकी जानकारियां पिछले वर्षों की भी नहीं दी गई है।  

अब वित्त विभाग ने 19 और 20जुलाई को पूर्ण जानकारी के साथ मंत्रालय में सभी विभागों के वित्तीय सलाहकारों और वित्त अधिकारियों को बुलाया है। सबसे पहलीे खनिज विभाग को शाम चार बजे से सवा चार बजे के बीच बुलाया गया है। सभी विभागों को अपनी जानकारी देने के लिए पंद्रह-पंद्रह मिनट का समय दिया गया है। कुल 54 विभागों ने आधी-अधूरी जानकारी दी है इसलिए इन सभी विभागों के अधिकारियों को बुलाया गया है।

विभिन्न संस्थानों को सरकार द्वारा दिएगए कर्ज और अग्रिम की कितनी राशि दी गई और कितनी राशि बाकी है यह जानकारी मांगी गई है। विश्वविद्यालयें और शैक्षणिक संस्थानों पर वर्ष 2019 तक 218 करोड़ 85 लाख रुपए बाकी है उसके बाद की जानकारी विभाग ने नहीं भेजी है। नगर पालिका, नगर परिषद तथा नगर निगम के उपर 438 करोड़ 81 लाख रुपए बाकी है।

शहरी विकास प्राधिकरणों को 1642 करोड़ रुपए के बकाया का हिसाब देना है। गृह निर्माण मंडल पर 175 करोड़ 49 लाख रुपए बाकी है। पंचायती राज संस्थन पर 51 लाख रुपए बाकी है। सांविधिक निगम पर 6290 करोड़ रुपए अंौर सरकारी कंपनियों पर 25193 करोड़ रुपए बाकी है। सहकारी समितियों, सहकारी निगम और बैंको पर 6673 करोड़ रुपए बाकी है। शासकीय कर्मचारियों को दिए गए कर्ज और अग्रिम की राशि 19 करोड़ बाकी है। कुल 42143 करोड़ रुपए के ऋण और अग्रिम का हिसाब देना है और उसके बाद क्या प्राप्त हुआ और क्या जमा किया इसका हिसाब भी विभागों को देना है।

वर्ष के दौरान सकार के मुख्य नीतिगत निर्णय और बजट में प्रस्तावित नई योजनाओं में राज्य, केन्द्र से कितनी राशि मिली, कर्ज कितना लिया गया। इन योजनाओं पर कितनी राशि खर्च की गई इसका भी पूरा ब्यौरा मांगा गया है।

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