1734 बच्चों पर शोध के बाद दावा, छह दिन में स्वस्थ हो गए संक्रमित बच्चे

लंदन
कोरोना संक्रमण के बाद बच्चों में लंबे समय तक स्वास्थ्य संबंधी तकलीफ की गुंजाइश कम है। ब्रिटेन के किंग्स कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों ने 1734 बच्चों पर अध्ययन के बाद कहा, अधिकतर बच्चों में संक्रमण का कोई लक्षण नहीं था। जिन बच्चों में लक्षण था वो एक सप्ताह में स्वस्थ हो गए थे।

लैंसेट जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों ने कोरोना की चपेट में आने वाले बच्चों की निगरानी के बाद ये दावा किया है। ये भी स्पष्ट किया कि बच्चों में संक्रमण के कारण स्वास्थ्य संबंधी तकलीफ औसतन छह दिन रही। वे चार सप्ताह में स्वस्थ हो गए।

वैज्ञानिकों ने शोध पत्र में बताया कि अध्ययन में शामिल 4.4 फीसदी यानी 77 बच्चों को एक माह तक कोई न कोई स्वास्थ्य संबंधी तकलीफ रही। वहीं दो फीसदी से भी कम बच्चे रहे जिन्हें आठ सप्ताह बाद भी संक्रमण के लक्षणों के कारण परेशान रहना पड़ा। ऐसे बच्चों को नियमित डॉक्टरी निगरानी में रखा गया था।

रिपोर्ट में ये भी स्पष्ट किया है कि संक्रमण के बाद बच्चों में सामान्यत: लंबे समय तक थकान जैसे लक्षण थे। इसके अलावा सिर में दर्द, सूंघने की क्षमता में कमी की तकलीफ रही। प्रमुख शोधकर्ता प्रो. एमा डनकन बताती हें कि शोध से ये पता चला है कि बच्चों में संक्रमण के कारण लंबे समय तक स्वास्थ्य संबंधी तकलीफ की गुंजाइश कम है।

वाशिंगटन। कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट से जूझ रहे अमेरिका की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की ताजा साप्ताहिक रिपोर्ट के अनुसार देश के अलग-अलग राज्यों में कुल 94 हजार से अधिक बच्चे संक्रमण की चपेट में आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार फलोरिडा, अरकंसास और लुसियाना में हालात अधिक खराब हैं। न्यू ऑरलीनस के फिजिशियन डॉ. मार्क क्लाइन का कहना है कि बच्चों में संक्रमण की दर बढ़ गई है। ये चिंता का विषय है। अस्पतालों में भर्ती होने वाले बच्चों की भी संख्या बढ़ रही है जो संकेत कर रहा है कि वायरस अब बच्चों को अपनी चपेट में लेने लगा है। एजेंसी

अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की प्रेसिडेंट डॉ. ली सेवियो का कहना है कि अमेरिका में 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को टीका लगाया जा रहा है। अब वक्त आ गया है कि पांच से ग्यारह वर्ष के बच्चों को भी टीका लगना चाहिए। तभी संक्रमण को बेकाबू होने से रोका जा सकता है, क्योंकि अस्पताल में भर्ती होने वाले बच्चों की संख्या बढ़ रही है।

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