राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश बनेगा अग्रणी राज्य -विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम

मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम

सतना

भारत रत्न नानाजी देशमुख की 12वीं पुण्यतिथि पर उनके शैक्षिक चिंतन पर आयोजित नानाजी की दृष्टि में राष्ट्र निर्माणःराष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिदृश्य में, विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन रविवार को चित्रकूट के विवेकानंद सभागार में हुआ। इस मौके पर 12 राज्यों के 35 कुलपतियों एवं विद्धतजनों के विचार मंथन उपरांत राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रभावी और समग्रता के साथ पंच सूत्रीय चित्रकूट संकल्प के समावेश से लागू करने पर विचार मंथन किया गया।

समापन सत्र की अध्यक्षता मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम ने की। संतोषी अखाड़ा के महंत राम जी दास मार्गदर्शक उत्प्रेरक के रूप में उपस्थित रहे। मध्यप्रदेश शासन के वन मंत्री एवं सतना जिले के प्रभारी मंत्री डॉ कुंवर विजय शाह, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री कमल पटेल, संस्कृति, पर्यटन एवं धर्मस्व विभाग मंत्री ऊषा ठाकुर, स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री इंदर सिंह परमार, पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्यमंत्री रामखेलावन पटेल, खजुराहो सांसद बीडी शर्मा, सतना सांसद गणेश सिंह, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ त्रिलोचन महापात्रा, महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर भरत मिश्रा, पूर्व कुलपति एवं संगोष्ठी के संयोजक प्रो नरेश चंद्र गौतम, दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव अतुल जैन एवं संगठन सचिव अभय महाजन मंच पर उपस्थित रहे। सभी विशिष्ट जनों ने नाना जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनके व्यक्तित्व पर अपने-अपने क्षेत्रों में समाज और राष्ट्र के कार्य करने का आह्वान किया।

अध्यक्षीय उद्बोधन में विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा कि बहुत वर्षों की प्रतीक्षा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में यह महत्वपूर्ण राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 बनी है। अब यह हम सब के ऊपर है कि हम सब दृढ़ता से और परिपूर्ण रूप में इसे लागू करें। यदि हम पीछे रह जाते हैं तो हमें पहले की तरह शिक्षा नीतियों को अपनी समस्याओं के लिए दोषी ठहराने का आधार नहीं रह जाएगा। उन्होने कहा कि साम्राज्य को कायम रखने के उद्देश्य से शिक्षा की मैकाले पद्धति ने हमारी संस्कृति और विरासत को नुकसान पहुंचाया। अब पूरी ताकत से राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मध्यप्रदेश में क्रियान्वित करें, ताकि दूसरे प्रदेशो के लिये प्रेरणा मिल सके।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री कमल पटेल ने किसानों की समृद्धि के लिए राज्य सरकार के संकल्प को दोहराते हुए कहा कि किसानों का कल्याण सर्वाच्च प्राथमिकता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों से कृषि उत्पादकता को जोड़ कर हम अनेक प्रयास कर रहे हैं। प्रदेश में खेती की लागत को कम करते हुये जैविक और प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिससे किसान आत्मनिर्भर बनेंगे।

सतना जिले के प्रभारी मंत्री डॉ कुंवर विजय शाह ने चित्रकूट को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए राज्य सरकार के प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि तीर्थ यात्रियों के लिए सुविधा, सस्ता और स्वास्थ्य कर भोजन तथा सुरम्य वातावरण देने के लिए सरकार अनेक परियोजनाओं पर कार्य कर रही है। उन्होने बताया कि कामतानाथ परिक्रमा के विकास और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिये 20 करोड़ रुपये की योजना बनाई है। जिस पर काम कर रहे हैं।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्यमंत्री रामखेलावन पटेल ने कहा कि गांव के समग्र विकास के बारे में जो नाना जी का चिंतन था उसे पूरे देश में पहुंचाने का प्रयत्न होना चाहिए। आत्म निर्भरता, स्वाबलंबन और प्राकृतिक जैविक खेती को गांवो में पुनः विकसित करने की जरुरत है।

स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पहली बार प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक एक ही दस्तावेज बनाया गया है, जिससे पूरी नीति में संपूर्ण शैक्षिक परिदृश्य के बारे में एकरूपता दिखती हैं।

खजुराहो सांसद बीडी शर्मा ने कहा कि नानाजी के ग्रामीण विकास के चित्रकूट मॉडल को पूरे देश में फैलाने की जरूरत है। अलग-अलग संस्थाएं और सरकारें इस दिशा में कार्य करें तो शीघ्र ही परिणाम मिलेंगे। उन्होने कहा कि आज की शिक्षा नीति में नानाजी की सोच और विचार चिंतन का समावेश किया गया है। मूल्य आधारित शिक्षा और गांव स्वाबलंबी बनें, इसके लिये प्रधानमंत्री जी ने शिक्षा नीति को धरातल पर उतारने का कार्य किया है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ त्रिलोचन महापात्रा ने कृषि शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप बदलाव की चर्चा करते हुए सरकार के कार्यों की सराहना की। संतोषी अखाड़ा के महंत राम जी दास महाराज ने नाना जी को एक आध्यात्मिक विभूति निरूपित किया और उनके बताए रास्ते पर चलने की सीख दी।

सतना सांसद गणेश सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर यह वैचारिक मंथन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके प्रभावी क्रियान्वयन से आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन का जो वातावरण बनेगा उससे उद्यमिता का भाव प्रोत्साहित होगा। नानाजी का व्यक्तित्व और कृतित्व हम सबके बीच है। प्राकृतिक खेती गांवो के स्वाबलंबन, रासायनिक पदार्थो से भूमि की मुक्ति के प्रयास आज पूरे देश में चल रहे हैं। उन्होने म.प्र. की प्रमुख नदियों के तट की भूमि को जैविक खेती से परिपूर्ण करने की आवश्यकता जताई।

संगोष्ठी के समापन सत्र का प्रारंभ नानाजी के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। संगोष्ठी संयोजक एवं पूर्व कुलपति प्रो एनसी गौतम ने संगोष्ठी के निष्कर्ष के रूप में पांच सूत्रीय चित्रकूट संकल्प पत्र प्रस्तुत किया। दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव अतुल जैन ने स्वागत भाषण दिया। संगठन सचिव अभय महाजन ने आभार व्यक्त किया। संचालन महाप्रबंधक अमिताभ वशिष्ठ ने किया। अतिथियों को ग्रामोदय विश्वविद्यालय की ओर से कुलपति प्रो भरत मिश्रा एवं दीनदयाल शोध संस्थान की ओर से उपाध्यक्ष निखिल मुण्डले ने प्रतीक चिन्ह एवं समग्र साहित्य भेंट किया। ज्ञातव्य है कि यह संगोष्ठी दीनदयाल शोध संस्थान और महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई थी। इस मौके पर म.प्र. गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल के अध्यक्ष आशुतोष तिवारी (कैबिनेट मंत्री दर्जा), म.प्र. पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष रघुराज कंसाना (कैबिनेट मंत्री दर्जा), मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष विनोद गोटिया (कैबिनेट मंत्री दर्जा), सांसद खंडवा ज्ञानेश्वर पाटिल, पूर्व मंत्री एवं विधायक रीवा राजेन्द्र शुक्ल, विधायक रामपुर बघेलान विक्रम सिंह, कलेक्टर अनुराग वर्मा, पुलिस अधीक्षक धर्मवीर सिंह, सीईओ जिला पंचायत डॉ परीक्षित राव एवं एसडीएम पीएस त्रिपाठी उपस्थित थे।

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