यूएई ने भारत से खरीदे गेहूं को बेचने पर 4 माह का बैन लगाया, गेहूं संकट के बीच यूएई ने भारत से मांगा था गेहूं

नई दिल्ली,

संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई ने भारत से खरीदे गए गेहूं को लेकर एक बड़ा निर्णय किया है। उसने भारत से आने वाले गेहूं और गेहूं के आटे को अपने देश से बाहर बेचने यानी निर्यात करने के लिए चार माह तक रोक लगा ​दी है। दरअसल, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गेहूं के संकट के बीच विश्व के दूसरे सबसे बड़े गेहूं उत्पादक देश भारत ने 13 मई को अपना गेहूं निर्यात करने पर रोक लगा दी थी। हालांकि बाद में कुछ शर्तों के साथ इन निर्णय को शिथिल किया था। इसी बीच यूएई ने संकट के बीच भारत से गेहूं मांगा था, तो भारत ने उसे यह खेप भेजी थी।

दरअसल, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई परिस्थितियों की वजह से गेहूं का संकट गहराया हुआ है। यूएई की एजेंसी डब्ल्यूएम के अनुसार यह रोक सभी प्रकार के गेहूं और आटे पर होगी। बता दें कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादन करने वाला देश है। भारत ने यूएई को घरेलू खपत के लिए यह गेहूं दिया है, इसलिए यूएई ने फैसला किया है कि इस खरीदे गए गेहूं की सिर्फ अपने देश में ही खपत करेगा, इसे बेचेगा नहीं l

क्यों लिया गया यह फैसला?

मीडिया के अनुसार खाड़ी के देशों की इकोनॉमी मिनिस्‍ट्री ने इस फैसले का कारण वैश्विक व्‍यापार के प्रवाह में आई रुकावट बताया है, हालांकि उसने यह भी कहा कि भारत ने घरेलू खपत के लिए यूएई को गेहूं के निर्यात की मंजूरी दी थी। यूएई ने एक निर्णय भी लिया है कि जो गेहूं भारत से नहीं खरीदा गया है, उसे भी कंपनियां यूएई सरकार की अनुमति के बिना बाहर नहीं बेच सकेगी।

भारत-यूएई ने फरवरी में किया था निवेश समझौता

बता दें कि यूएई और भारत ने फरवरी में एक व्यापक व्यापार और निवेश समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जो कि एक-दूसरे के सामानों पर सभी शुल्कों की कटौती से जुड़ा हुआ था। इसका मकसद पांच वर्षों के भीतर अपने वार्षिक व्यापार को 100 अरब डॉलर तक बढ़ाना है। व्यापक आर्थिक भागीदारी व्यापार समझौते (सीईपीए) के रूप में जाना जाने वाला ये समझौता 1 मई को प्रभावी हुआ।

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