प्रयागराज में मंत्रोच्चार के साथ धूमधाम से गुरु पूर्णिमा मनाया गया……परमात्मा का दूसरा स्वरूप गुरु ही होता है

प्रयागराज / कल्पना शुक्ला  

गुरु और शिष्य का बहुत बड़ा त्यौहार जिसकी प्रतीक्षा सभी शिष्य शिष्याएं करते हैं ,अनेके स्थान से सभी शिष्य एकत्रित होकर एक साथ प्रयागराज के राम वाटिका में गुरुपूजन और दर्शन के लिए सम्मिलत हुए। कार्यक्रम की शुरुआत मंत्रोच्चार के साथ गुरु पूजन से किया गया।

शिष्यों ने उद्ग़ार व्यक्त किए  

शिष्यों ने अपने अपने उद्ग़ार व्यक्त किए, गुरु के प्रति अपने उद्ग़ार में एनसीआर हरियाणा से हरविंद कोहली जी ने कहा कि गुरु के साथ हृदय से जुड़े और उस पर 100% विश्वास रखें, प्रयागराज से गुरु प्रसाद जी ने कहा कि गुरु के एक दर्शन मात्र से ही हमें यह लगता है कि हम जो चाहते हैं वह पा चुके हैं, रायपुर से डॉ. नीता गुरु गोस्वामी ने अपने उद्ग़ार में कहा कि गुरु के सानिध्यता में स्वयं में काफी सुधार हुआ ,औरंगाबाद से अरविंद कुमार , गुरुग्राम से विनोद उप्पल जी ने कहा कि जीवन में गुरु ना हो तो जीवन ही बेकार है , प्रयागराज से गोपाल शर्मा जी ने भी उद्ग़ार में गुरु के विचारों को व्यक्त करने के लिए समय बढ़ाने की बात कही जिससे सभी शिष्य अपनी उद्ग़ार व्यक्त कर सकें, रायपुर से अभिषेक दुबे ने कहा कि गुरु की सानिध्यता में रहकर अपनी गलतियों की सुधार करना चाहिए और उन्होंने भजन  “गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद, गुरु मेरा पारब्रह्म, गुरु भगवंत” को गुरु चरणों में अर्पित की , डेहरी आन सोन से अर्चना जी ने कहा कि गुरु के बिना जीवन ही नहीं है जैसे स्वास के बिना शरीर नहीं है, बिलासपुर से अश्वनी गुप्ता ने कहा कि गुरु के प्रति भक्तिभाव से समर्पित रहे, औरंगाबाद से सुधीर जी ने भी बहुत सुंदर गुरु वंदना के साथ समा बांधा , रायपुर से डॉ. प्राणेश गुरु गोस्वामी ने भी अपने उद्गार व्यक्त किए, औरंगाबाद से अरुण जी ने गुरु के प्रति अपने उद्गार व्यक्त किए , रायपुर से कुलदीप शुक्ला ने गुरु को शक्ति पुंज और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाले बताये, गुरु चरणों में निर्भरा भक्ति पाने के लिए प्रार्थना कि. रमन जी ने भी अपनी भजन के माध्यम से गुरु जी के चरणों में अपनी बात रखी, इसी तरह अनेक शिष्यों ने अपने गुरु के प्रति अपने भाव व्यक्त किए।

परम पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी (गुरुजी ) का आशीर्वचन 

सभी शिष्यों को आशीर्वचन के रूप में महर्षि वेदव्यास जी के जन्म और उसके बारे में बताए,गुरु पूर्णिमा क्यों मनाया जाता है ? इसका क्या महत्व है ? परम् पूज्य गुरुदेव जी ने यह बताए कि इस दिन जब हम अपने गुरु का दर्शन करते हैं भगवान शिव आशीर्वाद देते हैं। केवल पूजा कर लेने से परम पुण्य के भागी नहीं होते हैं, आज के दिन से गुरु पर्व की शुरुआत होती है आज के दिन से सावन की पूर्णिमा तक एक माह गुरु पर्व होता है ।

जिस तरह आकाश में बादल छाए होते हैं अंधेरा होता है उसी तरह हम भी अज्ञान के अंधेरे में होते हैं , सूर्य के निकलते ही बादल छट जाते हैं उसी तरह गुरु चरणों की सानिध्यता में आते ही अज्ञान रूपी बादल छट जाते है अज्ञान से ज्ञान रूपी प्रकाश में प्रवेश करते हैं ,अज्ञान स्वयं हट जाता है।

गुरु सूर्य के समान तेज है ज्ञान तेज होता है और शीतलता भी है गुरु चंद्रमा के समान शीतल है, जहां पहुंचते ही मन को अपार शांति मिलती हैं ,परमात्मा का दूसरा स्वरूप गुरु ही होता है । अपने गुरु का पूजन कर लेने से ब्रह्मा विष्णु और महेश की पूजा हो जाती क्योंकि गुरु उस सबसे ऊपर परमात्मा स्वरुप है, गुरु की पूजा कर लेने से परमात्मा की पूजा हो जाती है ,गुरु ज्ञान भी देते हैं इशारा भी देते हैं और सहारा भी देते हैं, कभी गरीब अमीर में भेदभाव नहीं करते और जुड़ाव हमेशा अपने गुरु के प्रति होना चाहिए उनके आज्ञा का पालन करना चाहिए,जब सद्गुण जागृत होता है तो हम धर्म से जुड़ते हैं लेकिन जब दुर्गुण जागृत हो जाता है तो हम गलत कार्य से जुड़ते हैं हम सब को अपने दुर्गुण को नहीं अपितु अंदर की शक्ति को जागृत करने की आवश्यकता है और वह हमें गुरु सिखाते हैं। वैराग्य वती की कथा बताते हुए पूज्य गुरुदेव ने यह बताएं कि किस तरह चोर को भी राजा की बेटी वैराग्यवती गुरु मान बैठती है ,

नारद जी स्वयं भगवान विष्णु के कहने पर भी वह अपने गुरु पर ही भरोसा रखती है ,जब उसको पेड़ में बांध दिया जाता है तीन दिन भूखे रहकर बंधन में बंधी होती है गुरु के आने पर ही वह पेड़ से अलग होती है। बलिहारी गुरु आपकी गोविंद दियो बताए इस तरह समर्पण की भावना अपने गुरु के प्रति होनी चाहिए ।

सभी की मंगल कामना और सुखी जीवन के लिए गुरु जी सबको आशीर्वाद दिए । इस कार्यक्रम में औरंगाबाद ,बिहार, गुरुग्राम, बेरू कहीं, रायपुर, बिलासपुर ,भिलाई, कोरबा ,छत्तीसगढ़ से अनेक स्थान से शिष्यगण उपस्थित रहे । प्रयागराज में यह कार्यक्रम बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया गया।

आचार्य अंशुमान जी, मुकेश आचार्य जी ,अजय द्विवेदी आचार्य जी, रवि मोहन पांडे, रमन, गांधी जी,विमल जी,गुरु प्रशाद जी,अजय प्रताप सिंह,गोपाल शर्मा,अशुतोष पांडेय एवं आयोजक मंडल के सभी सदस्यगण आस पास क्षैत्र नागरिक गण  उपस्थित हुये।

कार्यक्रम का संचालन विनय श्रीवास्तव जी ने किया , अंत में भोजन प्रसादी का वितरण किया गया।

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