काबुल के कसाई का बड़ा बयान…. अफगानिस्तान तक न पहुंचे कश्‍मीर या भारत-चीन विवाद…

काबुल

काबुल के कसाई के नाम से कुख्‍यात अफगानिस्‍तान के पूर्व प्रधानमंत्री और हिज्‍ब-ए-इस्‍लामी के चीफ गुलबुद्दीन हेकमतयार अपने भारत विरोधी बयानों के लिए जाने जाते हैं। पाकिस्‍तानी की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ करीबी संबंध रखने वाले गुलबुद्दीन ने कहा है कि हम नहीं चाहते हैं कि कश्‍मीर, भारत-चीन या तिब्‍बत विवाद अफगानिस्‍तान तक पहुंचे। पूर्व अफगान पीएम वर्ष 2016 में स्‍वदेश वापसी के बाद से ही काफी प्रभावशाली माने जाते हैं और आईएसआई के साथ उनके रिश्‍ते उन्‍हें तालिबान सरकार में अहम पद दिला सकता है।

सीएनएन न्‍यूज 18 को दिए साक्षात्‍कार में गुलबुद्दीन ने अफगानिस्‍तान के आतंकवाद के मुद्दे पर अपनी जमीन का इस्‍तेमाल नहीं करने के सवाल पर कहा, ‘तालिबान को निश्‍चित रूप से अपने वादे पर कायम रहना चाहिए। इसमें उसने कहा था कि अफगान जमीन को किसी तीसरे देश के हित के खिलाफ इस्‍तेमाल नहीं होने देगा। न ही उन्‍हें भारत और चीन सीमा विवाद और न ही तिब्‍बत के मुद्दे या ग्‍वादर बनाम चाबहार बंदरगाह की प्रतिस्‍पर्द्धा को अफगानिस्‍तान आने देना चाहिए।’

‘भारत को पूर्व अफगान सरकार के नेताओं को शरण नहीं देना चाहिए’

पूर्व अफगान पीएम ने कहा, ‘मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि भारत को पूर्व अफगान सरकार के नेताओं को शरण नहीं देना चाहिए और न ही अपने प्‍लेटफार्म को तालिबान सरकार के खिलाफ गतिविधियों को चलाने के लिए करने देना चाहिए। इससे तालिबान कार्रवाई के लिए मजबूर होंगे। मैं भारत से चाहूंगा कि वे पिछली चार दशक की भूमिका से उलट अफगानिस्‍तान में सकारात्‍मक और रचनात्‍मक भूमिका निभाएं। भारत ने सोवियत संघ और अमेरिका के कब्‍जे का समर्थन किया। भारत को विदेशी हमलावरों की कठपुतली सरकार को समर्थन देने से बचना चाहिए।’

अफगानिस्‍तान के आतंकवादियों का अड्डा बनने के सवाल पर गुलबुद्दीन ने दावा किया, ‘अफगानिस्‍तान विदेशी आतंकियों के लिए कभी अड्डा नहीं था और न ही अभी होगा। अफगानिस्‍तान के लिए आतंकवाद की अवधारणा विदेशी है। इस अवधारणा को विदेशी हमलावर लेकर आए हैं। विदेशी कब्‍जा खत्‍म होने के बाद अब देश से यह भी खत्‍म हो जाएगा। हम राज्‍य आतंकवाद के पीड़‍ित हैं।

हिकमतयार ने काबुल पर कब्जे के लिए रॉकेट दागे थे

80 के दशक में सोवियत संघ के हमले के खिलाफ गुलबुद्दीन हिकमतयार सबसे बड़ा मुजाहिदीन बनकर उभरा। उसने सोवियत सेना के खिलाफ कई बड़े हमले किए। उसके बाद 90 के दशक में जब अफगानिस्तान में गृहयुद्ध शुरू हुआ तब गुलबुद्दीन हिकमतयार ने काबुल पर कब्जे के लिए इतने रॉकेट दागे कि उसे रॉकेटआर या काबुल का कसाई कहा जाने लगा। उसके गिराए रॉकेट से बड़े पैमाने पर आम लोग मारे गए थे।

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