हरियाणा
कभी ट्रैक्टर की ड्राइवरी सीखते समय ताने सुनने वाली जिले की तीन बेटियां हौसले की बदौलत अब राजधानी दिल्ली में डीटीसी बस दौड़ाने जा रही हैं। हरियाणा के चरखी दादरी में प्रशिक्षण पाने के बाद तीनों बेटियों की ज्वाइनिंग डीटीसी (दिल्ली ट्रांसपोर्ट कार्पोरेशन) में बतौर चालक हुई है। इन बेटियों ने भारी वाहनों का पेशेवर चालक बनकर समाज की सोच बदलने का काम किया है और साबित किया है कि बेटियां भी बेटों की तरह हर क्षेत्र में बखूबी दायित्व निभा सकती हैं।
मजबूरी ने थमाए तीनों बेटियों को स्टेयरिंग, जज्बे से बनी पेशेवर चालक
1- शर्मिला ने बीमार बेटे को अस्पताल ले जाने के लिए सीखी थी बाइक चलानी
मूलरूप से महेंद्रगढ़ निवासी शर्मिला की शादी अख्त्यारपुरा गांव में हुई थी। शर्मिला ने बताया कि एक बार बेटा बीमार हो गया और उसके पति को बाइक चलानी नहीं आती थी। बेटे को लगातार अस्पताल ले जाना पड़ता था। एक-दो दिन साथ जाने के बाद परिचितों ने भी मना कर दिया। इसके बाद उसने बाइक सीखने की ठानी। बाइक सीखने के बाद भारी वाहन चलाने का ख्याल आया, तो रोडवेज स्कूल पहुंचकर ट्रेनिंग ले ली और अब डीटीसी में बतौर चालक ज्वाइन कर लिया है।
2- खेती में पिता का हाथ बंटाने के लिए बबीता बैठी थी ट्रैक्टर सीट पर
मौड़ी निवासी बबीता ने बताया कि उसका छोटा भाई आर्मी में है, जबकि पिता खेती करते हैं। खेती में पिता का हाथ बंटाने के लिए उसने ट्रैक्टर सीखा था। इसके बाद उसने हैवी लाइसेंस के लिए प्रशिक्षण लेकर बस चलानी सीखी। इसके बाद ड्राइवरी को अपना पेशा चुना। डीटीसी में नौकरी के लिए प्रयास किया और अब उसने ज्वाइन भी कर लिया है। बबीता ने बताया कि जल्द ही ट्रेनिंग पूरी हो जाएगी।
मिसरी निवासी भारती भी राजधानी की सड़कों पर जल्द डीटीसी बस दौड़ाएगी। भारती ने बताया कि वो पांच बहने हैं, जबकि उनके भाई नहीं है। परिवार को बेटे की कमी न खले, इसलिए उसने चालक बनकर परिवार को चूल्हा जलाने में सहयोग करने की सोची। भारती ने बताया कि 2018 के बैच में उसने बस चलाने का प्रशिक्षण लिया था और अब वो डीटीसी में ट्रेनिंग कर रही है।