भोपाल
विभिन्न विभागों में ग्रांट इन एड के लिए लंबित उपयोगिता प्रमाणपत्रों को लेकर प्रधान महालेखाकार कार्यालय और संचालक बजट आमने-सामने आ गए है। एजी कार्यालय द्वारा दी जा रही जानकारी से यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि किस विभाग की कितनी राशि के कुल उपयोगिता प्रमाणपत्र लंबित है, इसके चलते विभागों पर कार्यवाही नहीं हो पा रही है।
आमतौर पर हर समय प्रधान महालेखाकार सरकारी महकमों और वित्त विभाग पर हावी रहता है। लेकिन इस बार जब महालेखाकार कार्यालय ने विभाागों को वित्तीय वर्ष 2019-20 तक राज्य शासन से प्रदान किए गए ग्रांट इन एड के लिए उपयोगिता प्रमाणपत्र लंबित होंने को लेकर तलख पत्र लिखा तो अब उलटे वित्त विभाग ने इसके लिए प्रधान महालेखाकार कार्यालय को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है।
संचालक बजट आईरिन सिंथिया ने प्रधान महालेखाकार को पत्र लिखकर कहा है कि महालेखाकार कार्यालय की बैठकों में तय हुआ था कि महालेखाकार कार्यालय से विभागवार वित्ततीय वष्रवार, मुख्य शीर्षवार तथा योजनावार विभिन्न विभागों के लंबित उपयोगिता प्रमाणपत्रों की जानकारी दी जाएगी। इस पर महालेखाकार तथा प्रधान महालेखाकार कार्यालय ने सहमति दी थी।
जो जानकारी प्रधान महालेखाकार कार्यालय से वित्त विभाग को मिली है उसमें मुख्य शीर्षवार विवरण प्रदान किया गया है। जिससे यह स्पष्ट नहीं हो रहा है कि किस विभाग की कितनी राशि के कुल कितने उपयोगिता प्रमाणपत्र लंबित है, इसके चलते शासन के विभिन्न विभागों से कार्यवाही किया जाना संभव नहीं है। उन्होंने महालेखाकार कार्यालय से अनुरोध किया है कि उपयोगिता प्रमाणपत्रों के संबंध में मुख्य शीर्ष के साथ विभाग और बीसीओ का पूरा ब्यौरा प्रदान किया जाए ताकि लंबित मामलों का समयसीमा में निराकरण हो सके।