आरी तुतारी : ”माते रईबे माते रईबे माते रईबे गा” ! युवा मोर, ”नशे में जकड़ता युवा वर्ग”

आरी तुतारी
आरी तुतारी व्यंग

आरी तुतारी | कुलदीप शुक्ला   

युवा मोर ”माते रईबे माते रईबे माते रईबे गा” ! युवा मोर , घटिया गांजा ला पी के माते रईबे, छत्तीसगढ़ की लोक प्रिय लोकगीत आज भी लोगों को कई संदेश देती है पर युवा या नशा करने वालों के कानों में ये गीत सिर्फ और सिर्फ एक गीत मात्र है। ऐसे लोगों को 24 घंटों में सिर्फ़ नशे की समान कैसे और कहां मिलेगी और कितना पैसे चाहिए उसमें ही लगे रहते हैं। जो की देश और समाज के लिया बड़ा ही चिंता का विषय है। लेकिन सरकार को इससे ही सबसे अधिक राजस्व मिलती है।

युवा वर्ग , छात्र नशे की गिरफ्त में

देश का भविष्य कहे जाने वाला युवा वर्ग , छात्र नशे की गिरफ्त में जा रहा है। ये नशा की सामग्री उन्हें स्कूल-कालेजों के पास खुलेआम उपलब्ध कराया जा रहा है। शहर के नामी शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले ये युवा विद्यार्थी नशे कि ओर आकर्षित हो रहे हैं। जबकि पुलिस-प्रशासन इसमें लगातार कार्यवाही कर रही है। फिर भी नशा का कारोबार कम नहीं हो रहा है,शिक्षण संस्थानों के आस पास नशे का कारोबार का चलना चिंता का विषय है ।

 स्थिति यह है राज्य कि

स्थिति यह है कि राज्य में 15 वर्ष से अधिक आयु के 43.1 प्रतिशत पुरुष वर्ग को तंबाकू और 34.8 प्रतिशत शराब की लत है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस -5) के अनुसार महिलाओं की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। राज्य में 15 वर्ष से अधिक आयु के महिला वर्ग में 17.3 प्रतिशत तंबाकू व पांच प्रतिशत से अधिक शराब के आदी हैं।

देश में शराब पीने वालों में से 6 करोड़ लोगों को अगर मदद मिले तो वह नशा छोड़ सकते हैं। हालांकि, सुविधाएं नहीं मिलने के कारण वह नशा नहीं छोड़ पा रहे हैं। औसतन शराब पीने वाले 181 लाेगों में से सिर्फ एक व्यक्ति को ही भर्ती होने की सुविधा मिलती है।

क्या कहती है सर्वे रिपोर्ट

यह खुलासा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की ओर से एम्स के सहयोग से करवाए गए सर्वे में हुआ है। अपनी तरह के पहले सर्वे में सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल थे। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने सोमवार को सर्वे रिपोर्ट जारी की। इसमें 186 जिलों के 10 साल से 75 साल तक के 4,73,569 लोग शामिल किए गए थे।

इस सैंपल के आधार पर देश की पूरी आबादी के हिसाब से नतीजों का आकलन किया गया है। सर्वे टीम के प्रमुख डाॅ. अतुल ने बताया कि करीब 15% यानी 16 करोड़ लोगाें ने शराब पीने की बात मानी है। इनमें से 3 करोड़ की तो शराब आदत बन चुकी है। सर्वे में यह बात सामने आई कि नशा छुड़ाने के लिए सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के कारण लोग चाहकर भी शराब नहीं छोड़ पा रहे।

राज्य सरकार नशा मुक्ति की बात करती है। इसके लिए हर साल लाखों रुपये बजट में खर्च भी होता है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था के चलते नशा छुड़ाने व जागरूकता अभियान ठंडे बस्ते में है। इधर राज्य में संचालित कई नशामुक्ति केंद्र बंद हो चुके हैं तो कुछ सिर्फ नाम के ही रह गए हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार नशे की लत की वजह से मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ रही है। बता दें राज्य में 22 प्रतिशत से अधिक लोग किसी न किसी तरह की मानसिक समस्याओं से ग्रस्त हैं यानी हर पांचवां व्यक्ति। मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य केंद्रों में काउंसिलिंग व इलाज की व्यवस्था की जानी है। इसके लिए 2,100 से अधिक मेडिकल आफिसर व रूरल मेडिकल असिस्टेंट को प्रशिक्षण दिया जा चुका है, लेकिन दवाओं की किल्लत व स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के चलते तीन साल से योजना शुरू ही नहीं हो पाई है।

करोंड़ों रुपयों कारोबार 

छत्तीसगढ़ में शराब की दुकानों का संचालन राज्य सरकार के अंग छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कार्पाेरेशन द्वारा संचालित की जा रही हैं. विधानसभा में 5 मार्च 2020 को पेश किए गए एक आंकड़े के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2017-18 में 4054.21 करोड़ रुपयों का राजस्व शराब बेचकर मिला. इसके बाद 2018-19 में 4491.35 करोड़ रुपये और अप्रैल 2019 से जनवरी 2020 तक 4089.91 करोड़ रुपयों का राजस्व सरकार को शराब से मिला. इसके बाद 1 से 15 फरवरी 2020 के बीच राज्य सरकार को 187.85 करोड़ रुपयों का राजस्व मिला. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन में बंदी के बाद 4 मई को शराब की दुकान खोलने के बाद राज्य सरकार को करीब 50 करोड़ रुपयों का राजस्व मिला है.

राज्यों में पीने वालों का प्रतिशत

सर्वे कंपनी क्रिसिल (CRISIL) की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में दक्षिण भारत के पांच राज्य आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल देश में बिकी कुल शराब का करीब 45 प्रतिशत सेवन कर गए थे।

वहीं एक और आंकड़े के मुताबिक करीब 3 करोड़ जनसंख्या वाले प्रदेश छत्तीसगढ़ में करीब 35.6 प्रतिशत लोग शराब का सेवन करते हैं। त्रिपुरा में 34.7 प्रतिशत लोग शराब का सेवन करते हैं। इनमें 13.7 प्रतिशत नियमित रूप से शराब का सेवन करते हैं। तीसरे नंबर पर शामिल आंध्र प्रदेश में करीब 34.5 प्रतिशत लोग शराब का नियमित सेवन करते हैं। इसके बाद 3 करोड़ की आबादी वाले पंजाब में 28.5 प्रतिशत लोग शराब का सेवन करते हैं।  इसके बाद 3 करोड़ की आबादी वाले पंजाब में 28.5 प्रतिशत लोग शराब का सेवन करते हैं। इनमें नियमित शराब पीने वालों का आंकड़ा 6 प्रतिशत है। अरुणाचल प्रदेश में 28 प्रतिशत, गोवा में करीब 26.4 प्रतिशत, केरल में 19.9 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल में 14 प्रतिशत, तमिलनाडु में 15 प्रतिशत, कर्नाटक में करीब 11 प्रतिशत लोग शराब का सेवन करते हैं।

शराब पीने को लेकर महिला और पुरुष की तुलना

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2022 के अनुसार पूरे देश में 18 प्रतिशत पुरुष (व्यस्क) शराब पीते हैं। इनमें से 16.5 प्रतिशत जहां शहरी इलाकों से हैं, वहीं 19.9 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों के लोग हैं। जबकि देशभर में महिलाओं की कुल 1.3 प्रतिशत संख्या शराब पीती हैं। इसमें शहरी इलाकों में 0.6 प्रतिशत, जबकि ग्रामीण इलाकों की 1.6 प्रतिशत महिलाएं शराब पीती हैं।

छत्तीसगढ़ में 17.9 % पुरुषों ने छोड़ी शराब, फिर भी खपत और आय में कोई कमी नहीं…!

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में छत्तीसगढ़ की महिलाओं के नशापान का खुलासा किया गया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि छत्तीसगढ़ में 100 में 5 महिलाएं शराब पीती हैं, जबकि 17 तंबाकू का सेवन करती हैं. वहीं यह भी बताया गया है कि छत्तीसगढ़ में बीते तीन सालों में छत्तीसगढ़ के 17.9 फीसदी  पुरुषों ने शराब पीना छोड़ दिया है.

आबकारी विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान में राज्य में 662 शराब की दुकानें संचालित है, जिसमें देशी शराब की 211, कंपोजिट की 126, विदेशी मदिरा की 304 एवं प्रीमियम विदेशी मदिरा की 21 दुकानें शामिल है।

देश में मौत अवैध और नकली शराब पीने से हुई 

जिसका जवाब केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने दिया. राय के जवाब के मुताबिक साल 2016 से 2022 के बीच भारत में 6 हजार 172 लोगों की मौत अवैध और नकली शराब पीने से हुई है. सरकार द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक 2016 में 1054, 2017 में 1510, 2018 में 1365, 2019 में 1296 और 2020 में 947 लोगों की मौत हुई.

ड्रग्स स्कैंडल से नहीं लिया सबक

शहर में ड्रग्स स्कैंडल सामने आ चुका है। एक छात्रा से नशा देकर गैंगरेप को अंजाम देने का सनसनीखेज प्रकरण सुर्खियों में रह चुका है। पुलिस-प्रशासन ने इससे क्या सबक लिया, यह बताने के लिए काफी है कि अभी भी स्कूल-कॉलेजों के बाहर खुलेआम नशे का कारोबार चल रहा है।

छत्तीसगढ़ में नशे का कारोबार 

छत्तीसगढ़ में नशा का बढ़ा क्रेज, इस साल आए 195 मामले सात राज्यों की सीमाओं से जुड़े छत्तीसगढ़ में भी नशे की बड़ी खेप पहुंचती है.  लोकल तस्करों की मदद से उत्तर प्रदेश, ओड़िशा, झारखंड, तेलंगाना, पंजाब और महाराष्ट्र के रास्ते छत्तीसगढ़ में नशे की सामग्री आती है. मेट्रो सिटी की तर्ज पर यहां के युवा भी महंगे नशे के शौकिन होते जा रहा हैं. राज्य में हुक्का बंद होने के बाद नाइट पार्टियों का ट्रेंड रायपुर में बढ़ा है.  इन पार्टियों में अधिकांश युवा शामिल होते हैं, जहां जमकर नशाखोरी की जाती है. कुछ क्लबों में तो युवक-युवतियां ब्राउन सुगर के साथ ही गांजा और शराब का भी सेवन करते हैं.

इस तरह के नशे के सामाग्री की होती है बिक्री : छत्तीसगढ़ में गांजा, नाइट्रोजन, अल्फाजोन, सिरप, अफीम, ब्राउन शुगर, हेरोइन, चरस, कोकिन और अन्य नशे के सामानों की बिक्री होती है. बाहरी राज्यों के तस्कर अलग अलग माध्यों में इनकी तस्करी कर रहे है. वे यहां के युवाओं को नशे की खेप पहुंचाते हैं.

रोजाना करोड़ों की सप्लाई
ओडिशा से रोजाना करोड़ों का गांजा सप्लाई किया जाता है। कटहल, तरबूज, नमक, नारियल और अब गोभी की खेप की आड़ में तस्कर रायपुर होते हुए बड़ी मात्रा में गांजा दूसरे राज्यों तक पहुंचा रहे हैं। फलों और सब्जियों की गाड़ियों में मादक पदार्थों की तस्करी करने का नया तरीका गांजा तस्करों ने अपनाया है।
( यह लेख सामग्री अलग अलग न्यूज़ और सोशल मीडिया से लिया गया है )
धन भी गया, तन भी गया, जीवन से उमंग भी गया !
नशा है ख़राब जीवन हो जही ख़राब !
हिन्द मित्र का आग्रह  

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