राम काज किन्हें बिना, मोहि कहाँ विश्राम……

guruji
परम पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी

रायपुर| कल्पना शुक्ला, आनंद नगर दुर्गा मंदिर रायपुर में श्री राम कथा के आठवे दिन  मंगलवार को कथा व्यास प्रयागराज वाले युग प्रवर्तक सद्गृहस्थ संत श्री संकर्षण शरण जी (गुरु जी) (Sankarshanji)(Guruji) @SANKARSHANSHARAN  ने श्रोताओं को कथा में आज सुंदर कांड, रावण वध की कथा बताए |

जब तक भगवान का कार्य पूरा न हो,बैठना नही चाहिए,हनुमान जी तब तक विश्राम नही लेते जब तक राम काज कर नही लेते,और अच्छे कार्य मे हमेशा कई प्रकार की रुकावटे आती है, हनुमान जी के पास भी आता हैं, लोभ के रूप में मैनाक पर्वत मिलती सिंघीका अर्थात ईर्ष्या । ईर्ष्या किसी को आगे नही बढ़ने देती,सबसे पहले स्वयं को बर्बाद करती है,उसके बाद जिसके पीछे पड़ जाय उसकी परछाई से भी नफरत करने लग जाती है,भगवान के भक्तों के पास,सतो के पास,गुरुओं के पास कभी ईर्ष्या नही होती,हनुमान जी ने संकेत दिए,जब कोई बड़ा कार्य करना हो तब अपने को छोटा बनना पड़ता है,कब कहा किसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए यह हनुमान जी सिखाये , हनुमान जी छोटा बनकर सिंघीका के मुख में प्रवेश करते है और उसे समाप्त कर देते हैं।

समस्या कितनी भी बड़ी हो, समस्या को देखकर भागना नही चाहिए,संघर्ष करना चाहिए.…..

भगवान राम समुद्र में सेतु बांधकर लंका की यात्रा करते है,यदि भगवान राम चाहते तो वह मायापति है, पार कर सकते थे,लेकिन नर लीला कर रहे है,समस्या आने पर मनुष्य को क्या करना चाहिए यह शिक्षा दे रहे है, और जीत समस्या की नही समाधान की होती है, भगवान सेतु निर्माण में सफल होते है,संकेत देते है कि हमेशा डर का मुकाबला करनी चाहिए,डर के आगे भी जीत होती है। हर परिस्थिति का सामना करना चाहिए।

जब हम अच्छे कार्य के लिए चलते है कोई न कोई मार्ग मिल ही जाता है,नल और नील सहायता करते है,सभी वानरो के सहयोग से सेतु निर्माण हो जाता है। कथा को आगे बढ़ाते हुए रावण वध के उपरांत कथा को विराम दी गई, हम सब का परिवार भी एक दूसरे के लिए त्याग का ,समर्पण का और प्रेम से जीवन जीने का हो अपने धर्म का प्रचार प्रसार जारी रखें ,सबका जीवन राममय हो, ये आशीर्वाद दिए।

कल प्रातः 8 बजे गुरु दीक्षा, जड़ी बूटी से युक्त भव्य हवन एवम भंडारे का आयोजन किया गया है।

कल प्रातः 8 बजे गुरु दीक्षा, भव्य हवन एवं भंडारे का आयोजन किया गया है।

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