प्राकृतिक खेती के गेंहूँ प्रदर्शनों का वैज्ञानिकों द्वारा किया भ्रमण

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प्राकृतिक खेती के गेंहूँ प्रदर्शनों का वैज्ञानिकों द्वारा किया भ्रमण

निवाड़ी | कृषि विज्ञान केंद्र टीकमगढ़ के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. बी.एस. किरार, डॉ. यू.एस. धाकड़ एवं डॉ. एस.के. सिंह वैज्ञानिकों द्वारा विगत दिवस ग्राम डोर एवं कुर्राई में किसानों के खेतों पर प्राकृतिक खेती के प्रदर्शन गेंहूँ फसलों का किसानों के साथ भ्रमण कर उन्हें तकनीकी सलाह दी गयी। केंद्र द्वारा रबी में गेंहूँ की फसल पर 8 प्राकृतिक खेती पर प्रदर्शन विभिन्न ग्रामों में किसानों के खेतों पर डाले गये।

वैज्ञानिकों द्वारा प्राकृतिक खेती अंतर्गत बीजामृत घोल से बीज का उपचार कराया जिससे बीज का अंकुरण अच्छा हो और फफूंदजनित रोगों से बचाव हो सके। फसल की बुवाई के पहले सूखा घन जीवामृत को खेत में फैलाकर डाला गया, जो फसल की उत्पादकता को बढ़ाने और फसल को सुरक्षित रखने में उपयोगी होता है, साथ ही जल की आवश्यकता को नियंत्रित करता है।

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साथ ही गेहूँ प्रदर्शन में खड़ी फसल में जीवामृत घोल का पहला छिड़काव 30 दिन बाद 150 ली. पानी में 5 ली. जीवामृत मिलकर एक एकड़ में स्प्रेयर पम्प से छिड़काव किया और दूसरा-तीसरा छिड़काव पहले छिड़काव के 21 दिन बाद 150 ली. पानी में 10 ली. जीवामृत मिलाकर छिड़काव कराया गया।

गेंहूँ प्रदर्शन में अंतरवर्तीय फसल के रूप में गेंहूँ की 10 कतार के बाद एक कतार सरसों की बुवाई गयी है। वैज्ञानिकों ने किसानों के साथ प्रदर्शन फसल का अवलोकन कर कीट-व्याधियों की प्रबंधन हेतु नीमास्त्र एवं दशपर्णी के घोल के सम्बन्ध में विस्तृत रूप से जानकारी दी गयी।

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