OBC को 27% आरक्षण पर हाईकोर्ट की रोक बरकरार,फैसला आने तक 13% रिजर्वेशन रखने के आदेश

जबलपुर
 मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसद आरक्षण की संवैधानिकता व 10 फीसद इकोनॉमिक वीकर सेक्शन, ईडब्ल्यूएस आरक्षण की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली समस्त याचिकाओं की एक साथ सुनवाई हुई। इस दौरान सभी पक्षों ने मैराथन बहस की। जोरदार बहस हुई। मुख्य न्यायमूर्ति मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय शुक्ला की युगलपीठ द्वारा पूर्व में 19 मार्च 2019 व 31 जनवरी 2020 को जारी अंतरिम आदेशों को मॉडिफाइड करते हुए व्यवस्था दी गई कि ओबीसी की समस्त भर्ती प्रक्रिया 14 फीसद आरक्षण के हिसाब से की जाएं और ओबीसी का 13 फीसद आरक्षण रिजर्व रखा जाए।

कई संगठनों ने आरक्षण को लेकर दायर की थी याचिका : 50 फीसद आरक्षण की अधिकता के बिंदु पर चुनौती देने वाली समस्त 31 याचिकाओं में, ओबीसी के छात्र एवं छात्राओं सहित अपाक्स संगठन ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन पिछड़ा वर्ग संयुक्त मोर्चा ओबीसी एससी एसटी एकता मंच आदि कई सामाजिक संगठनों की ओर से हस्तक्षेप याचिका दायर की गई। अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह, उदय कुमार साहू, विष्णु पटेल ने पैरवी की। अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर द्वारा ईडब्ल्यूएस आरक्षण की संवैधानिकता को भी चुनौती दी गई है। उक्त याचिका में उच्च न्यायालय द्वारा अंतरिम आदेश पारित कर आदेशित किया है कि प्रदेश में की जाने वाली ईडब्ल्यूएस आरक्षण के अंतर्गत समस्त भर्तियां याचिका क्रमांक 20293 के निर्णय के अधीन होंगी प्रकरणों की आगामी सुनवाई 10 अगस्त 2021 को निर्धारित की गई है। अगली सुनवाई में नए दिशा-निर्देश सम्भव हैं। जनहित याचिका दायर करने वाले नए तथ्य भी प्रस्तुत करेंगे।

दरअसल, मध्य प्रदेश सरकार ने मार्च 2019 मे अन्य पिछड़ा वर्ग को दिए जाने वाला आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ा कर 27 प्रतिशत कर दिया था। आरक्षण मे की गई इस वृद्धि के खिलाफ हाईकोर्ट मे याचिकाए दायर की गयी थी जिनकी एक साथ सुनवाई करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार के इस अध्यादेश पर रोक लगा दी थी, जो कि अभी भी जारी है।

इस रोक के तहत OBC को सिर्फ 14 प्रतिशत आरक्षण दिया जा सकता है, मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओ के वकील आदित्य संघी ने दलील दी है कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाईन के अनुसार किसी भी राज्य में आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा नही होना चाहिए लेकिन मध्य प्रदेश में आरक्षण इस सीलिंग से ज्यादा है ऐसे में ओबीसी को बढ़ा कर दिए गए आरक्षण के राज्य सरकार के आदेश को रद्द किया जाए।

वर्तमान में 50 फीसदी आरक्षण

प्रदेश में वर्तमान में अनुसूचित जाति को 16, जनजाति को 20 और पिछड़ा वर्ग को 14 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है। इस तरह तीनों वर्गों को मिलाकर 50 फीसदी आरक्षण है। लेकिन सत्ता में आते ही कमलनाथ सरकार के शासकीय नौकरियों में 27 फीसदी करने से आरक्षण की सीमा बढ़कर 63 फीसदी हो गई थी, जो कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का उल्लंघन है।इसके बाद बीजेपी, कई सामाजिक संगठनों और छात्रों के द्वारा जबलपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। फिलहाल इस मामले में हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश दिया है कि सरकार किसी भी भर्ती प्रक्रिया में 27% आरक्षण लागू न करे।

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