मानसून में अधिक उपयोगी बाजरा, रागी, बैरी, झंझगोरा, कुटकी, चना और जौ के आहार

Millet
Millet, Ragi, Bari, Jhanjgora, Kutki, Chana and Barley diets are more useful in monsoon.

आजकल स्वास्थ्य को ले कर लोगों में जागरूकता बढ़ी है. नियमित वर्कआउट करना उन की दिनचर्या में शामिल हो चुका है, लेकिन उन की डाइट में जागरूकता की बहुत कमी है क्योंकि आज के युवा जंक फूड पर अधिक रहने लगे हैं. उन्हें घर का बना खाना पसंद नहीं. ऐसे में बहुत कम उम्र में उन्हें मोटापा, कोलैस्ट्रौल, ब्लडप्रैशर आदि कई बीमारियां घेर लेती हैं, जिन से निकल पाना उन के लिए मुश्किल होता है.

ऐसे में आज डाइटीशियन हर व्यक्ति को मिलेट्स को दैनिक जीवन में शामिल करने की सलाह बारबार दे रहे हैं. मिलेट्स यानी मोटा अनाज. यह 2 तरह का होता है- मोटा दाना और छोटा दाना. मिलेट्स की कैटेगरी में बाजरा, रागी, बैरी, झंझगोरा, कुटकी, चना और जौ आदि आते हैं.

जागरूकता है जरूरी

इस बारे में क्लीनिकल डाइटीशियन हेतल व्यास कहती है कि मिलेट्स इम्यूनिटी बूस्टर का काम करता है. 2023 को सरकार ने ‘मिलेट्स ईयर’ घोषित किया है ताकि लोगों में मिलेट्स के प्रति जागरूकता बढे़. मिलेट्स में कैल्सियम, आयरन, जिंक, फास्फोरस, मैग्नीशियम, पोटैशियम, फाइबर, विटामिन बी-6 मौजूद होते हैं.

ऐसिडिटी की समस्या में मिलेट्स फायदेमंद साबित हो सकता है. इस में विटामिन बी-3 होता है, जो शरीर के मैटाबोलिज्म को बैलेंस रखता है. मिलेट्स में कौंप्लैक्स कार्बोहाइड्रेट रहता है, इसलिए फाइबर की मात्रा अधिक होती है. यह ग्लूटेन फ्री होता है. इस से वजन कम होता है. कुछ लोग ग्लूटेन सैंसिटिव होते हैं. इस से उन का वजन बढ़ जाता है. मिलेट्स में इन सब की मात्रा न होने की वजह से डाइजेशन शक्ति बढ़ती है.

मौनसून में अधिक उपयोगी

मौनसून में पूरा मौसम बदल जाता है. बच्चों से ले कर वयस्कों सभी को कोल्ड, कफ, डायरिया आदि हो जाता है. इस मौसम ने रोगप्रतिरोधक क्षमता में कमी आ जाती है, साथ ही पीने का पानी बदल जाता है. बारिश की वजह से उस समय लोगों की चटपटा खाने की इच्छा होती है. इस से पेट खराब हो जाता है. इस मौसम में मिलेट्स से बना भोजन अधिक लेना चाहिए क्योंकि यह हलका होने के साथसाथ पच भी जल्दी जाता है.

नाचनी की रोटी, पोरिज, ड्राईफू्रट के साथ उस के लड्डू आदि सभी चीजें इस मौसम में खाई जा सकती हैं. अगर मौनसून में बाहर का खाना खाते हैं तो कब्ज की शिकायत हो जाती है और पेट फूल जाता है. ऐसे में नाचनी, ज्वार, बाजरा आदि से बना भोजन अच्छा होता है. नाचनी को रेनी सीजन का बैस्ट भोजन माना जाता है.

वेट लौस का है मंत्र

हेतल कहती है कि वेट लौस का भी यही मंत्र है, अगर कोई व्यक्ति गेहूं की 4 रोटियां खाता है, तो वह ज्वार या बाजरा की 2 रोटी ही खा सकेगा. इस के अलावा रागी में कैल्सियम होता है. इस से ऐसिडिटी नहीं होती. हजम करना भी आसान होता है. डाइजेशन सिस्टम पर किसी प्रकार का प्रैशर नहीं होता. छोटे मिलेट्स जैसे कंगनी, कोदो, चीना, सांवा और कुटकी आते हैं. ये छोटे अवश्य हैं, लेकिन इन के फाइबर कंटैंट बहुत अधिक हैं. कुछ

फायदे मिलेट्स के निम्न हैं:

  •  मिलेट्स ब्लड सिर्कुलेशन को बढ़ाता है. इसे नियमित भोजन में शामिल करना अच्छा होता है, जिस से इम्यूनिटी बढ़ती है.
  • वजन कम करने में सहायक होता है क्योंकि मिलेट्स के सेवन से पेट भरा हुआ महसूस होता है, जिस से भूख कम लगती है.
  • मिलेट्स में ऐंटीऐजिंग के गुण होने की वजह से त्वचा पर काले धब्बे, डलनैस, पिंपल्स और ?ार्रियों में कमी आती है.
  • पाचनशक्ति को बढ़ाने में सहायक होने की वजह अधिक फाइबर का होना.
  • डायबिटीज को कम करने में सहायक होने की वजह ग्लूटेन फ्री होना.
  • कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि मिलेट्स में मौजूद मैग्नीशियम पीरियड्स क्रैंप्स से राहत देता है.
  • कैल्सियम अधिक होने की वजह से हड्डियां मजबूत होती हैं.
  • मिलेट्स में मैग्नीशियम बहुत अच्छी मात्रा में पाया जाता है, जो हार्ट अटैक से शरीर का बचाव करने में सहायक होता है क्योंकि यह मांसपेशियों को आराम दे कर ब्लड को निरंतर चलने में सहायता करता है.
  • मिलेट्स में ऐंटीऔक्सीडैंट्स शरीर में मौजूद सभी कैंसर कोशिकाओं पर नजर रखते हैं. इस से कैंसर का खतरा कम होता है.
  • बौडी डिटौक्स करने में सहायक होता है.

कैसे करें सेवन

हेतल कहती है कि दूध में नाचनी या ज्वार के आटे को डाल कर सुबह का नाश्ता यानी पोरिज बना सकते हैं. इस के लिए नाचनी के आटे को धीमी आंच पर थोड़ा घी डाल कर सेंक लें. उस में दूध या छाछ मिला कर ठंडा या गरम पोरिज ले सकते हैं. उस के ऊपर थोड़ा ड्राईफ्रूट डाल देने से वह और अधिक स्वादिष्ठ बन जाता है. दिन में 2 बार नाचनी, ज्वार, बाजरा की रोटी खाई जा सकती है.

मधुमेह के रोगी सांवा की रोटी चावल के स्थान पर खाते हैं. नाचनी के डोसे और इडली भी बनाई जा सकती है. खाने में हमेशा उस की मात्रा पर अधिक ध्यान देना पड़ता है. फाइबर अधिक होने से कम मात्रा में खाने से ही पेट भरा हुआ लगता है.

आज के यूथ को जंक फूड के अलावा कुछ और खिलाना मुश्किल होता है. ऐसे में नाचनी, ज्वार, बाजरा को गेहूं में मिला कर आटा बनाया जा सकता है. इस से बनी रोटी फायदेमंद होती है. इस के अलावा मखना, राजगिरा के मीठे लड्डू आदि सभी बच्चे आसानी से खा लेते हैं.

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