महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर असर डालने वाले कारक, मां बनने का सपना रह जाता है अधूरा

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Factors affecting the fertility of women, the dream of becoming a mother remains unfulfilled

लाइफ स्टाइल, हेल्थ | मां बनने का सुख सिर्फ शब्‍दों में बयान नहीं किया जा सकता. यह किसी भी महिला के जीवन का सबसे अतुलनीय अनुभव होता है, जो उसके जीवन में खास अर्थ भरता है. लेकिन हर महिला अपने जीवन में इस सुख का अनुभव करने में समर्थ नहीं होती, और इसका कारण बांझपन या इंफर्टिलिटी होता है.

डॉ. मालती मधु, सीनियर कंसल्टेंट- फर्टिलिटी एंड आईवीएफ, अपोलो फर्टिलिटी, नोएडा का कहना है कि- इंफर्टिलिटी की वजह से न सिर्फ भावनात्‍मक विषाद पैदा होता है, बल्कि इसकी वजह से महिलाओं में लंबे समय तक एंग्‍ज़ाइटी और डिप्रेशन भी घर कर सकता है. भारत में इंफर्टिलिटी की समस्‍या तेजी से आम और काफी चिंताजनक बनती जा रही है.

सैंपल रजिस्‍ट्रेशन सर्वे डेटा के मुताबिक, देश में, करीब 30% महिलाएं लो ओवेरियन रिज़र्व से जूझ रही हैं. इसका एक बड़ा कारण उनकी लाइफस्‍टाइल संबंधी आदतें भी हैं.

 1.प्रजनन को प्रभावित करने वाले कारक

 महिलाओं की फर्टिलिटी पर असर डालने वाले कई कारण हो सकते हैं जिनके चलते मां बनने का उनका सपना अधूरा रह जाता है.

2.शराब का सेवन 

शराब किस तरह से महिलाओं की प्रजनन क्षमता प्रभावित करती है, इसका सही-सही कारण अभी मालूम नहीं है, लेकिन यह माना जाता है कि इसकी वजह से फॉलिक्‍यूलर ग्रोथ, ओवुलेशन, ब्‍लास्‍टोसाइट और इंप्‍लांटेशन की प्रक्रियाएं प्रभावित होती हैं. मेडिकल पत्रिका लान्‍सेट में प्रकाशित एक अध्‍ययन के मुताबिक, 15 से 39 वर्ष की 5.39 मिलियन भारतीय महिलाएं शराब का सेवन करती हैं.

3. धूम्रपान

धूम्रपान खुद किया जाए या परोक्ष (एक्टिव अथवा पैसिव) हो, इसका महिलाओं की प्रजनन प्रक्रिया के प्रत्‍येक चरण में नुकसानकारी प्रभाव हो सकता है. तंबाकू के धुंए में मौजूद दो रसायन – कैडमियम और कोटिनाइन विषाक्‍त होते हैं और इनके कारण डिंब निर्माण (ऍग प्रोडक्‍शन) और एएमएच लैवल्‍स पर असर पड़ता है. धूम्रपान की वजह से फर्टिलिटी पर पड़ने वाले अन्‍य नकारात्‍मक प्रभावों में निषेचन और विकास क्षमता का कम होना शामिल है, जो गर्भ धारण की दरों में कमी लाता है.

4. तनाव

प्रजनन क्षमता या फर्टिलिटी, वास्‍तव में, भावनात्‍मक उतार-चढ़ाव की तरह होती है, और यह समझना महत्‍वपूर्ण होता है कि कई बार तनाव, दबाव और चिंताओं आदि से, जिनकी वजह से बांझपन बढ़ता है, बचा जा सकता है. तनाव आज के दौर में ऐसा पहलू है जिससे बचना नामुमकिन है, और इसका असर महिलाओं की फर्टिलिटी पर पड़ता है.

 5. बीएमआई

हार्मोनल असंतुलन के चलते डिंबस्राव (ओवुलेशन) की प्रक्रिया प्रभावित होती है जिसका असर किसी महिला के गर्भवती होने पर पड़ता है, देखा गया है कि सामान्‍य से कम वज़न (18.5 से कम बीएमआई) होने पर फर्टिलिटी प्रभावित होती है. जिन महिलाओं का वज़न सामान्य से कम होता है, वे स्‍वस्‍थ वज़न वाली महिलाओं की तुलना में गर्भधारण करने में एक साल से ज्‍यादा समय ले सकती हैं. इसी तरह, अधिक वज़न (35 से अधिक बीएमआई) होने से भी हार्मोनल संतुलन बिगड़ सकता है, प्रेगनेंसी के जोखिम बढ़ते हैं और साथ ही, फर्टिलिटी उपचार के लिए जरूरी दवाओं का सेवन/खर्च भी बढ़ता है.

आधुनिक दौर की व्‍यस्‍त जीवनशैली में, महिलाओं को अपने निजी और पेशेवर जीवन में बहुत-सी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में, कई बार वे लाइफस्‍टाइल संबंधी गलत चुनाव भी कर बैठती हैं जिससे उनकी फर्टिलिटी पर असर पड़ता है. लेकिन ऐसा नहीं है कि स्थितियां अंधकारपूर्ण ही हैं। अब ऐसे कई तौर-तरीके और विकल्‍प उपलब्‍ध हैं जो महिलाओं को अपनी फर्टिलिटी को बेहतर बनाने में मदद कर करते हैं.

प्रजनन बेहतर बनाने के उपाय

  1. संतुलित भोजन करें

जो महिला गर्भधारण का प्रयास कर रही होती है, उसे संतुलित भोजन यानि सेहतमंद खानपान पर ध्‍यान देना चाहिए. आमतौर पर, कुछ स्‍पेशल खुराक जैसे कि वेजीटेरियन या लो-फैट डाइट्स उन महिलाओं के लिए उचित होती हैं जो इस लाइफस्‍टाइल को चुनती हैं. गर्भधारण के लिए प्रयासरत महिलाएं फॉलिक एसिड सप्‍लीमेंट भी ले सकती हैं जो न्‍यूरल ट्यूब की असामान्‍यताओं से बचाव करता है (इस मामले में मेडिकल स्‍पेश्‍यलिस्‍ट से सलाह करें). साथ ही, वे अपनी खुराक में विटामिन डी भी शामिल कर सकती हैं, जो कि डिंब निर्माण और उनकी परिपक्‍वता में भूमिका निभाता है.

 2. धूम्रपान और शराब का सेवन करने से बचें

जो महिलाएं गर्भधारण के लिए प्रयासरत होती हैं, उन्‍हें धूम्रपान और शराब के सेवन से हर हाल में बचना चाहिए. इन आदतों के चलते, इंफर्टिलिटी यानि बांझपन के जोखिम बढ़ सकते हैं लेकिन इनसे बचने पर स्‍वस्‍थ प्रेग्‍नेंसी और खुशहाल परिणाम मिलने की संभावना बढ़ सकती है.

 3. तनाव का प्रबंधन

गर्भधारण का प्रयास करने और फर्टिलिटी उपचार लेने के दौरान, अपने संपूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य (शारीरिक और मानसिक) पर ध्‍यान देना जरूरी है. ऐसे में, घर-परिवार के स्‍तर पर ठोस सपोर्ट उपलब्‍ध होने से भी फर्टिलिटी में मदद मिलती है.

 4. विशेषज्ञ से सलाह लें

यदि बांझपन (इंफर्टिलिटी) की समस्‍या बनी रहे और गर्भधारण करने में कठिनाई हो, तो ऐसे में म‍ेडिकल एक्‍सपर्ट से सलाह-मश्विरा करना फायदेमंद हो सकता है जो आपकी मदद कर सकते हैं. अब टैक्‍नोलॉजी में सुधार होने से, फर्टिलिटी स्‍पेश्‍यलिस्‍ट लोगों को रिप्रोडक्टिव केयर के हर पहलू के बारे में मदद करते हैं. इसके लिए उन्‍हें इंफर्टिलिटी थेरेपी, फर्टिलिटी के यथासंभव प्रीज़र्वेशन और गर्भाशय संबंधी मामलों में मदद शामिल है. फर्टिलिटी स्‍पेश्‍यलिस्‍ट आमतौर पर, पूरी मेडिकल हिस्‍ट्री के बारे में जानकारी लेते हैं और यदि आपने पूर्व में कोई फर्टिलिटी जांच या उपचार करवाया होता है, तो उसके अलावा कुछ और उपाय करना चाहते हैं. इन तमाम जानकारियों के आधार पर, वे आपको कुछ उपयोगी समाधान दे पाते हैं.

फर्टिलिटी, आपकी लाइफस्‍टाइल संबंधी आदतों समेत अन्‍य कई कारणों से प्रभावित होती है।.इसलिए, अगर आप गर्भधारण करने और मां बनने का सपना देख रही हैं, तो अपनी बुरी और गैर-सेहतमंद आदतों को दूर करें और उनके स्‍थान पर स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक आदतों को अपनाएं.

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