जशपुर .
दुनिया भर में क्रिसमस हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है। इस दिन प्रभु यीशु का जन्म हुआ था। दुनिया भर के तमाम देश इस दिन को मनाते हैं लेकिन क्रिसमस डे को मनाने के तरीके और परंपरा अलग अलग हैं। क्रिसमस को लोग अपनी परंपराओं और मान्यताओं के मुताबिक मनाते हैं। क्रिसमस के मौके पर कई देश अलग अलग तरह के इवेंट का आयोजन भी करते हैं। किसी देश में क्रिसमस बाॅल होता तो किसी देश में लैटिन फेस्टिवल का आयोजन होता है। महागिरजा घर कुनकुरी में भी क्रिसमस का पर्व बड़ी धूम धाम से प्रत्येक वर्ष क्रिसमस का यह पर्व मनाया जा रहा है।
कुनकुरी महागिरजा घर जाने
छत्तीसगढ के जशपुर जिले के कुनकुरी में स्थित महागिरजा घर वास्तुकला का अदभुत नमूना है। यह विशालकाय भवन केवल एक बिंब में टिका हुआ है। इस भवन में 7 अंक का विशेष महत्व है। इसमें 7 छत और 7 दरवाजे मौजूद है। एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च कहलाने वाले इस चर्च एक साथ 10 हजार श्रद्वालु प्रार्थना कर सकते है।
महागिरजा घर की वजह से कुनकुरी शहर का विकास हुआ। वर्तमान में कुनकुरी,जशपुर जिला का तहसील मुख्यालय है। क्रिसमस के दौरान न केवल देश से ही बल्कि विदेशों से भी लोग यहां पहुंच कर प्रभु की प्रार्थना करते हैं। महागिरजाघर जीवन से होकर गुजरने वाले सात संस्कारों को अंगीकृत एवं उसे जीवन में आत्मसात कर पूर्णता व प्रेम का संदेश देता है।
कुनकुरी से 11 किलोमीटर दूर गिनाबहार में पारीस की स्थापना 1912 में हुई थी। इसके बाद जुलाई 1917 में गिनाबहार का चर्च बना। उस वक्त कुनकुरी एक छोटा सा गांव था। कुनकुरी महागिरजा बनने के बाद यहां लोयोला स्कूल और हॉलीक्रास अस्पताल की स्थापना हुई। जिसके बाद उस आसपास की आबादी बढ़ने लगी।
लोग आकर बसने लगे। दुकानें खुलने लगीं। धीरे-धीरे महागिरजा के कारण ही कुनकुरी एक नगर के रूप में विकसित हो गया। वर्तमान में कुनकुरी नगर पंचायत है और यहां की आबादी करीब 15 हजार है। इसाई धर्मावलंबियों का प्रमुख त्योहार प्रभु यीशु का जन्म उत्सव है। जिसे क्रिसमस या स्थानीय लोगों द्वारा बड़ा दिन या बड़ा पर्व भी कहा जाता है। पर्व मनाने के लिए सभी चर्चों मे भव्य तैयारियां की गई हैं। जिले में क्रिसमस की भव्यता अलग ही नजर आती है।
कुनकुरी का महागिरजा घर अन्य गिरजाघरों से भव्य एवं अत्यंत सुंदर है। यह महा गिरजाघर एशिया महाद्वीप में दूसरे बड़े महागिरजाघर के रूप मे प्रसिद्ध है। प्रतिवर्ष इस चर्च को देखने के लिए देश-विदेश से लोग कुनकुरी आते हैं। इस चर्च की सुंदरता, सजावट, प्रार्थना भव्यता वास्तुकला की अनुपम एवं अद्भुत कृति की चर्चा देश भर में होती है।
साल के अन्य महीनो की अपेक्षा दिसंबर, वह भी प्रभु यीशु के जन्म पर्व के विशेष अवसर के समय इसकी भव्यता चार गुनी हो जाती है। इस विशेष अवसर पर ईसाई धर्मावलंबी अपने प्रभु यीशु के जन्म अवसर की खुशी मे चर्च को सजाने खुशियां बांटने की तैयारी में जी जान से जुट जाते हैं। इस धर्म के मानने वाले लोगों की इस जिले में लगभग करीब 2 लाख से भी अधिक संख्या है। जशपुर धर्मप्रांत में 56 पारीस हैं।
1982 में हुआ था लोकार्पण
कुनकुरी चर्च की आधारशिला 1962 मे रखी गई थी। इसकी नींव तैयार होने मे ही दो साल लग गए, जो 1964 मे पूर्ण किया गया। इस महागिरजा घर का निर्माण 1979 मे पूरा हुआ और 1982 मे इसका लोकार्पण हुआ। वास्तुकला की दृष्टि से यह अद्भुत और सौंदर्य से परिपूर्ण भवन है।
17 वर्ष मे पूरे हुआ यह भवन वास्तुकला का अनूठा नमूना है, जिसे यहां के आदिवासी मजदूरों के द्वारा बनाया गया है। इसकी शानदार बनावट को देखकर कोई यकीन करने को तैयार नहीं होता है। यह महागिरजाघर देश भर में अपनी सुंदरता के लिए भी प्रसिद्ध है।