Akshay Tritya: अक्षय तृतीया एक ऐसा पवित्र तिथि है जिसका पुण्य फल कभी समाप्त नहीं होता है

Akshay Tritya
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अध्यात्म । श्रीमती कल्पना शुक्ला । Akshay Tritya: परम पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी (गुरुजी) ने कथा में यह बताए कि आज के दिन किया गया पुण्य कर्म अक्षय फल देता है,जिसका कभी क्षय नही होता है,अक्षय तृतीया को बहुत लोग आखा तीज के नाम से भी जानते हैं यह पुण्यतिथि ही नहीं अपितु महा पुण्यतिथि है।

अक्षय तृतीया और अक्षय नवमी दोनों का विशेष महत्व

Akshay Tritya: अक्षय तृतीया और अक्षय नवमी दोनों का विशेष महत्व है, इस दिन यूग का आरंभ हुआ था इसको युग तिथि भी कहते हैं सतयुग, त्रेता, द्वापर का आरंभ इसी दिन हुआ था ,जब हम मन ,कर्म, विचार सब तरह से शुद्ध होते हैं तो सतयुग में होते हैं ,जब 75 प्रतिशत शुद्ध होते हैं तो त्रेता में और जब 50% शुद्ध होते तो द्वापर में होते हैं और जब 75% गलत होते हैं तो कलयुग में होते हैं।

सतयुग, त्रेता, द्वापर तीनों युग अपने अंदर ही होता है। हर मनुष्य के अंदर यह तीनों गुण होते हैं इसलिए इस दिन का विशेष महत्व है इस दिन विशेष पुण्य करने की आवश्यकता होती है सत्य बोलना, अच्छा कार्य करना ,मंत्र जाप ,स्नान ,दान ,गंगा स्नान आदि।

अक्षय जिसका कभी क्षय ना हो,इस दिन जो भी पुण्य कार्य करते हैं वह अक्षय होता है ,उसका पुण्य कभी क्षय नहीं होता जन्म-जन्मांतर तक होता है उचित व्यक्ति, उचित स्थान को देखकर दान करना वह पुण्य हमेशा अक्षय के रूप में प्राप्त फल देता है।

अक्षय तृतीया के दिन हम गुरु मंत्र का जाप करें तो वह काफी पुण्य दायी

Akshay Tritya: पूजा-पाठ ,मंत्र इन सबसे अधिक दूर रहें कथा से दूर रहें तो वह कुकर्म का भी फल मिलता है इसलिए हमें केवल सोचते ही नहीं रहना चाहिए अपितु ऐसे अक्षय पुण्य के अवसर पर दान पुण्य करना चाहिए। अक्षय तृतीया के दिन अगर हम गुरु मंत्र का जाप करें तो वह काफी पुण्य दायी होता है यमराज के दरवाजा में कभी नहीं जाता है अपितु भगवान विष्णु के पार्षद आते हैं ।

अक्षय तृतीया एक ऐसा पवित्र तिथि है जिसका पुण्य फल कभी समाप्त नहीं होता

Akshay Tritya:अक्षय तृतीया एक ऐसा पवित्र तिथि है जिसका पुण्य फल कभी समाप्त नहीं होता है।इस समय नारायण के छठवें अवतार के रूप में परशुराम जी का जन्म हुआ था ,भगवान परशुराम का अवतरण दिवस होता है , भगवान परशुराम का अवतार का वास्तविक अर्थ यह है जिस समय राम से समस्त राजाओं ने युद्ध करने तैयार होते हैं वह राक्षस राजा रावण आदि सब प्रकार की कुप्रवृत्ति 10,000 राजा के रूप में।

Akshay Tritya: अक्षय तृतीया एक ऐसा पवित्र तिथि है जिसका पुण्य फल कभी समाप्त नहीं होता है

Akshay Tritya: वह सब कुप्रवृत्ति हमारे अंदर होती है जो हमें शांति और भक्ति से एक नहीं होने देती है,शांति अलग, भक्ति अलग-अलग परमात्मा अलग रहता है, भगवान परशुराम के आते ही सब राजा शांत हो गए नतमस्तक हो गए, डर गए ,अकेले ही सबका नाश कर देंगे, मनुष्य के अंदर भी इतनी अधिक बुराइयां है ,कबीर दास जी कहते हैं..

 एक लाख पुत्र सवा लाख नाती ,ताकि घर दिया ना बाती…

 Akshay Tritya: लंका रूपी सारी बुराइयां मनुष्य के खोपड़ी में भारी पड़ी है प्रगट जनकपुर में अप्रकट लंका में थी।

अपने अंतःकरण में परशुराम का आगमन होगा तो बुराइयां नतमस्तक हो जाएगी जब भगवान परशुराम का अवतार अपने अंदर हो जाए इस समय बुराइयां शिथिल पड़ जाएगा, डर जाएगा ,शांत हो जाएगा और भक्ति और शांति का मिलन हो जाएगा ।

Akshay Tritya: अपने अंदर में परशुराम जी को जागृत करना पड़ेगा जो बुराइयों को शिथिल कर देते हैं, भगवान अहंकार रूपी सारी बुराइयों को समाप्त करते हैं राम अवतार नहीं परशुराम अवतार करने की आवश्यकता होती है तब बुराइयां नतमस्तक हो जाएगी।


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 Akshay Tritya:परशुराम जी धर्म ध्वजा वाहक और संस्कृति के रक्षक हैं

काम, क्रोध,लोभ,मोह समस्त बुराई एक ही साथ परशुराम जी के सामने आ जाते हैंऔर शिथिल पड़ जाते है,और यदि भगवान परशुराम क्षत्रिय विनाशक होते तो राम क्यों खड़े होते ? संस्कृति की रक्षा करना ,क्षत्रिय की रक्षा करना, प्रजा को संतान की तरह सुख देना, यह परशुराम जी करते हैं।

धर्म ध्वजा वाहक बनकर आते हैं गलत करने वाले को समाप्त करते हैं, इस तरह परशुराम जी धर्म की रक्षा करते हैं जब हम गिरते हैं तो हमारा हाथ ही सामने होता है जब कुछ आता है तो हमारा हाथ ही सामने होता क्योंकि भूजा क्षत्रिय है और क्षत्रिय सब की रक्षा करते हैं भगवान राम धर्म ध्वज के अनुसार कार्य में लगे रहते हैं भगवान उनकी रक्षा करते हैं ।

परशुराम जी इसी तरह इसलिए अवतार लेते हैं और इस खुशी के अवसर पर जितने राजा थे सब युद्ध करने तैयार थे जिसको परशुराम जी रोक देते हैं और शांति और भक्ति का मिलन होता है, परमात्मा से लड़ने की नहीं अपितु प्रेम करने की आवश्यकता है यह शिक्षा देते हैं।परशुराम जी क्रोध करके भगवान राम में ब्रह्म का दर्शन कराए,तब तक लोग जानते नहीं थे कि राम भगवान है सब प्रकार के उत्तम कार्य किया और अक्षय तृतीया को अवतार लेते हैं l


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 Akshay Tritya: गंगा के जल से स्नान करना ,पवित्र भाव से भगवान का नाम लेना

Akshay Tritya: भगवान सारी बुराइयों का नाश करते हैं इस दिन गंगा के जल से स्नान करना ,पवित्र भाव से भगवान का नाम लेना ,गाय के पीठ पर हाथ फेरना ताकि दुर्भाग्य की रेखा मिट जाए, प्रसन्न भाव से अधिक से अधिक दान करना ,भूमि दान करना सबसे अधिक महत्वपूर्ण है ,एक फीट से लेकर एक गज तक ।

Akshay Tritya: उसी अनुपात में पैसा दे सकते हैं एक भूमि का टुकड़ा भी विशेष महत्व होता है।यह विशेष स्थिति में विशेष पर्व पर अपने पूर्वजों के लिए अक्षय फल देने वाला होता है ।भगवान की पूजा, गुरु मंत्र ,स्नान, दान ,पुण्य ,इस सबका बहुत महत्व होता है ,इस दिन सोने खरीदने का विधान है उसका फल भी अच्छा होता है, भाग्य में सब कुछ होता है प्राप्ति का माध्यम सिर्फ कर्म होता है ।

Akshay Tritya: भगवान ने दिन -रात, समय 24 घंटा, पञ्च तत्त्व धरती ,आकाश, अग्नि, जल, वायु सब एक ही दिए हैं कोई खाली दूध पीकर रहता है तो कोई उसे दही बनाता है कोई घी निकलता है जिस तरह कर्म करते हैं उसी तरह फल मिलता है, भाग्य के निर्माता हम स्वयं होते हैं हम अपने को बर्बाद कर दे या सवार दे, किंतु अक्षय पर्व पर किया गया दान पुण्य जन्म जन्मांतर के लिए होता है।

समस्त देशवासियों को अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जी के अवतरण दिवस पर शुभकामनायें ।

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