नई दिल्ली: Indian International Film Festival: आप पूरी दुनिया में भारत के डिजिटल एम्बेसडर/प्रतिनिधि हैं। आप वोकल फॉर लोकल के ब्रांड एंबेसडर हैं।” इस साल के शुरू में माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रथम राष्ट्रीय सर्जक पुरस्कार (नेशनल क्रिएटर अवार्ड) प्रदान करते समय कहे गए ये प्रेरक शब्द भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था की परिवर्तनकारी भूमिका को उजागर करते हैं।
आज, हमारे रचनाकार केवल कहानीकार नहीं हैं, वे राष्ट्र का निर्माण कर भारत की पहचान को आकार दे रहे हैं और वैश्विक स्तर पर इस क्षेत्र की गतिशीलता का प्रदर्शन कर रहे हैं।
Indian International Film Festival: गोवा में आज 55वां भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) का आरंभ हो रहा है, जिसका मुख्य आकर्षण इसकी थीम ‘युवा फिल्म निर्माता – भविष्य अब है’।
अगले आठ दिनों में, आईएफएफआई सैकड़ों फिल्मों का प्रदर्शन करेगा, फिल्म क्षेत्र के दिग्गजों के साथ संवाद भी आयोजित करेगा और इसमें वैश्विक सिनेमा में सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को सम्मानित किया जाएगा।
वैश्विक और भारतीय सिनेमाई उत्कृष्टता का यह संगम भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था को नवाचार, रोजगार और सांस्कृतिक कूटनीति के एक केंद्र के रूप में व्यक्त करता है।
Indian International Film Festival: भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था का प्रसार
भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था 30 बिलियन डॉलर के उद्योग के रूप में सामने आई है, जो सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 2.5 प्रतिशत का योगदान देती है और 8 प्रतिशत कार्यबल को रोजगार प्रदान करती है।
सिनेमा, गेमिंग, एनीमेशन, संगीत, प्रभावशाली मार्केटिंग और अन्य गतिविधियों को समाहित करने वाला यह क्षेत्र भारत के सांस्कृतिक परिदृश्य की जीवंतता को दर्शाता है।
3,375 करोड़ रुपये मूल्य वाले एक प्रभावशाली मार्केटिंग क्षेत्र और 200,000 से अधिक पूर्णकालिक सामग्री निर्माताओं के साथ, यह उद्योग भारत की वैश्विक आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने वाली एक गतिशील शक्ति है। गुवाहाटी, कोच्चि और इंदौर और अधिक से अधिक शहर विशेष रूप से रचनात्मक केंद्र बन रहे हैं, जो विकेंद्रीकृत रचनात्मक क्रांति को बढ़ावा दे रहे हैं।
भारत के 110 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता और 70 करोड़ सोशल मीडिया उपयोगकर्ता रचनात्मकता के इस लोकतंत्रीकरण को आगे बढ़ा रहे हैं। सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म और ओटीटी सेवाएं रचनाकारों को विश्व स्तर पर दर्शकों से सीधे जुड़ने में सक्षम बनाती हैं।
क्षेत्रीय सामग्री और स्थानीय स्तर की कहानी कहने की लोगों की प्रतिभा ने कथा को और विविधता प्रदान की है, जिससे भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था वास्तव में समावेशी बन गई है।
ये सभी कंटेंट क्रिएटर आर्थिक स्तर पर अभूतपूर्व सफलता प्राप्त कर रहे हैं, जिनके दस लाख से ज़्यादा फ़ॉलोअर्स हैं और वे प्रति माह 20,000 से 2.5 लाख रुपये तक कमा रहे हैं। यह व्यवस्था आर्थिक रूप से लाभकारी है और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति और सामाजिक प्रभाव के लिए एक मंच भी है।
Indian International Film Festival: विभिन्न आयामों पर प्रभाव
रचनात्मक अर्थव्यवस्था का गहरा प्रभाव है जो सकल घरेलू उत्पाद के विकास से कहीं आगे तक विस्तारित है। यह पर्यटन, आतिथ्य और प्रौद्योगिकी सहित विभिन्न क्षेत्रों के सहायक उद्योगों को काफी प्रभावित करता है। इसके अलावा, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म उपेक्षित लोगों की आवाज भी मजबूती से उठाता है।
यह सामाजिक समावेशन, विविधता और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण को भी समृद्ध करता है। कथ्य प्रस्तुत करने की अपनी कला द्वारा भारत ने बॉलीवुड से लेकर क्षेत्रीय सिनेमा तक अपनी वैश्विक सॉफ्ट पावर को मजबूती दी है, जो विश्व मंच पर प्रचुर सांस्कृतिक भाव प्रदर्शित करता है।
यह क्षेत्र वैश्विक स्थिरता लक्ष्यों के साथ भी जुड़ा है, जिसमें पर्यावरण अनुकूल उत्पादन पद्धतियों और फैशन के क्षेत्र में टिकाऊ प्रक्रियाओं का दय शामिल है, जो पर्यावरण के प्रति जागरूकता की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
Indian International Film Festival: सरकार की परिवर्तनकारी पहल
भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था को वैश्विक मंच पर उच्च स्थान पर पहुंचाने के लिए सरकार तीन प्रमुख स्तंभों पर प्राथमिकता से ध्यान दे रही है: प्रतिभा संकलन और उनकी क्षमता बढ़ाना, सृजनकारों के लिए बुनियादी ढांचा सुदृढ़ करना और फिल्म कथ्य शिल्प को सशक्त बनाने की प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना।
Indian International Film Festival,: यह दृष्टिकोण भारतीय रचनात्मक प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईसीटी) की स्थापना नवरचना और रचनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दर्शाता है।
आईआईसीटी का उद्देश्य भारतीय सृजनकार – चाहे वे सिनेमा, एनीमेशन, गेमिंग या डिजिटल कला क्षेत्र के हों, उन्हें घरेलू स्तर पर और एक एकीकृत सांस्कृतिक शक्ति के रूप में तथा वैश्विक मनोरंजन के क्षेत्र में अग्रणी बनाना सुनिश्चित करना है।
फिल्म निर्माण में नवीनतम तकनीकों को अपनाकर, संवाददात्मक मनोरंजन और अपने सम्मोहन के साथ भारत मनोरंजन सामग्री निर्माण का भविष्य फिर से परिभाषित कर रहा है।
विश्व ऑडियो विजुअल और मनोरंजन शिखर सम्मेलन (वेव्स) देश को कंटेंट निर्माण और अनूठे विचार के साथ वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करने की ऐतिहासिक पहल है।
डब्ल्यूएवीईएस एक गतिशील मंच है जहां सृजनकार, इस उद्योग के अग्रणी और नीति निर्माता ऑडियोविजुअल और मनोरंजन क्षेत्रों के भविष्य को आकार देने के लिए साथ मिले हैं।
Indian International Film Festival: प्रधानमंत्री की क्रिएट इन इंडिया भविष्य दृष्टि के अनुरूप, यह सम्मेलन इस क्षेत्र में आपसे सहयोग को बढ़ावा देता है, साथ ही भारत की रचनात्मक क्षमता का प्रदर्शन कर वैश्विक भागीदारों को अपने से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करता है।
क्रिएट इन इंडिया चैलेंज भारत की सृजनात्मक अर्थव्यवस्था (क्रिएटर इकोनॉमी) की अपार संभावनाओं को उजागर करने के लिए डिज़ाइन की गई एक अग्रणी पहल है।
Indian International Film Festival: वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट (वेव्स) की तैयारी के हिस्से के रूप में शुरू की गई इन चुनौतियों का उद्देश्य एनिमेशन, गेमिंग, संगीत, ओटीटी कंटेंट और इमर्सिव स्टोरीटेलिंग जैसे प्रमुख क्षेत्रों में प्रतिभाओं को प्रेरित और सशक्त बनाना है।
14,000 से अधिक पंजीकरणों और स्टार्टअप्स, स्वतंत्र रचनाकारों और उद्योग के पेशेवरों की सक्रिय भागीदारी के साथ, यह पहल भारत की अभिनव भावना को प्रदर्शित करती है।
Indian International Film Festival: आगे की राह: भारत को दुनिया तक ले जाना
जब हम आईएफएफआई में सिनेमाई प्रतिभा के इस आठ दिवसीय उत्सव की शुरुआत कर रहे हैं, तो संदेश स्पष्ट है: भारत के रचनाकार वैश्विक रचनात्मक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं।
भारत सरकार नीतिगत सुधारों, बुनियादी ढांचे के विकास और नवाचार के लिए प्रोत्साहन के माध्यम से इस क्षेत्र का समर्थन करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
हमारे रचनाकारों के लिए, कार्रवाई का आह्वान सरल लेकिन गहरा है: 5G, वर्चुअल प्रोडक्शन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाएं।
Indian International Film Festival: ऐसे प्लेटफ़ॉर्म का लाभ उठाएं जो भौगोलिक बाधाओं को पार करते हैं और ऐसी कहानियाँ बताते हैं जो भारत की अनूठी पहचान को दर्शाते हुए वैश्विक स्तर पर गूंजती हैं।
भविष्य उन लोगों का है जो नवाचार करते हैं, सहयोग करते हैं और सहजता से सृजन करते हैं। आइए भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था प्रेरणा का प्रतीक बने, आर्थिक विकास, सांस्कृतिक कूटनीति और वैश्विक नेतृत्व को आगे बढ़ाए।
आइए हम साथ मिलकर यह सुनिश्चित करें कि हर भारतीय रचनाकार एक वैश्विक कहानीकार बने और भविष्य को आकार देने वाली कहानियों के लिए पूरा विश्व भारत की ओर देखे।