साहित्य,
हौसले अपने कभी भी कम नहीं करना,
मुश्किलों से भाग पीछे पग नहीं धरना।
देखना फिर एक दिन संसार की सारी,
रौनकें कदमों तले होंगी, नहीं डरना।
हाथ खाली हो अगर तो शर्म आएगी,
बाँधकर मुट्ठी जुनूँ तक मेहनत भरना।
आँधियाँ बन धूल को तू काम मत देना,
फिर कभी सरकार हो सकते नहीं,वरना।
तेल हो जब तक दिए में रौशनी देता,
लोग वरना मतलबी आयें तेरे दर ना।
कौन कहता है ज़माना झुक नहीं सकता,
मौत से भिड़ने को भी’बल’हम डरें ग़र ना।
:-बल्लू-बल