स्वास्थ्य विभाग की तत्परता से ग्रामीण महिला का हुआ सुरक्षित प्रसव….कुछ दूरी तक कांवड़ से लाया गया…फिर मिली एम्बुलेंस से सहायता

नारायणपुर.

स्वास्थ्य विभाग लोगों के बेहतर उपचार करने हेतु वचनबद्ध है। ऐसा ही एक वाकया नारायणपुर जिले के संवेदनशील क्षेत्र रेंगाबाड़ा में देखने को मिला। बीते दिनों धनोरा अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मियों ने प्रसव पीड़ा से कराह रही महिला का सुरक्षित प्रसव कराया। इस केस में स्वास्थ्यकर्मी यातायात विहीन मार्ग मे गए और अत्यंत मुश्किल हालातों का सामना करते हुए गर्भवती को अस्पताल लेकर आए और उस महिला की सुरक्षित डिलिवरी करवाई । यहाँ के स्वास्थ्यकर्मी हमेशा अपने सेवा भाव के लिये जाने जाते है। वह विकट परिस्थितियों में भी स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास करते रहते हैं।

विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, धनोरा अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी डॉ. जैनेन्द्र शांडिल्य को एक नम्बर से कॉल आया। सामने से हाँफते हुए उस व्यक्ति ने बताया, “एक डिलीवरी केस है। ग्राम पंचायत रायनार के रेंगाबेड़ा की रहने वाली महिला को अचानक से दर्द चालू हुआ, और अब दर्द बहुत बड़ गया है, इस कारण महिला को बहुत परेशानी भी हो रही है। रास्ता खराब होने के कारण यहाँ तक एम्बुलेंस का आना मुश्किल है, ऐसे में अगर ओरछा मेन रोड के इंडिया गेट तक एम्बुलेंस भिजवा देंगे तो बेहतर होगा, वहां से 3 किलोमीटर अंदर गांव रेंगाबेड़ा से हम कांवड़ में उठाकर महिला को रोड तक ले आयेंगे”

यह सूचना मिलते ही डॉ जैनेंद्र कुमार शांडिल्य ने महिला की तात्कालिक स्थिति जाननी चाही पर उस वक्त कॉल किये व्यक्ति ने बताया कि गांव में नेटवर्क की अनुपलब्धता के कारण घर से बहुत दूर आया हुआ है। चूँकि कॉल शाम को आया था उस वक़्त तक सभी की ड्यूटी खत्म हो चुकी थी, अतः महिला की गंभीर स्थिति को समझते हुए , डॉक्टर ने इलाज की प्रारम्भिक तैयारी अस्पताल के साथ-साथ एम्बुलेंस में भी कर दी, ताकि आपातकालीन स्थिति में एंबुलेंस में अगर डिलीवरी कराना पड़ जाए तो उसके लिए पहले से तैयारी रहे।

डॉ जैनेंद्र कुमार शांडिल्य ने बताया, “हमारी प्राथमिकता थी कि प्रसव पीड़ा की स्थिति में महिला और बच्चे की जान को कोई खतरा न हो इसलिये महिला तक जितनी जल्दी हो सके पहुंचा जाए। एंबुलेस ड्राइवर देवू राम पात्रा और युवराज पटेल के साथ हम समय पर रेंगाबेड़ा की ओर निकले, ओरछा मेन रोड के इंडिया गेट में पहुंचने के के बाद पता चला की महिला की स्थिति और भी ज्यादा खराब होती जा रही है , तो हम जंगल के अंदर एंबुलेंस को ले गए। रास्ता बहुत ही खतरनाक था। दोनो तरफ से एंबुलेंस, लताएं और झाड़ीयों से ढक जा रहे थे , रास्ते में 3 गहरे नाले को जैसे तैसे पार किये लेकिन चौथे नाले को पार करना मुश्किल था। हम वहीं रुक गए। मरीज के परिवार वालों ने भी बिना देरी किये गर्भवती को कांवड़ में बिठाकर एंबुलेंस तक लाये । वापसी के दौरान भी उबड़ खाबड़ रास्तों के कारण बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा। हम अस्पताल 6:30 बजे पहुंचे, तबतक सभी स्टॉफ अपनी तैयारियों के साथ वहां मौजूद थाअस्पताल आने के 1 घण्टे के भीतर ही गर्भवती महिला राधा कश्यप ने बच्चे को जन्म दिया।और इस प्रकार हमने महिला को अस्पताल लाकर उसका सुरक्षित प्रसव कराया। जन्म उपरांत बच्चे का वजन 2.6 किलोग्राम था। स्वास्थ्य कर्मियों की तत्परता के कारण मां और शिशु दोनो पूरी तरह से स्वस्थ हैं। एम्बुलेंस ड्राइवर देवुराम पात्रा की सूझबूझ से हम महिला तक समय रहते पहुंच सके। मैं मानता हूं कि आज का हीरो वही है।”

स्टाफ नर्स सविता नेताम , कंचन दुग्गा , राधा सलाम और वार्ड आया लछमती कोर्राम ने संयुक्त रूप से महिला की सुरक्षित डिलीवरी करवाई ।

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