सीटी स्कैन जुड़े फायदे और नुकसान

 

कोरोना की दूसरी लहर ने लाखों लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है. देशभर में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए कई जगहों पर संपूर्ण लॉकडाउन लगा दिया गया है. वहीं लोगों से अनिवार्य रूप से मास्क पहनने, हाथों को साबुन और हैंडवॉश से बार-बार साफ करने और सोशल डिस्टेंसिंग को अपनाने के लिए कहा जा रहा है. इसके अलावा शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए भी कहा जा रहा है. दरअसल इस समय सेहत का खास ख्याल रखना बहुत जरूरी है. इस लहर के श‍िकार लोगों की संख्‍या इतनी ज्‍यादा है कि जांच से लेकर इलाज तक में आम लोगों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. इस बीच कोरोना की जांच में सीटी स्‍कैन भी जोर शोर से इस्‍तेमाल हो रहा.

हाल ही में समाचार एजेंसी एएनआई को दिए एक बयान में एम्‍स के डायरेक्‍टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा था कि बार-बार सीटी स्‍कैन कराना बड़े खतरे को बुलाना हो सकता है. उन्‍होंने कहा था क‍ि सीटी स्‍कैन से कोरोना मरीजों को कैंसर होने का खतरा भी हो रहा है. डॉ. गुलेरिया ने कहा था कि रेडिएशन के एक डेटा का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि लोग तीन-तीन दिन में सीटी स्कैन करा रहे हैं जो कि उनके सेहत के लिए बिल्कुल सही नहीं है. आइए आपको बताते हैं कि क्या होता है सीटी स्कैन , क्या हो सकते हैं इसके नुकसान और कोरोना से क्या है इसका संबंध.

क्या होता है सीटी स्कैन
सीटी स्कैन क्ंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी स्कैन है. ये एक तरह का थ्री डायमेंशनल एक्‍सरे है. टोमोग्राफी का मतलब किसी भी चीज को छोटे-छोटे सेक्शन में काटकर उसका स्टडी करना है. कोविड के केस में डॉक्टर जो सीटी स्कैन कराते हैं, वो है HRCT Chest यानी सीने का हाई रिजोल्यूशन कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी स्कैन. इस टेस्ट के जरिए फेफड़ों को 3डी इमेज में देखा जाता है. देखते हैं. इससे फेंफड़ों का इंफेक्शन जल्दी पता चल जाता है. हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि ब‍िना डॉक्‍टर की सलाह के सीटी स्‍कैन कराने न जाएं या बि‍ना लक्षणों के भी इसे बिल्कुल न कराएं.

यही नहीं कोरोना संक्रमण के दूसरे या तीसरे दिन भी इसे नहीं कराना चाहिए. जब तक डॉक्‍टर सलाह न दें, सीटी स्‍कैन बिल्कुल नहीं कराना चाहिए. ये शरीर के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. इससे पहले डॉ गुलेरिया ने भी कहा था कि कोरोना के माइल्‍ड सिंप्‍टम वाले जिन मरीजों को होम आइसोलेशन की सलाह दी गई है, उन्‍हें अपनी तरफ से सीटी स्‍कैन नहीं कराना चाहिए. आपको बता दें कि एक सीटी स्‍कैन से करीब 300 चेस्‍ट एक्‍सरे के बराबर रेडिएशन शरीर में पहुंचता है जो बार-बार कराने पर शरीर को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा सकता है.

क्‍या है सीटी स्कोर और सीटी वैल्यू
डॉक्‍टरों के अनुसार सीटी वैल्यू सामान्‍य से जितनी कम होती है, संक्रमण उतना अधिक होता है और ये जितनी अधिक होती है, संक्रमण उतना ही कम होता है. ICMR ने अभी कोरोना का पता लगाने के लिए सीटी वैल्यू 35 निर्धारित की हुई है. इसका अर्थ यह है कि 35 और इससे कम सीटी वैल्यू पर कोविड पॉजिटिव माना जाता है और 35 से ऊपर सीटी वैल्यू होने पर पेशेंट को कोविड नेगेटिव माना जाता है. वहीं सीटी स्कोर से ये पता चलता है कि इंफेक्शन ने फेफड़ों को कितना नुकसान पहुंचाया है. इस नम्बर को CO-RADS कहा जाता है. यदि CO-RADS का आंकड़ा 1 है तो सब नॉर्मल है, वहीं अगर ये 2 से 4 है तो हल्का इन्फेक्शन है लेकिन यदि ये 5 या 6 है तो पेशेंट को कोविड पॉजिटिव माना जाता है.

सीटी स्कैन के फायदे और नुकसान
-सीटी स्कैन करते समय लैब में तमाम तरह की जांच होती हैं. इन जांचों से रेडिएशन निकलता है जो कि मरीज की सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. इस रेडिएशन से सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. कभी-कभी ये रेडिएशन दूसरे अंगों को भी प्रभावित कर देते हैं.
-डॉक्टरों की मानें तो बच्चों का सीटी स्कैन कराते वक्त खास ख्याल रखना चाहिए. दरअसल बच्चे अनजाने में शरीर को हिलाते रहते हैं. ऐसे में बीमारी का पता लगाने के लिए कई बार जांच करनी पड़ती है. बार-बार सीटी स्कैन कराने से बच्चों का शारीरिक विकास प्रभावित हो सकता है.
-कुछ लोगों को सीटी स्कैन करवाने के बाद एलर्जी हो जाती है. ज्यादातर समय यह प्रतिक्रिया हल्की होती है. इससे शरीर में खुजली या दाने हो सकते हैं. कई बार यह काफी खतरनाक साबित होती है.
-अगर आपको डायबिटीज है और आप इसके लिए दवा ले रहे हैं तो आपको सीटी स्कैन करवाने से पहले या बाद में अपनी दवा लेना बंद कर देना चाहिए.
-वहीं सीटी स्कैन करवाने से किडनी में भी समस्या हो सकती है. अगर सीटी स्कैन करवाने से पहले ही किडनी की कोई समस्या है, तो अपने डॉक्टर को यह जरूर बताएं.
-सीटी स्कैन निर्धारित करता है कि सर्जरी कब जरूरी है.

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