सात दीप नौ खंड में गुरु से बड़ा न कोय…

परम पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी (गुरुजी)

रायपुर / कल्पना

गुरु की सत्ता हम इंसानों ने नहीं अपितु स्वयं भगवान ने भी स्वीकार किया क्योंकि गुरु ही होते हैं जो हमें सही दिशा सही मार्ग और हमे हमारी मंजिल तक पहुंचा देते हैं। जीवन ऐसे ही भटकते -भटकते बीत जाता है, लेकिन जब हम गुरु चरणों की सन्निध्यता में आते हैं तो हम भटकाव से बस जाते हैं अपनी मंजिल को प्राप्त करते हैं । गुरु हमें यह बताते हैं कि अधिकतर दुख का कारण अज्ञानता ही होती है लेकिन जब हम अपने गुरु की सानिध्यता में आते हैं अज्ञान से ज्ञान में प्रवेश करते हैं अंधकार से प्रकाश में प्रवेश करते हैं, जैसे- सूर्य निकलने पर अंधकार हट जाता है उसी तरह गुरु के सानिध्य में आने के बाद अज्ञानता मिटती चली जाती है और जब हम ज्ञान की ओर अग्रसर होते हैं परम आनंद को प्राप्त करते हैं शास्त्रों में गुरु को ब्रह्मा ,विष्णु, महेश और पार ब्रह्म कहा गया है, जीवन का सही उद्देश्य और जीवन जीने की कला गुरु चरणों से ही प्राप्त होती हैं, मां हमें जन्म देती है लेकिन जब हम शिष्य बन जाते तब हमारा वास्तविक जन्म होता है । और यह जन्म बड़े ही सौभाग्य से प्राप्त होता है और जीवन को सार्थक बना देता है । समस्त शिष्य,शिष्याओं की ओर से शिक्षक दिवस के पावन अवसर पर गुरु चरणों में वंदन कोटि-कोटि नमन

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