साहित्य/संपादकीय ,
प्रदीप भोले प्रथम श्रेणी के उच्च अधिकारी पद से सेवानिवृत्त हुए थे । उनकी दिनचर्या में खान-पान पहनावा सब कुछ ऊंचे दर्जे का ही शामिल था। घर पर रहते समय अथवा रात को सोते समय सफेद पाएजामा कुर्ता पहनना उनकी आदत में शुमार था । सेवानिवृत्ति के बाद भी अपनी इस जीवन शैली को उन्होंने अपनाए रखा था,पर सत्तर वर्ष की आयु में अपने लिए नया पाएजामा कुर्ता बाज़ार से खरीद कर लाना संभव नहीं था,अतः उन्होंने एक दिन अपने बेटे से दो जोड़ी सफेद पाएजामा कुर्ता खरीद कर लाने का फ़रमान जारी कर दिया ।
बूढ़े पिता के फ़रमान का पालन करना तो दूर सुनना भी बेटे और बहू को नागवार गुज़रा।बहू ने अपने पति के चेहरे पर उभरे भाव से परख लिया था कि उन्हें पापाश्री का यह फ़रमान पसंद नहीं आया है।फौरन मौका पर चौका मारते हुए प्रदीप भोले की बहू ने कहा- पापाश्री के आशीर्वाद से आप शासकीय विभाग में उच्च श्रेणी के अधिकारी के पद पर सेवारत हैं।आपको भी दौरे पर जाना रहता है।आपको याद है पापाजी दौरे पर जाते समय हमेशा सफेद पायजामा कुर्ता बैग में लेकर जाया करते थे। आप भी इस जीवन शैली को बनाए रखें।पापा जी को अच्छा लगेगा। श्रीमती जी की बातों से भोले जी का बेटा भी सहमत हो गया ।
उसकी सहमति पाकर बहू का साहस बढ़ गया।वह बोली – पापाश्री के लिए नया कुर्ता पायजामा खरीदने के बजाय अपने पुराने कुर्ता पायजामा उन्हें दे दीजिए,क्योंकि वह तो घर पर ही पहनेंगे।आपको तो बाहर दौरे पर भी जाना होता है। वे तो सेवानिवृत्त भी हो गए।सेवानिवृत्त पायजामा उनके काम आ जाएंगे।भोले जी को अपनी चतुर पत्नी की सोच और मितव्ययिता भरा सुझाव भा गया था।वह अपने पुराने पायजामा कुरता लेकर पापाजी के पास पहुंचे और पुराना पायजामा देते हुए बोले- पापा जी यह मुझे ढीले होते हैं।आप इसे इस्तेमाल कर लीजिए।आपको तो घर पर ही रहना है। मैं अपने लिए नया ले आऊंगा।
बेटे की बात सुनकर भोले जी ने बनावटी हंसी का सहारा लिया और बोले- शाबाश बेटे,तूमअब बहुत होशियार हो गए हो। पुरानी चीज़ों का उपयोग कैसा करना है यह बख़ूबी समझ गए हो।इतना कहकर वे मन ही मन बुदबुदाए- मैं भी पुराना हो चुका हूं और मेरा उपयोग कैसा होना चाहिए यह भी तुम भली-भांति समझ गए हो। सेवानिवृत्त पापा जी को सेवानिवृत्त पायजामा देकर बेटे के चेहरे पर विजयी मुस्कान आ गई।जिसे देखकर पुराने पायजामा कुर्तों को रोना आ गया था।