बुजुर्गों को सोशल डिस्‍टेंसिंग का अभ्‍यास कराएं न कि सोशल आइसोलेशन का

 

देश में कोरोना वायरस  का कहर जारी है. तेजी से बढ़ते संक्रमण के बीच डबल म्यूटेंट वायरस और अब ट्रिपल म्यूटेंट चर्चा में है. ऐसे माहौल में खुद को सुरक्षित रखना हर किसी के लिए चैलेंज बना हुआ है. यह चैलेंज उन बुजुर्गों  के लिए अधिक मुश्किलों भरा है जो शारीरि‍क रूप से कमजोर हो चुके हैं औेर अपनी सुरक्षा के लिए पूरी तरह दूसरों पर निर्भर हैं. बुजुर्गों की इम्‍यूनिटी अधिक कमजोर होती है ऐसे में वे आसानी से संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं. कोरोना महामारी के इस बुरे दौर में घर और आसपास के बुजुर्गों का किस तरह ख्‍याल  रखा जाए यहां हम आपको बता रहे हैं.

ज्‍यादा से ज्‍यादा रहें घर पर
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंटेशन के मुताबिक, उम्र बढ़ने के साथ ही लोगों में कोरोना के संक्रमण का चांस बढ जाता है. ऐसे में उनको अपना खास ध्‍यान रखने की जरूरत होती है. उन्‍हें यह सलाह ली जा रही है कि वे अधिक से अधिक घर पर ही रहें और व्‍यायाम, वॉकिंग आदि के लिए बाहर जाने की बजाए घर पर ही करें. सीडीसी के मुताबिक, अमेरिका में कोविड-19 से हुई हर 10 मौतों में 8 लोग ऐसे थे जिनकी उम्र 65 साल से अधिक थी.

हाइजीन का रखें ख्‍याल
बुजुर्गों को हर कुछ देर में हाथों को 20 सेकेंड तक साबुन से साफ करने के लिए प्रोत्‍साहित करें. ये आदत उन्‍हें संक्रमण से बचने में मदद करेगी. घर पर उनके आसपास सफाई रखें और कुछ कुछ देर पर पास के सतहों को डिसइन्‍फेक्‍ट करते रहें. उनके रूम में वेंटिलेशन का विशेष ध्‍यान रखें और जहां तक हो सके उनके पास जाने से पहले बाहरी जूते, कपड़े आदि बदलकर, साबुन से हाथों को साफ कर या नहाकर ही जाएं.

ताजा परिस्थितियों से रखें अवगत
जहां तक हो सके उन्‍हें ताजा स्थितियों की जानकारी देते रहें और बचाव के उपाय बताते रहें. ऐसा करने से वे सावधानी बरतेंगे और खुद भी अपना ख्‍याल रखने का प्रयास करेंगे. बाहर जाने से पहले उन्‍हें किन बातों का ध्‍यान रखना है (मास्‍क कैसे पहनना है और कैसे सोशल डिस्‍टेंस बनाकर रखना है आदि) समझाएं.

घर पर अच्‍छा माहौल बनाएं
टीवी पर लगातार खबरें देखकर बुजुर्गों में तनाव बन सकता है जिसका असर उनकी मानसिक स्थिति और सेहत पर पड़ सकता है. इसलिए जहां तक हो सके घर पर सकारात्‍मक बातें करें और अच्‍छी बातों पर चर्चा करें. ऐसा करने से घर के बुजुर्गों के साथ साथ बच्‍चे और युवा भी स्‍ट्रेस से बचे रहेंगे.

फोन पर संपर्क बनाए रहें
अगर आपके माता पिता या परिवार के बुजुर्ग आपके साथ नहीं रहते हों तो हर दिन बात करते रहें. उनकी जरूरतों को पूछें और हर संभव उनको महसूस कराएं कि वे सुरक्षित हैं. आप अपने आस पास के बुजुर्गों से भी फोन पर हाल चाल लेते रहें. इससे उनमें अकेलापन नहीं आएगा और उन्‍हें महसूस होगा कि लोग उनकी परवाह करते हैं.

केयरिंग बनें
यूनीसेफ के मुताबिक,अगर आपके पड़ोस में कोई बुजुर्ग कपल अकेले रहता हो तो उनसे कभी कभी बातचीत करते रहें. कभी कभी उनके दरवाजे पर कुछ अच्‍छे नोट छोड़े. आपकी ये आदत उन्‍हें फील गुड कराएगी और वे सिक्‍योर महसूस करेंगे. जब भी बाजार जाएं तो फोन पर उनकी जरूरतों को पूछें और बाजार आते वक्‍त उनकी जरूरत की चीजों को खरीदकर पहुंचा दें. ग्रॉसरी शॉपिंग लाइन करने में भी उनकी मदद आप कर सकते हैं. कभी कभी घर का बना खाना उनके साथ टिफिन बॉक्‍स में शेयर करें.

उनकी जरूरतों को पूछ लें
जब कभी आप किराना की दुकान, कन्वीनियंस स्‍टोर या मेडिसिन स्‍टोर जाएं तो एक बार घर या आसपास के बुजुर्गों से उनकी जरूरत की चीजों के बारे में पूछ लें. बिजली बिल, पानी बिल या पेंशन आदि कैसे ऑनलाइन भरा जा सकता है आप इसमें उनकी मदद कर सकते हैं.

सोशल आइसोलेशन से बचाएं
बुजुर्गों को सोशल डिस्‍टेंसिंग का अभ्‍यास कराएं ना कि सोशल आइसोलेशन का. लोगों से डिजिटली जुड़ने के लिए उन्‍हें स्‍मार्ट फोन, लैपटॉप, टैबलेट आदि का उपयोग सिखाएं. उन्‍हें विडियो चैट करना सिखाएं.

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