प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला द्वारा निकम्मा शब्द कहने पर शिक्षक वर्ग नाराज…शिक्षक संघों ने इस मुद्दे पर आपत्ति जताई…

प्रमुख सचिव ने कहा- शिक्षक आंकलन कर दें कि कौन से शिक्षक संतोषजनक, किसको निकम्मा माना जाएगा... राज्य स्तरीय वेबिनार में प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला के शब्दों के विरोध में उतरे सभी शिक्षक संघ। प्रमुख सचिव से ही कई सवाल पूछे।

रायपुर.

शिक्षा विभाग के राज्य स्तरीय वेबिनार में लगभग 20 हजार से ज्यादा शिक्षक जुड़े थे, उसमें प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला द्वारा निकम्मा शब्द कहने पर शिक्षक वर्ग नाराज हो गए। शिक्षक संघों ने इस मुद्दे पर आपत्ति जताई है। साथ ही, शिक्षा विभाग के अफसरों से सवाल पूछा है, कि उपलब्धियों के लिए शिक्षा विभाग के सचिव वाहवाही लेते हैं और कमियों के लिए शिक्षकों को निकम्मा क्यों कहा जा रहा है ?

 डॉ. आलोक शुक्ला ने क्या कहा… 

‘समग्र शिक्षा के एमडी साहब मुझे तीन दिन में डॉक्यूमेंट बनाकर दें कि हम शिक्षकों ने क्या कार्य किया, उसका आंकलन कैसे करेंगे, किस प्रकार से आंकलन किया जाएगा शिक्षकों का, उस आंकलन में कौन से शिक्षक को संतोषजनक माना जाएगा, किसको निकम्मा माना जाएगा और किसको अत्यंत अच्छा माना जाएगा।’

शिक्षक संघ की क्या प्रतिक्रिया है,

विवेक दुबे, सर्व शिक्षक संघ – यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और आपत्तिजनक बात है कि हर असफलता का ठीकरा शिक्षकों के सिर पर फोड़ा जाता है, जबकि इन्हीं शिक्षकों के प्रदर्शन के दम पर केंद्र सरकार से पुरस्कार हासिल किए जा रहे हैं। व्यवस्था में कमी सदैव रहती है, उसे सुधारने के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ-साथ आत्म आंकलन भी जरूरी है। यदि शिक्षक फेल है तो निश्चित तौर पर अधिकारी भी फेल हैं। केवल एक को दोषी ठहरा देने से इतिश्री नहीं हो जाएगी। सचिव महोदय द्वारा 3 साल से यह कहा जा रहा है शिक्षकों की गैर शैक्षणिक कार्यों में ड्यूटी नहीं लगेगी, लेकिन लगातार ड्यूटी लगाई जा रही है। यहां तक कि चेकपोस्ट तक में शिक्षक ड्यूटी करने पर मजबूर हैं। एसडीएम और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी जब चाहें जिन शिक्षकों की चाहें ड्यूटी लगा देते हैं और शिक्षा विभाग विरोध तक नहीं कर पाता है। जो शिक्षक गैर शैक्षणिक कार्यों में संलग्न हैं, बाद में उन्हीं के परफॉर्मेंस को देखकर उन पर कार्रवाई की जाती है।

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