दस साल में 10वें से पांचवें स्थान पर पहुंच गई है हमारी अर्थव्यवस्था : मुर्मू

नयी दिल्ली ।। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को कहा कि भारत पहले पांच सबसे नाजुक अर्थव्यवस्थाओं में से था और आज यह दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है।

भारत दस साल पहले मौजूदा बाजार मूल्यों पर 1,900 अरब अमेरिकी डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के साथ दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। आज यह 3,700 अरब अमेरिकी डॉलर (अनुमानित 2023-24) के जीडीपी के साथ पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।

मुर्मू ने बजट सत्र के पहले दिन लोकसभा एवं राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ भारत को पहले पांच सबसे नाजुक अर्थव्यवस्थाओं में शामिल किया जाता था। आज हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए हैं। दुनियाभर में गंभीर संकट के बीच भारत सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है।’’

उन्होंने कहा कि दुनियाभर में गंभीर संकट के बीच भारत सबसे तेजी से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था है और पिछली लगातार दो तिमाहियों में आर्थिक वृद्धि दर साढ़े सात प्रतिशत रही है।

उल्लेखनीय है चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही है। वहीं जुलाई-सितंबर की दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था 7.6 प्रतिशत की दर से बढ़ी है।

मुर्मू ने कहा, ‘‘ बीते वर्षों में विश्व ने दो बड़े युद्ध देखे और कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी का सामना किया। ऐसे वैश्विक संकट के बावजूद मेरी सरकार ने देश में महंगाई को काबू में रखा, सामान्य भारतीय का बोझ नहीं बढ़ने दिया।’’

उन्होंने कहा कि देश में पहले मुद्रास्फीति की दर दहाई अंक में रहा करती थी जो अब चार प्रतिशत है।

मुर्मू ने कहा, ‘‘ 2014 से पहले के 10 वर्षों में औसत महंगाई दर आठ प्रतिशत से अधिक थी। पिछले दशक में औसत महंगाई दर पांच प्रतिशत रही।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ भारत का निर्यात करीब 450 अरब डॉलर से बढ़कर 775 अरब डॉलर से अधिक हो गया है। पहले की तुलना में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) दोगुना हुआ है। खादी और ग्रामोद्योग के उत्पादों की बिक्री में चार गुना से अधिक की वृद्धि हुई है।’’

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ देश में केवल कुछ 100 स्टार्टअप कंपनियां थीं, जिनकी संख्या आज बढ़कर एक लाख से अधिक हो गई है। पिछले वर्ष, एक लाख 60 हज़ार कंपनियां पंजीकृत हुईं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ 2014 से पहले के 10 वर्षों में करीब 13 करोड़ वाहन बिके थे। पिछले 10 वर्षों में देशवासियों ने 21 करोड़ से अधिक वाहन खरीदे हैं। 2014-15 में करीब दो हज़ार इलेक्ट्रिक वाहन बिके थे। जबकि 2023-24 में दिसंबर माह तक ही लगभग 12 लाख इलेक्ट्रिक वाहन बिक चुके हैं।’’

मुर्मू ने कहा, ‘‘ सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रम (एमएसएमई) और लघु उद्यमियों को सशक्त करने के लिए मेरी सरकार पूरी प्रतिबद्धता से काम कर रही है। उद्यम ‘असिस्ट पोर्टल’ पर करीब साढ़े तीन करोड़ एमएसएमई पंजीकृत हुए हैं।’’

राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले दशक में उनकी सरकार ने सुशासन और पारदर्शिता को हर व्यवस्था का मुख्य आधार बनाया है। इससे बड़े आर्थिक सुधारों हुए।

उन्होंने कहा, ‘‘ इस दौरान देश को दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता मिली। देश को जीएसटी (माल एवं सेवा कर) के रूप में एक कर कानून मिला है। सरकार ने वृहद आर्थिक स्थिरता भी सुनिश्चित की है।’’

मुर्मू ने कहा, ‘‘ 10 वर्षों में पूंजीगत व्यय पांच गुना होकर 10 लाख करोड़ रुपये हो गया है। साथ ही, राजकोषीय घाटा भी नियंत्रण में है। आज हमारा विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डॉलर से ज्यादा है।’’

उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में बुनियादी ढांचा विकास पर पूंजीगत व्यय 33 प्रतिशत बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया था।

मुर्मू ने कहा कि देश में आयकर दाखिल करने वालों की संख्या करीब सवा तीन करोड़ से बढ़कर लगभग सवा आठ करोड़ हो चुकी है।

उन्होंने कहा, ‘‘ यह बढ़ोतरी दो गुना से भी कहीं अधिक है। वहीं दिसंबर, 2017 में 98 लाख लोग माल एवं सेवा कर (जीएसटी) देते थे, आज इनकी संख्या एक करोड़ 40 लाख है।’’

बैंकिंग क्षेत्र पर उन्होंने कहा, ‘‘ पहले हमारी बैंकिग व्यवस्था चरमरा रही थी, पर आज हम विश्व में सबसे मजबूत बैंकिंग प्रणालियों में से एक हैं। आज बैंकों की गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) चार प्रतिशत ही हैं।’’

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान हमारी ताकत बन चुके हैं। भारत आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता देश है। पिछले एक दशक के दौरान मोबाइल फोन विनिर्माण में पांच गुना बढ़ोतरी हुई है।

उन्होंने कहा, ‘‘ कुछ साल पहले भारत खिलौने आयात करता था, आज हम भारत में बने खिलौनों का निर्यात कर रहे हैं।’’

राष्ट्रपति ने विश्वास जताया कि नया संसद भवन भारत की आजादी के अमृत काल में देश को ‘विकसित भारत’ बनाने के लिए प्रेरित करने वाली नीतियों पर सार्थक बातचीत का गवाह बनेगा।

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