तूने ही संसार बसाया।
तेरे खूँ से बनती काया।
हर साँसों में जीवन भरते,
हे ! माँ तेरी कैसी माया।।
१.
बलिदानों की गाथा में,
तुंग हिमालय माथा में।
मन में, माँ जगराता में,
रंगीनों में, सादा में।
तुझको मैंने हरदम पाया।
हे! माँ तेरी कैसी माया।।
२.
नारी तू अभिशाप नहीं,
पुण्य धरा है, पाप नहीं।
भगवान नहीं वो पत्थर है,
अगर ख़ुदा में आप नहीं।
हर – सू देखी तेरी छाया।
हे! माँ तेरी कैसी माया।।
३.
गीतों में , संगीतों में,
राधे, मीरा प्रीतों में।
संस्कारों में, रीतों में,
कृष्ण – सुदामा मीतों में।
सबमें तेरा रूप समाया।
हे! माँ तेरी कैसी माया।।
४.
नारी तेरी सोच अलग है,
कई रूपों में रोज अलग है।
कभी बेटियाँ,कभी साथिया,
ममता का संजोग अलग है।
नव- रस,नव-छंदों ने गाया।
हे ! माँ तेरी कैसी माया।।
-:बल्लू-बल