चुनावी साल में सदन में पहुंचते ही सदन से लेकर सड़क तक ‘धामी’ की अग्नि परीक्षा

देहरादून
मुख्यमंत्री बनने के बाद पुष्कर सिंह धामी की पहली बार सड़क से लेकर सदन तक अग्नि परीक्षा होने जा रही है। सदन में देवस्थानम बोर्ड और भू कानून के अलावा कोरोना फर्जी टेस्टिंग मामले को लेकर सरकार को​​ विपक्ष के सवालों के जवाब देने होंगे। तो सड़कों पर कर्मचारियों और कई संगठनों के विरोध और मांगों को लेकर राज्य सरकार की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। विपक्ष के तेवर का पहली बार होगा सामना सोमवार से शुरू हो रहे उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र में सीएम बनने के बाद पहली बार पुष्कर सिंह धामी सदन में नेता के तौर पर शामिल होंगे। विपक्ष के नेता प्रीतम सिंह भी अपने ​तीखे तेवर से सरकार को घेरने के लिए तैयार हो चुके हैं। विपक्ष में 10 विधायक होने के बावजूद भी कांग्रेस के विधायक देवस्थानम बोर्ड, भू कानून और कोरोना फर्जी टेस्टिंग मामले में सरकार को घेरने के लिए तैयार बैठे है। सरकार की और से पहले संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक मोर्चा संभालते रहे हैं, लेकिन इस बार यह जिम्मेदारी बंशीधर भगत के पास है। ऐसे में सत्ता की तरफ से विपक्ष के सवालों और तीखे तेवर का जवाब देने के लिए कौन मोर्चा संभालता है। 

बिजली समेत कई संगठनों के विरोध का होगा सामना सदन के अंदर धामी सरकार को चुनावी साल में जहां कई बढ़े मुद्दों पर अपनी सरकार की स्पष्ट नीति को जनता के सामने रखने की चुनौती है तो वहीं सदन के बाहर सड़कों पर सरकार से नाराज चल रहे कर्मचारियों की मांगों और दूसरे संगठनों के विरोध का भी सामना करना पड़ेगा। धामी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती बिजलीकर्मियों का आंदोलन है। जो सदन के शुरूआत के साथ ही दोबारा से शुरू हो सकता है। विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा एक माह से अपनी 14 सूत्रीय शासनादेश जारी न होने से नाराज चल रहा है। मोर्चा नेताओं ने फिलहाल सोमवार से शांतिपूर्ण आंदोलन शुरू करने की बात की है। हालांकि कर्मचारियों की मांग पर अगर राज्य सरकार ने अगर जल्द फैसला न लिया तो राज्य सरकार के लिए आने वाले दिनों में मुश्किलें बढ़ सकती है। 

इसके अलावा आशा कार्यकर्ता, डीएलएड प्रशिक्षित, नर्सिंग संवर्ग, फार्मासिस्ट समेत कई दूसरे संगठन भी सत्र के दौरान राज्य सरकार की मुश्किलें बढ़ाने का काम करेंगे। असली परीक्षा होगी अब एक माह के कार्यकाल में पुष्कर सिंह धामी ने अपने विजन और स्पष्ट नीतियों से जनता का दिल जीतने की कोशिश की है। लेकिन सदन में बतौर सीएम पहली बार और चुनावी साल में प्रवेश करने जा रहे सीएम पुष्कर सिंह धामी के सामने अब खुद को प्रुफ करने का समय आया है। सदन के अंदर विपक्ष के तेवरों का सामना करने और साथ लेकर चलने की धामी के लिए सबसे बड़ा चेलेंज है। इसके अलावा सड़कों पर उतरकर विरोध करने वाले कर्मचारियों और संगठनों को चुनावी साल में संतुष्ट करने की भी पहाड़ जैसी चुनौतियां धामी के सामने खड़ी है।
 

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