आत्महत्या करना, नही है किसी बात का स्थायी समाधान, 53वीं बटालियन के जवानों ने जाना तनाव से बचने के उपाय

नारायणपुर,

बदलाव प्रकृति और समाज का नियम है। आज दिन अगर बुरे हैं तो कल अच्छे भी होंगे। जन्म हुआ है तो मृत्यु निश्चित है लेकिन निर्धारित समय के खिलाफ जाना सही नही है। स्वजन, मित्र, धन, प्रतिष्ठा या नौकरी जीवन में अहम है, लेकिन उतना नहीं जितना स्वयं का जीवन।

जिले में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत 53 बटालियन जेलबाड़ी में सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉ तरुण राणा की उपस्थिति में जवानों को तनाव से बचने के आवश्यक उपायों के बारे में जानकारी देने के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान मानसिक स्वास्थ्य, लक्षण एवं उपचार के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी। साथ ही जवानों को विभिन्न एक्टिविटी के माध्यम से तनाव को कम करने के उपाय के बारे में भी बताया गया।

क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट प्रीति चांडक ने आत्महत्या रोकथाम के विषय पर जानकारी देते हुए बताया,”वर्तमान परिस्थितियों में कोई व्यक्ति चाह कर भी पूरी तरह से तनाव व अवसाद से दूर नहीं रह सकता। बढ़ती महत्वकांक्षाएं, पारिवारिक रिश्तों में दूरी, बुजुर्गों के अनुभवों से सीखने के वातावरण का अभाव, ये सभी कारण परोक्ष रूप से हमें अवसाद के गर्त में ले जा सकते हैं। कई बार ऐसा लग सकता है कि आपका दर्द और दुख कभी खत्म नहीं होगा लेकिन, कोई भी संकट आमतौर पर स्थायी नहीं होता है। अक्सर हर समस्या का समाधान होता है, भावनाएं बदलती हैं और सकारात्मक घटनाएं भी घटती हैं। लेकिन आत्महत्या किसी बात का स्थायी समाधान हो ही नहीं सकता इसलिए, चीजों को बदलने के लिए और दर्द कम होने के लिए खुद को पूरा समय दें।”

आगे उन्होंने बताया, “आत्महत्या का प्रमुख कारण मानसिक रूप से अस्वस्थ रहना है। अक्सर लोग अपनी मानसिक बीमारियों को छिपाते हैं और खुलकर उस पर बात नहीं करना चाहते हैं। अत: किसी भी परिस्थिति में अकेले ना रहें। यदि किसी को कुछ समस्या है तो अपने परिवार वालों या करीबी से बात करे, उन्हें अपनी समस्या बताएं और समस्या का समाधान खोजें। इसके अतिरिक्त अपने दैनिक गतिविधियों में से कुछ समय निकालकर खुद के लिये समय दें,योगाभ्यास करें, खानपान में सुधार करें और पर्याप्त नींद लें।”

मानसिक अस्वस्थता की स्थिति हो तो घबराएं नही, जिला अस्पताल में स्पर्श क्लीनिक के माध्यम से मानसिक रोगियों को निःशुल्क परामर्श व उपचार दिया जाता है। इसके अलावा राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम लाइफलाइन नंबर (1-800-273-8255) में कॉल कर अपनी समस्या बता सकते हैंI

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