स्टोरी by कुलदीप शुक्ला| ‘वृक्ष शिक्षक’ के नाम से मशहूर राजस्थान के भेराराम भाखर चार लाख पौधे लगाकर उन्होंने राजस्थान के मरूर भूमि में हरियाली लाने का लिया संकल्प राजस्थान के मरूरस्थल को बनाया हरा-भरा।
हम लोगों के पास हमेशा समय नहीं होता या फिर ये बोल कर नज़र अंदाज कर देते है फिर कभी ,हम मोबाईल गेम खेल कर घंटो समय की बरबाद कर देते है, लिकेन इस प्रकृति और पर्यावरण के लिये समय नहीं दे पाते ऐसे में एक शिक्षक जो छोटे छोटे बच्चों को शिक्षित कर समाज को दिशा दे रहा है साथ ही अपने बहुमूल्य समय का सदुपयोग कर 25,000 किमी से अधिक की यात्रा कर राजस्थान में चार लाख पौधे लगाए और कहलाये ”Tree Teacher” अभी भी उनकी यात्रा जारी है ।
क्या हमारे पास कभी अपने पर्यावरण की देखभाल करने का समय होता है ? हमारे आस-पास हर कोई अपनी ही चीजों में उलझा हुआ है और वे इस बारे में बात करते रहते हैं कि पर्यावरण कैसे खराब हो रहा है। लेकिन वास्तव में कोई इसे बेहतर बनाने के लिए कुछ क्यों नहीं करता ?
राजस्थान रेगिस्तान और बड़े-बड़े किलों का गढ़ है । लेकिन इसके ठीक विपरीत, बाड़मेर के एक शिक्षक भेराराम भाखर पिछले 24 सालों से यहां के मरूर भूमि (मरूरस्थल) को हरा-भरा बनाने में लगे हैं। अपनी इसी पहल के तहत उन्होंने राजस्थान के कई इलाकों में अभी तक चार लाख से ज्यादा पौधे लगाए हैं। सबसे अच्छी बात है कि यह काम भेराराम अपने खुद के खर्चे से करते हैं। इसलिए आज वह अपने क्षेत्र में ‘वृक्ष शिक्षक’ के नाम से मशहूर भी हो चुके हैं।
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दरअसल, साल 1999 में अपने कॉलेज के दिनों में भेराराम ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर गांव के मंदिर में करीब 50 पौधे लगाए थे। इस घटना के बाद उन्हें इतना सुकून मिला कि उन्होंने फैसला किया कि वह यह काम आजीवन जारी रखेंगे। इसके बाद भेराराम ने साल 2002 में शिक्षक के रूप में काम करना शुरू किया। वह अपने आस-पास के क्षेत्र को फिर से स्वस्थ बनाना चाहते थे। प्रकृति और पर्यावरण के प्रति उनका प्रेम स्वाभाविक रूप से उनमें आया। वह इस बात पर जोर देते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति का योगदान मायने रखता है और वह प्रति व्यक्ति 300 पौधे लगाने की कल्पना करते हैं।
मरुस्थलीकरण से लड़ने के उद्देश्य से, उन्होंने स्वदेशी रेगिस्तानी वनस्पति, विशेष रूप से जड़ी-बूटी वाली झाड़ियों के विकास को बढ़ावा दिया है। इस उद्देश्य का समर्थन करने के लिए, उन्होंने वर्ष 2022 में बाड़मेर और इसके पड़ोसी क्षेत्रों में सूखा प्रतिरोधी जाल के पेड़ के प्रभावशाली 12 लाख बीज वितरित किए।
पिछले दो दशकों में, उन्होंने व्यापक दूरी तय की है, राजस्थान के विभिन्न जिलों को कवर किया है और यहां तक कि हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे पड़ोसी राज्यों तक भी पहुंचे हैं।
समय के साथ उन्हें अपने जैसे दूसरे पर्यावरण प्रेमियों का साथ मिला और उनके अभियान को भी रफ़्तार मिली। भेराराम ने फिर प्लास्टिक के खिलाफ और पशु-पक्षियों के संरक्षण के लिए काम करना शुरू किया। इस तरह आज वह 500 से अधिक वन्य पशु को भी बचा चुके हैं। इन्हीं प्रयासों के कारण, आज उनको लोग ‘वृक्ष शिक्षक’ कहकर बुलाते हैं।
अपना पूरा जीवन पर्यावरण के लिए समर्पित करने वाले भेराराम, समाज, प्रकृति और पर्यावरण के लिए वरदान हैं और हम सबके लिए प्रेरणा भी।