जो श्रद्धा और विश्वास को छोड़कर बुद्धि पर चलता है उसको नष्ट होना पड़ता है – श्री संकर्षण शरण जी  (गुरु जी)

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श्री संकर्षण शरण जी  (गुरु जी)

रायपुर, कल्पना शुक्ला । छत्तीसगढ़ रायपुर के आनंद नगर दुर्गा मंदिर में चल रहे श्रीराम कथा का प्रथम दिन में माँ कामाख्या के उपासक दस महाविद्याओं के साधक, युग प्रवर्तक सद्गृहस्थ संत, कथा वाचक श्री संकर्षण शरण जी  (गुरु जी) प्रयागराज वाले ने  श्रीराम कथा का प्रारंभ सती और शिव कथा से की। achry guru ji

श्री राम कथा के प्रथम दिवस कथा शुभारंभ के मौके पर श्री संकर्षण शरण जी (गुरु जी) ने कथा वाचन में ने कहा कि जो श्रद्धा और विश्वास को छोड़कर बुद्धि पर चलती है उसको नष्ट होना पड़ता है। भगवान शिव कहते हैं पिता के घर गुरु के घर मित्र के घर बिना बुलाए जाना चाहिए लेकिन जहां जाने से लोग दुखी हो वहां नहीं जाना चाहिए भगवान शिव माता सती को यही बात समझा रहे हैं लेकिन माता सती मना करने पर क्रोधित होती है और बहुत प्रकार की रूप बनाती है जो 10 महाविद्या के रूप में आज पूज्य हैं । काली ,तारा, महाविद्या, षोडशी ,भुवनेश्वरी ,भैरवी,छिन्नमस्ता, बगलामुखी ,धूमावती ,मातंगी, कमलात्मिका । इस तरह दस महाविद्या का रूप होता है ।

आगे गुरुजी कथा में बताएं कि जहां संत गुरु का अपमान हो वहां या तो उसकी जीभ काट देना चाहिए अर्थात उसकी बोलती बंद कर देना चाहिए सकारात्मक बात करके । उसमें हां नहीं मिलाना चाहिए और यदि नहीं कर सकते तो वहां से कान बंद करके निकल जाना चाहिए जब माता सती देखती है कि यज्ञ में भगवान शिव को स्थान नहीं दिया गया है तो वह बहुत क्रोधित होती है और योग अग्नि से अपना शरीर का त्याग कर देती है। योग का मतलब जूड़ना । अग्नि का संबंध ज्ञान से है तो माता ज्ञान के तेज से प्रकाश से योग से जुड़ जाती है। और दक्ष जो गलत को स्वीकार की थी अब शिव ही सही लगता है।

जिसके हृदय में मंथरा कैकई सिंघी का प्रवेश कर गई हो वहां जलन बना रहता है जहां प्रेम हो वहां ज्ञान का संबंध होता है । मंथरा अर्थात ईर्ष्या,ज्वेलसी, जलन , हृदय में बढ़ जाती है तो भगवान चले जाते हैं अपने हृदय में कभी ईर्ष्या न आने पाए अन्यथा भगवान चले जाते हैं।

अयोध्या में मंथरा के निवास करने पर भगवान राम वन चले जाते हैं जिसके हृदय में ज्ञान का योग होता है उसके हृदय में भगवान प्रवेश करते हैं माता चंद्र मौली को ध्यान करती है और अपना शरीर का त्याग कर देती है। चंद्रमा के समान जो शीतल है जो चंद्रमा को धारण किए हुए हैं जो हमेशा सबको क्षमा करते हैं ऐसे भगवान शिव का ध्यान करती है और उस में लीन होकर हृदय में भगवान को धारण कर अपने शरीर का त्याग करती है । भगवान में जो लीन हो उसका जीवन ही बदल जाता है माता सती का जीवन बदल जाता है सती ने सिखाया कि मन में तन में जब हम भगवान को धारण करते तो हमारे जीवन बदल जाता है मनुष्य या तो हरि के लिए बदलता है या हार के लिए ।

सती का पूरा शरीर पूज्य हो जाता है और 51 शक्ति स्थल बन जाता है। जिसके शरीर के पूरे कण-कण में भगवान का छाप हो जब वह पूज्य ही हो जाता है । भगवान शिव सती के शरीर को लेकर घूम रहे हैं भगवान विष्णु चक्र से टुकड़े-टुकड़े कर देते हैं जो 51 शक्ति पीठ के रूप में पूज्य है मां हमेशा कल्याण का ही कार्य करती है ।

भगवान शंकर फिर से समाधि में चले जाते हैं और हमें यह शिक्षा देते कि सुख में दुख में हर स्थिति में भगवान का ही स्मरण होना चाहिए भगवान को कभी नहीं भूलना चाहिए । सती भगवान शिव से वरदान ले लेती है कि जन्म जन्म शिव पद अनुरागा… हर जन्म में मैं शिव को ही प्राप्त हूं।

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श्रद्धा मिटती है फिर जन्म लेती है कम होती है ज्यादा होती है । बुद्धि से श्रद्धा का जन्म होता है। जब फिर से माता पार्वती के रूप में आती है तो मैं मैनावती और हिमांचल के यहां जन्म लेती है । माता पार्वती के आने पर चारों तरफ हरियाली छा जाती है नदी में जल आने लगती है सब तरफ खुशियों का माहौल बन जाता है कन्या के आने पर उसी तरह स्थिति होती है कन्या लक्ष्मी होती है लेकिन माता पार्वती को शिव को प्राप्त करने के लिए फिर से तप करना पड़ता है जीवन में विश्वास को प्राप्त करने के लिए कई प्रकार के तत्व की आवश्यकता होती है शरीर से मन से जब हम बड़ों की सेवा करते हैं कथा सुनते हैं शरीर का तप होता है परोपकार करते हैं।

शरीर का तप करते है, हमारी वाणी का तप भी होता है जब हम सही बोलते हैं सत्य बोलते हैं भगवान की कथा पढ़ते है,हमेशा अच्छी बातें करते हैं । हमेशा जब मन को निर्मल रखते हैं पवित्र रखते हैं मन का भी तप होता है उस तरह से किसी के लिए बैर नहीं रखते हैं मन काफी तप होता है । हमेशा संतुलन की आवश्यकता होती है

आज सुबह 9 बजे आनंद नगर दुर्गा मंदिर से भव्य कलश यात्रा बैण्ड बाजे के साथ निकाली जिसमें काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। कथा का शुभारंभ अवसर पर कथा के यजमान डॉ.नीता प्राणेश गुरूगोस्वामी परिवार ने कलश और वेदी पूजन किया। फिर दोपहर 2:30 बजे कथा प्रारंभ की गई कथा के पहले दिन आज शिव और सती की कथा बताई गई , कल 22 फरवरी को शिवपार्वती विवाह और भगवान राम अवतार कथा बताई जाएगी।

 

 

 

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