महाकुम्भ मेला 2025 का भव्य आगाज़; देखें प्रमुख स्नान,सहायता और सुरक्षा, हेल्पलाइन नंबर

संपादकीय | How to Maha Kumbh Mela 2025 in a : कुम्भ मेला न केवल आध्यात्मिकता और धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह सामाजिक समरसता और संस्कृतियों के संगम का जीवंत उदाहरण भी है। ज्ञान,चेतना और उसका परस्पर मंथन कुम्भ मेले का वो आयाम है जो आदि काल से ही हिन्दू धर्मा वलम्बियों की जागृत चेतना को बिना किसी आमन्त्रण के खींच कर ले आता है।

विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों

How to Maha Kumbh Mela 2025 in a : इसकी विशालता और दिव्यता इसे विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक बनाती है। लाखों श्रद्धालु, संत-महात्मा, और पर्यटक इस मेले में भाग लेने के लिए एकत्र होते हैं, जिससे यह मानव चेतना के मंथन का एक अनूठा मंच बन जाता है।

कुम्भ पर्व किसी इतिहास निर्माण के दृष्टिकोण से नहीं शुरू हुआ था अपितु इसका इतिहास समय के प्रवाह से साथ स्वयं ही बनता चला गया। वैसे भी धार्मिक परम्पराएं हमेशा आस्था एवं विश्वास के आधार पर टिकती हैं न कि इतिहास पर। यह कहा जा सकता है कि कुम्भ जैसा विशालतम् मेला संस्कृतियों को एक सूत्र में बांधे रखने के लिए ही आयोजित होता है।

कुम्भ का पौराणिक महत्व अमृत मंथन की कथा से जुड़ा है

How to Maha Kumbh Mela 2025 in a : कुम्भ का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व अमृत मंथन की कथा से जुड़ा हुआ है, लेकिन इसकी असली शक्ति लोगों के विश्वास और उनके आध्यात्मिक अनुभवों में निहित है। यह आयोजन न केवल धर्म और दर्शन का केंद्र होता है, बल्कि यह आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रसार भी करता है, जो समाज को नई दिशा देने का कार्य करता है।

How to Maha Kumbh Mela 2025 in a : महाकुम्भ मेला 2025 का भव्य आगाज़; देखें प्रमुख स्नान,सहायता और सुरक्षा, हेल्पलाइन नंबर

How to Maha Kumbh Mela 2025 in a : देवासुर संग्राम के बाद समुद्र मंथन

बात उस समय की है जब देवासुर संग्राम के बाद दोनों पक्ष समुद्र मंथन को राजी हुए थे। मथना था समुद्र तो मथनी और नेति भी उसी हिसाब की चाहिए थी। ऐसे में मंदराचल पर्वत मथनी बना और नागवासुकि उसकी नेति। मंथन से चौदह रत्नों की प्राप्ति हुई जिन्हें परस्पर बाँट लिया गया परन्तु जब धन्वन्तरि ने अमृत कलश देवताओं को दे दिया तो फिर युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गई। तब भगवान् विष्णु ने स्वयं मोहिनी रूप धारण कर सबको अमृत-पान कराने की बात कही और अमृत कलश का दायित्व इंद्र-पुत्र जयंत को सौपा।

How to Maha Kumbh Mela 2025 in a : अमृत की बूंदे पृथ्वी पर चार स्थानों पर गिरी

अमृत-कलश को प्राप्त कर जब जयंत दानवों से अमृत की रक्षा हेतु भाग रहे थे तभी इसी क्रम में अमृत की बूंदे पृथ्वी पर चार स्थानों पर गिरी- हरिद्वार, नासिक, उज्जैन और प्रयागराज। चूँकि विष्णु की आज्ञा से सूर्य, चन्द्र, शनि एवं बृहस्पति भी अमृत कलश की रक्षा कर रहे थे और विभिन्न राशियों (सिंह, कुम्भ एवं मेष) में विचरण के कारण ये सभी कुम्भ पर्व के द्योतक बन गये।

How to Maha Kumbh Mela 2025 in a :  ज्योतिषीय गणनाओं से जुड़ा एक दिव्य आयोजन

जब बृहस्पति सिंह, कुम्भ या मेष राशि में प्रवेश करता है और सूर्य-चंद्रमा विशिष्ट स्थितियों में होते हैं, तभी कुम्भ पर्व का आयोजन होता है। हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन में पड़ने वाले कुम्भ पर्व का निर्धारण इन्हीं खगोलीय घटनाओं के आधार पर किया जाता है। इस प्रकार, कुम्भ केवल आध्यात्मिक स्नान या धार्मिक अनुष्ठान का ही पर्व नहीं, बल्कि यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा और c भी है।

ज्योतिष गणना के क्रम में कुम्भ का आयोजन चार प्रकार से माना गया हैः

  • बृहस्पति के कुम्भ राशि में तथा सूर्य के मेष राशि में प्रविष्ट होने पर हरिद्वार में गंगा-तट पर कुम्भ पर्व का आयोजन होता है।
  • बृहस्पति के मेष राशि चक्र में प्रविष्ट होने तथा सूर्य और चन्द्र के मकर राशि में आने पर अमावस्या के दिन प्रयागराज में त्रिवेणी संगम तट पर कुम्भ पर्व का आयोजन होता है।
  • बृहस्पति एवं सूर्य के सिंह राशि में प्रविष्ट होने पर नासिक में गोदावरी तट पर कुम्भ पर्व का आयोजन होता है।
  • बृहस्पति के सिंह राशि में तथा सूर्य के मेष राशि में प्रविष्ट होने पर उज्जैन में शिप्रा तट पर कुम्भ पर्व का आयोजन होता है।

How to Maha Kumbh Mela 2025 in a : पर्व प्रकृति एवं जीव तत्त्व में सामंजस्य

धार्मिकता एवं ग्रह-दशा के साथ-साथ कुम्भ पर्व को तत्त्वमीमांसा की कसौटी पर भी कसा जा सकता है, जिससे कुम्भ की उपयोगिता सिद्ध होती है। कुम्भ पर्व का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि यह पर्व प्रकृति एवं जीव तत्त्व में सामंजस्य स्थापित कर उनमें जीवनदायी शक्तियों को समाविष्ट करता है।

How to Maha Kumbh Mela 2025 in a : प्रकृति ही जीवन एवं मृत्यु का आधार है, ऐसे में प्रकृति से सामंजस्य अति-आवश्यक हो जाता है। कहा भी गया है “यद् पिण्डे तद् ब्रह्माण्डे” अर्थात् जो शरीर में है, वही ब्रह्माण्ड में है, इस लिए ब्रह्माण्ड की शक्तियों के साथ पिण्ड (शरीर) कैसे सामंजस्य स्थापित करे, उसे जीवनदायी शक्तियाँ कैसे मिले इसी रहस्य का पर्व है कुम्भ।

महाकुम्भ मेला 2025 का आयोजन प्रयागराज में किया जा रहा है, जो 13 जनवरी, 2025 से 26 फरवरी, 2025 तक चलेगा। नीचे दी गई तालिका में महाकुम्भ मेला 2025 की प्रमुख तिथियों का उल्लेख है.

How to Maha Kumbh Mela 2025 in a : महाकुम्भ मेला 2025 का भव्य आगाज़; देखें प्रमुख स्नान,सहायता और सुरक्षा, हेल्पलाइन नंबर

प्रमुख स्नान पर्व तिथियाँ
क्र०सं० पर्व का नाम तिथि/दिवस
 1   पौष पूर्णिमा  13-01-2025/सोमवार
 2  मकर संक्रांति  14-01-2025/मंगलवार
 3  मौनी अमावस्या (सोमवती)  29-01-2025/बुधवार
 4  बसंत पंचमी  03-02-2025/सोमवार
 5   माघी पूर्णिमा  12-02-2025/बुधवार
 6   महाशिवरात्री  26-02-2025/बुधवार

 

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2 मोबाइल एप एंड्राइडआई०ओ०एस०
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कुंभ सहायक का उपयोग कैसे करें:

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  • महाकुंभ हेल्पलाइन नंबर – 1920
  • मेला पुलिस हेल्पलाइन नंबर – 1944
  • फायर सर्विस नंबर – 1945
  • खाद्य और आपूर्ति – 101
  • एंबुलेंस हेल्पलाइन – 102/108

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