
नई दिल्ली। विद्यासागर महाराज ने छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरि तीर्थ में देह त्यागी । इंदौर एकमात्र शहर है जहां आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज (Acharya Vidyasagar Maharaj ) ने अपने साधु जीवन का सबसे अधिक वक्त बिताया है। 56 साल के साधु जीवन में उन्होंने 10 महीने से ज्यादा का समय इंदौर में बिताया। 19 साल के लंबे इंतजार के बाद साल 2020 में उनका आगमन अहिल्या की नगरी इंदौर में हुआ। इस दौरान इंदौर के भक्तों का सौभाग्य ऐसा जागा कि गुरु का सानिध्य 300 दिन से ज्यादा का मिल गया।
पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने एक्स कर लिखा- “मुझे वर्षों तक उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का सम्मान मिला। मैं पिछले साल के अंत में छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में चंद्रगिरि जैन मंदिर की अपनी यात्रा को कभी नहीं भूल सकता। उस समय, मैंने आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी के साथ समय बिताया था।
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी का ब्रह्मलीन होना देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। लोगों में आध्यात्मिक जागृति के लिए उनके बहुमूल्य प्रयास सदैव स्मरण किए जाएंगे। वे जीवनपर्यंत गरीबी उन्मूलन के साथ-साथ समाज में स्वास्थ्य और शिक्षा को बढ़ावा देने में जुटे रहे। यह मेरा… pic.twitter.com/mvJJPbiiwM
— Narendra Modi (@narendramodi) February 18, 2024
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मध्यप्रदेश में आधे दिन का शोक घोषित
आचार्य विद्यासागर महाराज के देहावसान पर मध्य प्रदेश सरकार की ओर से रविवार को आधे दिन का अवकाश घोषित किया गया। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहा। इस दौरान राजकीय समारोह व कार्यक्रम नहीं किए गए।
छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरि तीर्थ में देह त्यागी
छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरि तीर्थ (chandragiri dongargarh jain temple) में शनिवार देर रात 2:35 बजे श्री विद्यासागर जी महाराज ने अपना शरीर त्याग दिया। दिगंबर मुनि परंपरा के आचार्य ने पूर्ण जागृतावस्था में आचार्य पद का त्याग किया। इसके बाद तीन दिन का उपवास लिया और अखंड मौन धारण कर लिया। इसके बाद उन्होंने प्राण त्याग दिए। उनके शरीर त्यागने की खबर मिलने के बाद जैन समाज के लोग डोंगरगढ़ में जुटना शुरू हो गए हैं। आज दोपहर 1 बजे उनकी अंतिम संस्कार विधि होगी।