दन्तेवाड़ा
दंतेवाड़ा को एनिमिया से मुक्त करने की कवायद जिला प्रशासन ने तेज कर दी गयी है। कलेक्टर दीपक सोनी के निर्देशानुसार लोगों को एनीमिया के प्रति जागरूक करने और उनके बीच उत्पन्न भ्रांतियां को दूर करने के लिये व्यापक रूप से जागरूकता अभियान चलाई जा रही है। जगरूकता अभियान के तहत गीदम में लगे हाट बाजार क्लीनिक के माध्यम से एनीमिया मुक्त दंतेवाडा के अंतर्गत ग्रामीणों को एनीमिया के लक्षण और बचाव के बारे में जानकारी दी गई इस दौरान कुल 55 लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण उनका उपचार किया
आर.एम.ए. डॉ.अतीक अंसारी ने बताया, ” एनीमिया मुक्त समाज निर्माण को लेकर जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा हाट बाजार क्लीनिक के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है। साथ ही उन्हें एनीमिया के कारण, लक्षण एवं इससे बचाव के उपाय की जानकारी भी दी जा रही है। एनीमिया खून की कमी से होती है। इसलिए, इससे बचाव के लिए प्रोटीन व आयरन युक्त खाना का सेवन करना जरूरी है। दरअसल, शरीर में पर्याप्त आयरन रहने से इस बीमारी की संभावना ना के बराबर रहती है। ग्रामीण क्षेत्रों में रहनेवाले लोग प्रायः पेज को भोजन के रूप में ग्रहण करते है जिससे उनके शरीर को मिलने वाली आवश्यक पोषण पूरी तरह से नही मिल पाते इसलिए खान-पान एवं रहन-सहन का विशेष ख्याल रखना जरूरी होता है।‘’
उन्होंने ग्रामीणों को जानकारी देते हुए बताया:,` ‘ एनीमिया के लक्षण दिखते ही चिकित्सकों से तुरंत इलाज कराना चाहिए ताकि किसी बड़ी परेशानी का सामना नहीं करना पड़े और इस स्थिति से पूरी तरह निजात मिल सके। एनीमिया का शुरूआती लक्षण थकान, कमजोरी, त्वचा का पीला होना, दिल की धड़कन में बदलाव, साँस लेने में तकलीफ, चक्कर आना, सीने में दर्द, हाथों और पैरों का ठंडा होना, सिरदर्द आदि कमी होना है। ऐसा लक्षण होते ही समय पर इलाज करवाना चाहिए|’’
29 बर्षीय ग्रामीण महिला बुधरी (बदला हुआ नाम) ने स्थानीय बोली में बताया, “मुझे कुछ दिनों से थकान और कमजोरी महसूस हो रही थी, इसलिए मैंने हाट बाजार क्लीनिक में आकर अपनी जांच कराई। जाँच में डॉक्टर द्वारा मुझे शरीर मे खून की कमी होने के बारे बताया गया। इससे बचाव के लिये हरी पत्तेदार सब्जियां, गुड़, मूंगफल्ली, तिल्ली के लड्डू को खाने में नियमित रूप से शामिल करने और प्रतिदिन आयरन की गोली के उपयोग करने की जानकारी भी दी गई ।‘’
यह है एनीमिया
शरीर में हिमोग्लोबिन एक ऐसा तत्व है जो शरीर में खून की मात्रा बताता है। पुरुषों में इसकी मात्रा 12 से 16 प्रतिशत तथा महिलाओं में 11 से 14 के बीच होना चाहिए। लेकिन अच्छा खान-पान नहीं मिलने तथा महिला के बार-बार गर्भवती होने, प्रसव के दौरान अत्याधिक रक्तस्राव होने तथा लम्बी बीमारी सहित अन्य कारणों से शरीर में खून की कमी होने को एनीमिया कहते हैं।