वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी, दुनिया की सेहत को खतरे में डाल रही है ब्रिटिश सरकार

लंदन
ब्रिटेन में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच महामारी संबंधी तमाम प्रतिबंधों को हटाने के बोरिस जॉनसन सरकार के फैसले से देश में तीखा विवाद खड़ा हो गया है। इस निर्णय पर कायम रहने के लिए प्रधानमंत्री जॉनसन और उसकी सरकार की अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हो रही है। कुछ आलोचकों ने कहा है कि जॉनसन ‘कोरोना वायरस के साथ जीना सीखने’ के सिंगापुर में अपनाए गए मॉडल का अंधानुकरण करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि दोनों देशों के हालात बिल्कुल अलग हैं।

लंदन अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने एक आपात बैठक में अंदेशा जताया कि ब्रिटिश सरकार के फैसले से कोरोना वायरस के नए वैरिएंट्स के उत्पन्न होने की जमीन तैयार होगी। उनमें ऐसे वैरिएंट भी हो सकते हैं, जिन पर मौजूदा सभी वैक्सीनों का असर ना हो। 1200 से अधिक वैज्ञानिकों की इस चर्चा में ये आम राय उभरी कि ब्रिटेन कोरोना वायरस संक्रमण के केंद्र के रूप में उभर सकता है, जिससे सारी दुनिया के लिए खतरा पैदा होगा।

विशेषज्ञों ने मेडिकल जर्नल लांसेट में छपी इस चेतावनी का समर्थन किया कि ब्रिटिश सरकार जिस रास्ते पर चल रही है, उससे ऐसे वैरिएंट सामने आ सकते हैं, जिन पर वैक्सीन का असर नहीं होगा। चर्चा के दौरान न्यूजीलैंड सरकार के एक सलाहकार ने कहा कि इंग्लैंड में सरकार ने जो रवैया अपनाया है, उससे उनका देश अचंभित है। यूनिवर्सिटी ऑफ ओटागो में प्रोफेसर और न्यूजीलैंड सरकार की कोविड-19 सलाहकार समिति के सदस्य माइकल बेकर ने कहा- ‘जहां तक वैज्ञानिक विशेषज्ञता की बात है, तो उसमें न्यूजीलैंड हमेशा ही ब्रिटेन से अपेक्षा रखता है कि वह नेतृत्व देगा। इसीलिए ये बात ध्यान खींचती है कि ब्रिटिश सरकार सार्वजनिक स्वास्थ्य के बुनियादी सिद्धांतों का भी पालन नहीं कर रही है।’

अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन के मुताबिक सिंगापुर ने कोरोना संक्रमण के मामले में एक अलग नजरिया अपनाया है। अब ब्रिटेन भी उसी रास्ते पर जाता दिखता है। लेकिन इस रिपोर्ट में ध्यान दिलाया गया है कि जहां सिंगापुर की आबादी लगभग 57 लाख है, वहीं ब्रिटेन की आबादी साढ़े छह करोड़ से ज्यादा है। इसके अलावा ब्रिटेन उन देशों में है, जहां कोरोना संक्रमण के कारण सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं। वहां एक लाख 29 हजार से ज्यादा लगों की जान गई है। जबकि सिंगापुर में अब तक सिर्फ 36 लोगों की जान कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से गई है। आबादी के अनुपात के हिसाब से देखें तो ब्रिटेन में हर एक लाख लोगों पर 192 से ज्यादा व्यक्तियों की मृत्यु हुई है, जबकि सिंगापुर में ये संख्या 0.63 है।

पर्यवेक्षकों ने ध्यान दिलाया है कि ब्रिटेन ने शुरुआत से ही कोरोना महामारी से निपटने में धीमा और भ्रामक रुख अपनाया। 2020 के आरंभ में वहां लॉकडाउन लागू करने और मास्क पहनना अनिवार्य करने में देर की गई। जबकि सिंगापुर ने तुरंत अपनी सीमाएं बंद कर दीं। साथ ही सिंगापुर में व्यापक रूप से जांच करने और पॉजिटिव पाए गए मरीजों को क्वारंटीन करने के उपाय लागू किए गए।

जानकारों का कहना है कि सिंगापुर में चूंकि हालात काबू में हैं, इसलिए वहां सब कुछ खोलने और प्रतिबंधों को हटाने का फैसला समझ में आता है। जबकि ब्रिटेन में हालात यह हैं कि शुक्रवार को वहां 50 हजार से ज्यादा संक्रमण के नए मामले सामने आए। 49 लोगों की मौत हुई। इसलिए ब्रिटेन में सिंगापुर जैसा नजरिया अपनाना बेतुका है। यहां आलोचकों ने कहा है कि जॉनसन सरकार अपने कंजरवेटिव समर्थकों को खुश करने के लिए न सिर्फ ब्रिटेन, बल्कि दुनियाभर के लोगों की सेहत के लिए खतरा पैदा कर रही है। गौरतलब है कि अगर मौजूदा फैसला कायम रहा, तो अगले हफ्ते से ब्रिटेन में महामारी संबंधी तमाम प्रतिबंध हट जाएंगे।

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