दीपावली के त्यौहारी सीजन में 50 हजार करोड़ रुपये के चीन को दिए नुकसान के साथ कैट द्वारा चीनी सामान बहिष्कार अभियान रहेगा चालू

रायपुर

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चौंबे ने बताया कि कोविड महामारी के बाद इस वर्ष पूरे भारत में दिवाली का त्यौहार एक तरह से अलग दिवाली के रूप में आज मनाया जिसकी अनेक आर्थिक विशेषताएं रहीं जिनमें मुख्य रूप से चीनी सामानों का पूर्ण बहिष्कार, भारतीय सामानों का बड़े पैमाने पर उपयोग और भारत में व्यापारियों के लिए दो साल के व्यापार निर्वासन को समाप्त करना शामिल था। देश भर के व्यापारिक समुदाय ने पिछले दो वर्षों की अभूतपूर्व मंदी से काफी राहत महसूस करते हुए बड़े उत्साह के साथ आज दिवाली मनाई। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के गत वर्ष शुरू किये गए “चीनी सामानों के बहिष्कार” के आह्वान के बाद इस साल दिवाली पर देश ने चीन को 50 हजार करोड़ से अधिक के व्यापार के बड़े नुकसान पर खुशी जताई। दिलचस्प बात यह है कि इस साल छोटे कारीगरों, कुम्हारों, शिल्पकारों,और स्थानीय कलाकारों ने अपने उत्पादों की अच्छी बिक्री की। राज्य स्तर, जिला स्तर और क्षेत्रीय स्तर पर हजारों छोटे निर्माताओं ने अपने स्वयं के ब्रांड के सामान की जबरदस्त बिक्री करते हुए एफएमसीजी, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और किराना उत्पादों के क्षेत्र में बड़ी विदेशी और भारतीय कंपनियों के एकाधिकार को नष्ट कर दिया क्योंकि उन्होंने उस आपूर्ति की कमी को पूरा किया जो कि चीनी सामन की अनुपस्थिति के कारण हुआ था। दिवाली उत्सव की बिक्री यह भी इंगित करती है कि भारत के लोगों ने कोविड से सुरक्षा और भारतीय सामान की बिक्री-खरीद के मामले में कोविड और चीन दोनों को पछाड़ दिया है।

कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष श्री जितेन्द्र दोशी ने कहा कि आज सुबह कैट की अनुसंधान शाखा, कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी ने आज देश के सभी राज्यों के प्रमुख व्यापारी नेताओं और खासतौर पर विभिन्न राज्यों के 20 शहरों जिन्हे देश में वितरण केंद्र के रूप में जाना जाता है, के व्यापारी नेताओं से एक टेलीफ़ोन सर्वे कर उनसे अपने-अपने राज्यों में दिवाली की बिक्री के सम्बन्ध में एक सर्वेक्षण किया जिससे यह आंकलन लगाया गया की इस वर्ष पूरे देश में दिवाली की त्यौहारी बिक्री लगभग 1 .25 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की हुई वहीँ पटाखा नीति के बारे में राज्य सरकारों के ढुलमुल रवैये के कारण पटाखों के छोटे निर्माताओं और विक्रेताओं को लगभग 10 हजार करोड़ रुपये के कारोबार का नुकसान हुआ है। सर्वेक्षण में यह भी सामने आया की पैकेजिंग व्यापार का एक नया व्यापारिक कार्यक्षेत्र बन गया है जिसमें इस वर्ष दिवाली पर लगभग 15 हजार करोड़ रुपये का कारोबार हुआ ! श्री पारवानी और श्री दोशी ने उम्मीद जताई है कि दिवाली पर जिस तेजी से व्यापार हुआ है उसको देखते हुए दिसंबर 2021 के अंत तक देश भर के बाज़ारों में लगभग 3 लाख करोड़ रुपये की पूँजी का प्रवाह होगा जिससे अर्थव्यवस्था तो पटरी पर आएगी ही बल्कि व्यापारियों का वित्तीय संकट भी समाप्त होगा !

दिवाली व्यापार में खास तौर पर एफएमसीजी सामान, उपभोक्ता सामान, खिलौने, बिजली के उपकरण और सामान, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और सफेद सामान, रसोई के सामान और सहायक उपकरण, उपहार के सामान, मिष्ठान्न आइटम, मिठाई, होम फर्निशिंग, टेपेस्ट्री, बर्तन, सोना और गहने, जूते, घड़ियाँ जैसे प्रमुख खुदरा कार्यक्षेत्र , फर्नीचर, जुड़नार, वस्त्र, फैशन परिधान, कपड़ा, घर की सजावट के सामान, मिट्टी के दीयों सहित दिवाली पूजा के सामान, देवता, दीवार पर लटकने वाली सजावटी वस्तुएं ,हस्तशिल्प के सामान, वस्त्र, शुभ-लाभ वंदनवार, ओम जैसे सौभाग्य के प्रतीक, त्योहारी सीजन में घर की साज-सज्जा आदि में जबरदस्त व्यापार हुआ !

श्री पारवानी और श्री दोशी ने कहा कि जैसा कि अपेक्षित था, इस वर्ष “हिंदुस्तानी दिवाली-स्थानीय दिवाली” मनाने के कैट के अभियान को न केवल व्यापारियों बल्कि देश के नागरिकों का भी बड़ा समर्थन मिला ! श्री पारवानी और श्री दोशी ने कहा, “व्यापारियों और देश के लोगों ने चीन को भारत को हल्के में न लेने की सीख के साथ एक मजबूत और बड़ा झटका दिया है और भारतीय नागरिक चीनी उत्पादों का पूरी तरह से बहिष्कार करने के लिए दृढ़ हैं।” व्यापारियों के अलावा, बड़ी संख्या में स्थानीय कारीगरों, मूर्तिकारों, हस्तशिल्प श्रमिकों और विशेष रूप से कुम्हारों ने भी अच्छा कारोबार किया। न तो व्यापारियों ने चीनी सामान बेचा और न ही उपभोक्ताओं ने चीनी सामान की मांग की या खरीदा। “हम चीन से आयात को कम करने के अपने लक्ष्य दिसंबर, 2022 तक भारत में चीनी वस्तुओं के आयात को 1.5 लाख करोड़ को पूरा करेंगे -कहा श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने !

देश भर में, व्यापारिक बाजारों, कार्यालयों और घरों की दुकानों को मिट्टी से बने छोटे तेल के दीयों से सजाया गया था जिसकी चमक ही निराली थी । दुकानों और घरों को पारंपरिक भारतीय सामानों से सजाने के अलावा यह सांस्कृतिक विरासत और भारतीय त्योहारों को मनाने के पारंपरिक तरीकों का सही चित्रण था।

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