गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू की उपस्थिति में गौठान योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए….प्रशिक्षण आयोजित किया गया

दुर्ग।

जनभागीदारी एवं जन आंदोलन हेतु गौठान समितियों का प्रशिक्षण दुर्ग के राजीव गांधी कांग्रेस भवन में आयोजित किया गया , जिसमें सरकार के गौठान योजना के बेहतर क्रियान्वयन के लिए प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण सह कार्यशाला में प्रदेश के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, नोडल अधिकारी राजेन्द्र साहू,प्रदेश महामंत्री जितेन्द्र साहू,जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष निर्मल कोसरे, जिला पंचयात अध्यक्ष शालनी रिवेन्द्र यादव,जनपद अध्यक्ष देवेंद्र देशमुख, कृषिसभापति योगिता चन्द्राकर,ब्लॉक अध्यक्ष नंदकुमार सेन,मास्टर ट्रेनर एस के खरे उपस्थित थे।

छत्तीसगढ़ सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट नरवा गरवा घुरवा बारी तथा गौठान योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए दुर्ग ग्रामीण विधानसभा के , जनभागीदारी एवं जन आंदोलन हेतु गौठान समितियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया , जिसमें प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा अधिकृत मास्टर ट्रेनर एस के खरे ने गौठान समिति से जुड़े प्रतिनिधियों को‌, सरकार की इस महती योजना के बेहतर क्रियान्वयन के लिए , उपयोगी जानकारियां दी एवं समितियों द्वारा इस योजना के संचालन में आ रही तकनीकी दिक्कतों के बारे में चर्चा की इसके साथ ही जो समिति गोधन न्याय योजना में उत्कृष्ट कार्य कर रही हैं उनके प्रेरक अनुभव को भी सुना। इसके साथ ही सरकार के ग्रामीण इंडस्ट्रियल पार्क के उद्देश्य के बारे में विस्तार से बताया और समितियों को कुशल संचालन के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम में नोडल प्रभारी राजेंद्र साहू जिला पंचायत अध्यक्ष शालिनी यादव अन्य जनप्रतिनिधि गण बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने बताया कि छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ड्रीम प्रोजेक्ट सुराजी गांव योजना के तहत गांव-गांव में स्थापित गौठान रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में ग्रामीण अर्थव्यवस्था के जीवंत केंद्र के रूप में उभर रहे हैं। जहां संचालित गतिविधियों से ग्रामीणों को उनके गांव में ही रोजगार मिल रहा है और उनसे उन्हें अच्छी आमदनी भी हो रही है।

मवेशियों के डे केयर सेंटर के रूप में बनाए गए गौठानों में ग्रामीणों और स्वसहायता समूहों को ग्रामीण परिवेश के अनुकूल छोटे-छोटे व्यवसायों से जोड़ा गया है। गौठान पशुपालकों, गोबर संग्राहकों और किसानों से 2 रुपए प्रति किलो की दर से गोबर खरीदी की अपनी तरह की देश की अनूठी गोधन न्याय योजना का केंद्र बिंदु भी हैं। यहां गोबर से वर्मी कंपोस्ट और सुपर कंपोस्ट बनाने की गतिविधियों संचालित की जा रही हैं। इसके साथ-साथ स्व-सहायता समूहों द्वारा सामुदायिक बाड़ी, मशरूम उत्पादन, मछली पालन, बकरी पालन, मुर्गी पालन, पशुपालन सहित गोबर से दिया, गमला तथा अगरबत्ती बनाने जैसी अनेक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं।

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